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अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, वहीं बनेगा रामलला मंदिर,मस्जिद के लिए मिलेगी जमीन

 

दिल्ली ।

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देश के सबसे चर्चित केस राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला आना शुरू हो गाय है. 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने सुबह साढ़े 10 बजे से अपना फैसला पढ़ना शुरू कर दिया है.सुप्रीम कोर्ट ने कहा 1856 से पहले हिन्दू भी अंदरूनी हिस्से में पूजा करते थे. रोकने पर बाहर चबूतरे की पूजा करने लगे. फिर भी मुख्य गुंबद के नीचे गर्भगृह मानते थे इसलिए रेलिंग के पास आकर पूजा करते थे.

विवादित जमीन राम लला की.कोर्ट ने कहा मुस्लिमों को मस्जिद के लिए वैकल्पिक स्थान पर प्लॉट दिया जाए
कोर्ट ने कहा है कि हिंदुओं के वहां पर अधिकार की ब्रिटिश सरकार ने मान्यता दी. 1877 में उनके लिए एक और रास्ता खोला गया. अंदरूनी हिस्से में मुस्लिमों की नमाज बंद हो जाने का कोई सबूत नहीं मिला.
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या भूमि विवाद में रामलला को कानूनी मान्यता दी, कहा- खुदाई के सबूतों की अनदेखी नहीं कर सकते.
शिया वक्फ बोर्ड का दावा एकमत से खारिज, सीजेआई गोगोई ने कहा, ‘हमने 1946 के फैजाबाद कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली शिया वक्फ बोर्ड की सिंगल लीव पिटिशन (SLP) को खारिज करते हैं.
गोगोई ने कहा कि बाबरी मस्जिद मीर बाकी द्वारा बनाई गई थी.
निर्मोही अखाड़ा के सेवा के अधिकार के दावे को सु्प्रीम कोर्ट ने किया खारिज.
चीफ जस्टिस ने कहा, एएसआई ने मंदिर होने के सबूत पेश किए हैं.
कोर्ट ने कहा है कि निर्मोही अपना दावा साबित नहीं कर पाया है. निर्मोही सेवादार नहीं है. रामलला juristic person हैं. राम जन्मस्थान को यह दर्जा नहीं दे सकते. पुरातात्विक सबूतों की अनदेखी नहीं कर सकते. वह हाई कोर्ट के आदेश पर पूरी पारदर्शिता से हुआ. उसे खारिज करने की मांग गलत है.
कोर्ट ने कहा है कि कोर्ट हदीस की व्याख्या नहीं कर सकता. नमाज पढ़ने की जगह को मस्ज़िद मानने के हक को हम मना नहीं कर सकते. 1991 का प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट धर्मस्थानों को बचाने की बात कहता है. एक्ट भारत की धर्मनिरपेक्षता की मिसाल है.
सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बहस में अपने दावे को बदला. पहले कुछ कहा, बाद में नीचे मिली रचना को ईदगाह बताया.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- विवादित ढांचे में पुरानी संरचना की चीज़ें इस्तेमाल हुईं. कसौटी का पत्थर, खंभा आदि देखा गया. ASI यह नहीं बता पाए कि मंदिर तोड़कर विवादित ढांचा बना था या नहीं. 12वीं सदी से 16वीं सदी पर वहां क्या हो रहा था, ये साबित नहीं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- साफ है कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी. नीचे विशाल रचना थी, वह रचना इस्लामिक नहीं थी. वहां मिली कलाकृतियां भी इस्लामिक नहीं थी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- गवाहों के क्रॉस एक्जामिनेशन से हिन्दू दावा झूठा साबित नहीं हुआ. सूट 5 (रामलला) ने ऐतिहासिक ग्रंथों, यात्रियों के विवरण, गजेटियर के आधार पर दलीलें रखीं. चबूतरा,भंडार, सीता रसोई के भी दावे की पुष्टि होती है.

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Source Lalluram

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