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मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे आज करेंगे कैबिनेट की बैठक,हो सकती है विधान परिषद चुनाव की तैयारी

मुंबई । चुनाव आयोग से 9 सीटों के लिए चुनाव कराने की सिफारिश कर सकती है सरकार उद्धव ठाकरे को विधान परिषद के लिए नामित करने का प्रस्ताव राज्यपाल के पास महामारी कोरोना वायरस से जूझ रहे महाराष्ट्र में सियासी हलचल तेज है.।

बुधवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे कैबिनेट मीटिंग करेंगे, जिसके बाद राज्य सरकार चुनाव आयोग से विधान परिषद की 9 सीटों के लिए चुनाव कराने की सिफारिश कर सकती है. चुनाव आयोग अगर सरकार की मांग को स्वीकार करता है तो उद्धव ठाकरे 28 मई से पहले विधान परिषद के लिए चुने जा सकते हैं. फिलहाल उद्धव ठाकरे को विधान परिषद के लिए नामित करने का प्रस्ताव राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के पास लंबित है.

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बता दें कि उद्धव ठाकरे ने पिछले साल 28 नवंबर को सीएम पद की शपथ ली थी. हालांकि वह किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं. संविधान के अनुसार, शपथ लेने के छह महीने के भीतर किसी भी सदन का सदस्य होना जरूरी है. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के लिए यह समयसीमा 28 मई को समाप्त हो रही है.

इससे पहले मंगलवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को विधान परिषद का सदस्य मनोनीत करने के प्रस्ताव को लेकर महा विकास अघाड़ी (MVA) का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिला. इस मामले में स्टेट कैबिनेट ने सोमवार शाम राज्यपाल को दूसरा रिमाइंडर भेजा था, जिसमें उद्धव ठाकरे को विधानसभा के ऊपरी सदन यानी विधान परिषद में नामित करने का आग्रह किया. इस संबंध में पहला पत्र 11 अप्रैल को भेजा गया था.

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राज्यपाल ने अस्वीकार किया तो क्या होगा?

राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मंत्रिमंडल की सिफारिश पर अभी तक कोई फैसला नहीं किया है. ऐसे में अगर वे प्रस्ताव को अस्वीकार कर देते हैं तो उद्धव ठाकरे के पास दो ही विकल्प होंगे. पहला, 3 मई को लॉकडाउन खत्म होने के तुरंत बाद चुनाव आयोग विधान परिषद की खाली पड़ी सीटों के लिए चुनाव का ऐलान करें और 28 मई से पहले चुनाव प्रक्रिया पूरी कर परिणाम घोषित करें, ताकि मुख्यमंत्री निर्वाचित सदस्य के रूप में सदन के सदस्य बन सकें ।

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विधान परिषद के चुनाव ना होने की स्थिति में उद्धव ठाकरे को इस्तीफा देना होगा और फिर दोबारा से शपथ लेनी होगी. हालांकि इस प्रक्रिया में एक बड़ा पेच यह है कि मंत्रिमंडल की समस्त शक्तियां मुख्यमंत्री में निहित हैं. अगर मुख्यमंत्री अपने पद से इस्तीफा देते हैं तो समूचे मंत्रिमंडल को इस्तीफा देना पड़ेगा और फिर से सभी मंत्रियों को शपथ दिलानी पड़ेगी.

 

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