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धरती पर जीवन के अस्तित्व को बचाने के लिए,जल संरक्षण जरूरी

राष्ट्रीय अपराध रिकार्डस् ब्यूरो के सर्वेक्षण के अनुसार, ये रिकार्ड किया गया है कि लगभग 16,632 किसान जिसमे 2,369 महिलाएँ आत्महत्या के द्वारा अपने जीवन को समाप्त कर चुकें हैं, हालांकि, 14.4% मामले सूखे के कारण घटित हुए हैं-

महाराष्ट्र । धरती पर जीवन के अस्तित्व को बनाये रखने के लिये जल का संरक्षण और बचाव बहुत जरूरी है, क्योंकि बिना जल के जीवन संभव नहीं है। पूरे ब्रह्माण्ड में एक अपवाद के रुप में धरती पर जीवन चक्र को जारी रखने में जल मदद करता है क्योंकि धरती इकलौता अकेला ऐसा ग्रह है जहाँ पानी और जीवन मौजूद है। पानी की जरुरत हमारे जीवन भर है इसलिये इसको बचाने के लिये केवल हम ही जिम्मेदार हैं। संयुक्त राष्ट्र के संचालन के अनुसार, ऐसा पाया गया है कि राजस्थान में लड़कियाँ स्कूल नहीं जाती हैं क्योंकि उन्हें पानी लाने के लिये लंबी दूरी तय करनी पड़ती है जो उनके पूरे दिन को खराब कर देती है इसलिये उन्हें किसी और काम के लिये समय नहीं मिलता है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्डस् ब्यूरो के सर्वेक्षण के अनुसार, ये रिकार्ड किया गया है कि लगभग 16,632 किसान जिसमे 2,369 महिलाएँ आत्महत्या के द्वारा अपने जीवन को समाप्त कर चुकें हैं, हालांकि, 14.4% मामले सूखे के कारण घटित हुए हैं। इसलिये हम कह सकते हैं कि भारत और दूसरे विकासशील देशों में अशिक्षा, आत्महत्या, लड़ाई और दूसरे सामाजिक मुद्दों का कारण भी पानी की कमी है। पानी की कमी वाले ऐसे क्षेत्रों में, भविष्य पीढ़ी के बच्चे अपने मूल शिक्षा के अधिकार और खुशी से जीने के अधिकार को प्राप्त नहीं कर पाते हैं।
इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर अटल भूजल योजना की शुरूआत कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक और उपयोगी योजना की नींव रखी। छह हजार करोड़ रुपये वाली इस योजना का उद्देश्य भूजल स्तर को उठाना और जल संकट से निपटना है। यह योजना देश के उन सात राज्यों पर केंद्रित हैं जहां भूमिगत जल का स्तर नीचे जा रहा है, लेकिन यह ध्यान रहे कि ऐसा अन्य राज्यों में भी हो रहा है। यह वक्त की मांग है कि अन्य राज्य अपने स्तर पर भूमिगत जल के गिरते स्तर की चिंता करें। जल को संरक्षित करने का काम केवल केंद्र सरकार के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता।

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जल संरक्षण के मामले में मोदी सरकार ने अपनी गंभीरता का परिचय तभी दे दिया था जब दोबारा सत्ता में आने के बाद जल संसाधन और पेयजल मंत्रालय को मिलाकर जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया था। ऐसा करके उसने जल जीवन अभियान के तहत हर घर को नल से जल पहुंचाने की योजना पर भी काम शुरू किया। यह भी एक महत्वाकांक्षी योजना है। वास्तव में ऐसी योजनाओं के जरिये ही भावी जल संकट से निपटा जा सकता है। यह उम्मीद करनी चाहिए कि मोदी सरकार जल संबंधी जिन भी योजनाओं पर आगे बढ़ रही है उन्हें वैसी ही सफलता मिले जैसी विकास एवं जनकल्याण संबंधी अन्य योजनाओं को मिली है।
पिछले 6 वर्षों मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में शुरू की गईं रसोई गैस, आवास, बिजली, शौचालय, स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं ने उल्लेखनीय सफलता हासिल की इससे कोई इन्कार नहीं कर सकता । इन योजनाओं की सफलता से इस बात की कोई शंका नहीं है कि अटल भूजल योजना जल्द ही अपना आकार बना लेगी । अपनी विकास एवं जनकल्याण संबंधी योजनाओं के अमल में कहीं अधिक सक्षम होने के बाद भी मोदी सरकार को इस पर विचार करने की जरूरत है कि उसके राजनीतिक विरोधी जब-तब ऐसा माहौल तैयार करने में क्यों सफल हो जा रहे हैं कि इस सरकार को जनता के हितों की परवाह नहीं | इस विषय पर विचार करने की जरूरत इसलिए है, क्योंकि हाल में नागरिकता कानून पर सुनियोजित दुष्प्रचार के तहत एक ऐसा माहौल खड़ा कर दिया गया जैसे सरकार ने कोई जनविरोधी और संविधान विरोधी काम कर दिया है। मोदी सरकार और साथ ही भाजपा को इस पर ध्यान देना ही होगा कि झूठ का इतना बड़ा पहाड़ कैसे खड़ा हो गया | सरकार को चाहिए कि वह अपने प्रति जनता के भरोसे की डोर को और मजबूत करे।

अशोक भाटिया, A /0 0 1 वेंचर अपार्टमेंट ,वसंत नगरी,वसई पूर्व

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