- मन में न पालें कोई भय, कोरोना का ख़त्म होना तय
- आस-पास के वातावरण को सभी लोग मिलकर स्वस्थ बनाएं
- इमारत की करें हौसलाअफजाई न कि जगहंसाई
- “हमें बीमारी से लड़ना है न की बीमार से” संदेश को मानें
तिरस्कार नहीं तिलक करें:
मरीजों की कहानी नर्स की जुबानी :
खलीलाबाद सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में बने कोविड एल वन हास्पिटल में कोरोना पाजिटिव मरीजों की देखभाल करने वाली नर्स ममता (बदला हुआ नाम) का कहना है कि अस्पताल में आने पर मरीज शुरू-शुरू में बहुत परेशान रहते हैं, ठीक से बात तक नहीं करते । उनसे जब प्यार व संयम से पास बैठकर बात की जाती है और समझाया जाता है कि वह जल्दी ही ठीक हो जायेंगे, उनके सामने उदहारण भी पेश किया जाता है कि इतने लोग कोरोना को हराकर स्वस्थ होकर यहाँ से घर जा चुके हैं तब उनके व्यवहार में बदलाव नजर आता है । पहले सिस्टर कहकर संबोधित करने वाले मरीज इसके बाद दीदी कहकर बुलाते हैं और कहते हैं कि मेरे लिए भी “प्रार्थना ” कीजिये कि जल्दी स्वस्थ हो जाऊं । उनसे बातचीत के दौरान यही समझ में आया कि – वह शुरू में इसी चिंता में रहते हैं कि लोग उनके बारे में क्या सोचते होंगे, लौटने पर उनके साथ कैसा व्यवहार करेंगे । उनकी इन्हीं चिंता और सोच को जब दूर कर दिया जाता है तो उनके चेहरे पर एक अलग चमक नजर आती है । चिकित्सकों और हम लोगों की देखभाल से उनकी रिपोर्ट भी जल्दी ही निगेटिव आने लगती है ।
स्वास्थ्य विभाग संतकबीरनगर