असम में बोड़ो, कार्बी और डिमासा इलाके संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत आते हैं। इसलिए, वहां यह कानून लागू ही नहीं होगा। मेघालय, नागालैंड, मिजोरम और मणिपुर जैसे राज्यों में भी यह कानून लागू ही नहीं होगा।
भारतीय संविधान की छठवीं अनुसूची में क्या है?
भारतीय संविधान की छठीं अनुसूची में आने वाले पूर्वोत्तर भारत के इलाकों को नागरिकता संशोधन विधेयक में छूट दी गई है। छठीं अनूसूची में पूर्वोत्तर भारत के असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्य शामिल हैं जहां संविधान के मुताबिक स्वायत्त जिला परिषदें हैं जो स्थानीय आदिवासियों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 244 में इसका प्रावधान किया गया है। संविधान सभा ने 1949 में इसके जरिए स्वायत्त जिला परिषदों का गठन करके राज्य विधानसभाओं को संबंधित अधिकार प्रदान किए थे। छठीं अनूसूची में इसके अलावा क्षेत्रीय परिषदों का भी उल्लेख किया गया है। इन सभी का उद्देश्य स्थानीय आदिवासियों की सामाजिक, भाषाई और सांस्कृतिक पहचान बनाए रखना है।
राज्य में असमिया एकमात्र बहुसंख्यक भाषा है,यहां 48 फीसदी लोग असमिया बोलते हैं। यहां के लोगों को डर है कि यदि नागरिकता विधेयक कानून बनकर लागू होता है तब बंगाली लोग इस भाषा को छोड़ अपनी पुरानी भाषा को अपना लेंगे। इससे असमिया बोलने वालों की संख्या 35 फीसदी पहुंच जाएगी। जबकि असम में बंगाली भाषा बोलने वालों की संख्या 10 फीसदी बढ़कर 38 फीसदी हो जाएगी।