दिल्ली । कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के बीच देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा की सदस्यता की शपथ ली। शपथ लेने के कुछ घंटों के बाद, भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आधा दर्जन लोगों का गैंग जजों को फिरौती देता है। पूर्व सीजेआई गोगोई ने दर्जन लोगों की “लॉबी” के बारे में बात की, जो जजों को फिरौती देते हैं। उन्होंने कहा कि जब तक इस लॉबी का गला नहीं घोटा जाएगा न्यायपालिका स्वतंत्र नहीं हो सकती।
जनवरी 2018 की सुप्रीम कोर्ट के तीन अन्य न्यायाधीशों के साथ अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस और शहीन बाग के बारे में बात करते हुए पूर्व सीजेआई ने इस बात का खुलासा किया है। इसी के साथ उन्होंने इस दावे को खारिज कर दिया कि संसद के ऊपरी सदन के लिए उनका नामांकन किसी तरह का एहसान या तोहफा नहीं था।
हालांकि पूर्व चीफ जस्टिस ने यह नहीं बताया कि वो कौन सी लॉबी है जो न्यायपालिका में फिरौती देती है? रंजन गोगोई ने आगे कहा कि ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता का मतलब है ऐसी लॉबी की पकड़ को तोड़ना। जब तक इस लॉबी को तोड़ा नहीं जाएगा न्यायपालिका स्वतंत्र नहीं हो सकती। अगर कोई केस उनके मनमुताबिक नहीं चलता तो वो फिरौती देकर केस को रुकवा देते हैं। वो जजों को हर संभव रास्ते से प्रभावित करने की कोशिश करते हैं।’
गोगोई ने कहा कि जजों के लिए उनके मन में एक डर है। जज ये लॉबी नहीं चाहते और शांति से रिटायर होना चाहते हैं। अयोध्या और राफेल केस का निर्णय सरकार के पक्ष में गया था। जिसके बाद उनका नामांकन राज्यसभा के लिए किया गया। इसपर लोगों ने गोगोई पर आरोप लगाए थे कि ये नमकन सरकार द्वारा दिया गया एक तोहफा है। इसपर गोगोई ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है उन्हें बदनाम किया गया क्योंकि उन्होंने लॉबी को ललकारा है। उन्होंने कहा कि अयोध्या और राफेल निर्णय सर्वसम्मत थे। आप अगर इस तरह के आरोप लगाएंगे तो आप इन दो निर्णयों में शामिल सभी न्यायाधीशों की अखंडता पर सवाल उठा रहे हैं।
Sabhar jansatta