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जीवनदान मिलने के बाद भी, मध्य प्रदेश के कमलनाथ सरकार पर संकट बरकरार

  • मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर संकट बरकरार
  • राजभवन और कमलनाथ सरकार के बीच टकराव बढ़ा

मध्य प्रदेश के सत्ता संघर्ष में राजभवन और स्पीकर के बीच ठन गई है. कमलनाथ सरकार और राज्यपाल लालजी टंडन आमने-सामने आ गए हैं. सत्ता की रस्साकशी में कमलनाथ सरकार के भविष्य पर संकट गहराता जा रहा है. राजभवन जिस तरह का रवैया अपना रहा है, उससे सवाल उठता है कि क्या कमलनाथ सरकार को बर्खास्त करने की दिशा में राज्यपाल कदम बढ़ा रहे हैं?

मध्य प्रदेश विधानसभा के सत्र की शुरुआत सोमवार को राज्यपाल लालजी टंडन के अभिभाषण से हुई और उसके तुरंत बाद स्पीकर एनपी प्रजापति ने विधानसभा की कार्यवाही को 26 मार्च तक स्थगित कर दिया. इसके बाद बीजेपी ने एक तरफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और दूसरी तरफ अपने 106 विधायकों की परेड राज्यपाल के सामने की और कहा कि कांग्रेस सरकार ने राज्यपाल के आदेश का पालन नहीं किया.

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सोमवार देर शाम राज्यपाल ने कमलनाथ को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने साफ तौर पर 17 मार्च यानी मंगलवार को बहुमत साबित करने का अल्टीमेटम दिया है. राज्यपाल ने कमलनाथ को पत्र लिख कर कहा कि अगर कमलनाथ सरकार बहुमत साबित नहीं करेगी तो उसे अल्पमत में माना जाएगा. हालांकि, कमलनाथ ने सोमवार देर शाम राजभवन जाकर राज्यपाल से मुलाकात भी की. इसके बाद कमलनाथ ने फिर कहा कि अभी उनके पास बहुमत है, ऐसे में उन्हें साबित करने की कोई जरूरत नहीं है.

दरअसल राज्यपाल लालजी टंडन लखनऊ से भोपाल लौटने के बाद से एक्शन में हैं. शनिवार की रात उन्होंने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र भेजकर कहा था, ‘बजट सत्र के पहले दिन राज्यपाल के अभिभाषण के ठीक बाद फ्लोर टेस्ट कराया जाए. राज्यपाल ने कांग्रेस विधायकों के विद्रोह के बाद नंबर गेम में पिछड़ गई कमलनाथ सरकार के अल्पमत में होने का अंदेशा भी जाहिर किया था.

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विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापित ने राज्यपाल लालजी टंडन के निर्देशों को पूरी तरह से अनदेखा कर दिया था. विधानसभा की कार्यसूची में न तो फ्लोर टेस्ट को शामिल किया और न हीं राज्यपाल के अभिभाषण के बाद उस पर अमल किया. इसके चलते राज्यपाल लालजी टंडन ने त्यौरियां चढ़ा ली हैं और मंगलवार को सरकार को बहुमत साबित करने का अल्टीमेटम दे रखा है. वहीं, कमलनाथ सरकार फ्लोर टेस्ट की दिशा में कदम नहीं बढ़ा रही है. राजभवन के तेवर को देखकर सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही पर नजर है.

कमलनाथ सरकार ने राज्यपाल के निर्देशों को पूरी तरह से अनदेखा कर दिया है. इससे राजभवन और कमलनाथ के बीच टकराव के हालात बन बन गए हैं. ऐसे में ऐसे ही टकराव बढ़ा और राज्यपाल के निर्देशों को ना सुना तो यह सरकार को बर्खास्त करने का ठोस सबब बन सकता है.

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