Advertisement
अजब गजबटैकनोलजीराष्ट्रीय

फौरन डिलीट कीजिये ये 101 खतरनाक ऐप्स,,वरना आपका स्मार्ट फोन/डिवाइस हो सकता लॉक

नई दिल्ली ।
स्मार्टफोन्स से लेकर टैबलेट और कंप्यूटर डिवाइस जरा सी लापरवाही की वजह से अटैक का शिकार हो सकते हैं। कई बार तो यूजर के डेटा पर इस तरह चोरी-छिपे अटैक होता है कि उसे पता तक नहीं चलता। स्मार्टफोन्स पर साइबर अटैक का सबसे आसान तरीका मैलिशस ऐप्स इंस्टॉल करवाना होता है। अब CyberNews टीम की ओर से की गई नई रिसर्च से साइबर अटैकर्स से एक नेटवर्क का पता चला है। कम से कम 27 ऐप डिवेलपर्स के सीक्रेट ग्रुप ने 101 ऐप्स तैयार किए हैं, जिन्हें आपके फोन में नहीं होना चाहिए।

सामने आए खतरनाक ऐप्स को करीब 7 करोड़ बार इंस्टॉल किया जा चुका है। डिवेलपर्स का यह नेटवर्क एकदूसरे के ऐप कॉपी करता है और उनके ज्यादातर ऐप्स पॉप्युलर ऐप्स से मिलते-जुलते हैं। साइबरन्यूज टीम का कहना है कि इस नेटवर्क से जुड़ी कई अजीब बातें सामने आई हैं। हर डिवेलपर का नाम दो शब्द का है और ज्यादातर वेस्टर्न नाम हैं। खास बात यह है कि डिवेलपर्स के नाम पूरी तरह फेक हैं और पॉप्युलर फुटबॉलर्स या सिलेब्स के नाम से मिलते-जुलते रखे गए हैं।

Advertisement

इसलिए फोन में ना रखें ये ऐप्स
सामने आए डिवेलपर्स के ऐप आपके फोन में क्यों नहीं होने चाहिए, इसकी कई वजहें हैं। ज्यादातर ऐप्स ढेरों परमिशंस मांगते हैं और ड्युप्लिकेट APK के साथ मैलिशस कोड इंस्टॉल कर सकते हैं। इन सभी ऐप्स की प्रिवेसी पॉलिसी एक जैसी है, जो Google Docs में ओपन होती है। ज्यादातर APK पॉप्युलर ऐप डिवेलपर्स से चुराए गए हैं और उनमें छेड़छाड़ की गई है। सभी ऐप्स से जुड़ी वेबसाइट का फायरबेस ‘website’ अधूरा है और url स्ट्रक्चर भी एक जैसा है। इतनी बातें साफ करती हैं कि ऐप्स बनाने का मकसद केवल यूजर्स को फंसाना है।

इस तरह पहचानें खतरनाक ऐप
ऐप्स किस हद तक खतरनाक हैं और अलर्ट रहना क्यों जरूरी है, इसे समझने का एक और तरीका है। खासकर यह देखना कि ऐप कौन सी परमिशन या ऐक्सेस मांग रहा है। कुछ उदाहरण दें, तो कॉल रिकॉर्डर ऐप कैमरा का ऐक्सेस मांगता है। इसी तरह कैल्कुलेटर ऐप कैमरा ऐक्सेस, फोटो एडिटिंग ऐप ऑडियो रिकॉर्ड करने की परमिशन और मेमोरी बूस्टर ऐप लोकशन ऐक्सेस मांगे तो Allow करने से पहले अलर्ट होना जरूरी है। यह आपकी प्रिवेसी और सिक्यॉरिटी के लिए खतरा हो सकता है।

Advertisement

हैक हो सकता है आपका फोन
ऐसे ऐप्स डेटा चुराने से लेकर मैलिशस कोड इंस्टॉल करने तक का काम कर सकते हैं और इनकी मदद से आपकी जासूसी की जा सकती है। एक बार मैलवेयर या रैंसमवेयर इंस्टॉल होने के बाद आपके फोन का कंट्रोल किसी अटैकर को मिल सकता है और वह आपका डिवाइस पूरी तरह लॉक भी कर सकता है। इसके अलावा कई ऐप्स डिवाइस में पॉप-अप ऐड दिखाने लगते हैं। डिवेलपर्स और उनके ऐप्स की लिस्ट नीचे दी गई है, इनमें से कोई भी ऐप आपके फोन में हो तो फौरन उसे अनइंस्टॉल कर दें,

Advertisement

Advertisement

 

Advertisement

Advertisement

Sabhar NBT

मिशन सन्देश न्यूज़ पोर्टल इसकी पुष्टि नहीं करता,और न ही इसका जिम्मेदार है

Advertisement

Related posts

RRB-NTPC एग्जाम के लिए बोर्ड का नया नोटिस जारी,आया ये बयान

Sayeed Pathan

3000 रुपए से भी कम में मिल रहा है ये स्मार्ट फोन, “पहले आओ पहले पाओ” के आधार पर लिया जा सकता है हिस्सा

Sayeed Pathan

सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक मेल आईडी के फुटर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर, NHRC के अधिकारी ने कहा मुझे नहीं पता ऐसे होता है हमारा इस्तेमाल

Sayeed Pathan
error: Content is protected !!