माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी,
अभ्यर्थियों के इस पत्र को सत्यापित करने का कोई ज़रिया नहीं है. आप पत्र में लिखी बातों की जांच करा सकते हैं. यह निश्चित रूप से दुखद है कि आपके राज में 2018 में शुरू हुई OCT 49568 की प्रक्रिया अगस्त 2020 तक पूरी नहीं हुई है. पत्र से यह भी नहीं लगता कि कोई क़ानूनी अड़चन है.अत: ये भर्ती तो समय से पूरी हो सकती थी.
आप बिल्कुल न सोचें कि ये मेरे समर्थक हैं इसलिए मैं इनके लिए लिख रहा हूं, बल्कि ज़्यादातर मुझे नहीं जानते. मेरे काम को नहीं देखते. जो जानते हैं उनमें से बहुत मुझे गाली देने वाले हैं. नौकरी की देरी ने इन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया है. इस वजह से अपमान का घूंट पीते हुए मुझे पत्र लिख रहे हैं. ग्लानि तो होती होगी कि जिसे गाली दिए उसी से कहना पड़ रहा है. यह भी न सोचें कि मेरे पत्र लिखने से प्रभावित ये नौजवान मेरे प्रति बदल जाएंगे. बिल्कुल नहीं. बल्कि 2018 की नौकरी सीरीज़ से जिन्हें नौकरी मिली थी उनके कई नौजवान बताते हैं कि मेरी वजह से नौकरी मिलने के बाद भी जब उनके साथी मुझे गाली देते हैं तो उन्हें दुख होता है. वही कहते हैं कि सर आपने नौकरी सीरीज़ क्यों की. आप बंद कर दें. मैंने बंद कर दी. अब इनके दिमाग़ में जो जातिवाद और सांप्रदायिक नफ़रत का ज़हर है वो नहीं निकलेगा. नौकरी मिलते ही दहेज की रक़म भी तय करेंगे. इसलिए ऐसी क्वालिटी के नौजवानों से मैं कोई उम्मीद नहीं रखता.
अब सर आप भी देखिएगा. जब पोस्ट के बाद मुझे गाली पड़ेगी, मेरे बारे में भद्दी तस्वीर बना कर डाली जाएंगी तो यही चुप हो जाएंगे. इसलिए नहीं कि ये किसी से डरते हैं. बल्कि ये भी गाली देने वालों में से हैं. इन्हें बिल्कुल शर्म नहीं आती. हुआ यह होगा कि जब कोई रास्ता न दिखा होगा तो मेरा नंबर बंटा होगा. एक पोस्ट लिखा गया होगा. और तय हुआ होगा कि रवीश कुमार को भेजो. ऐसे कई पोस्ट अलग-अलग राज्यों से आते हैं. इतना अधिक मैसेज आता है कि मुझे ब्लॉक करना पड़ता है. एक दिन में पांच सौ से हज़ार. मेरे पास सचिवालय नहीं है कि सारे मैसेज पढ़ूं और जवाब दूं. उंगलियों के पोर में दर्द उखड़ गया है.
आप कहेंगे कि फिर मैं क्यों लिख रहा हूं? नियति ने मेरे लिए एक सज़ा तय की है. जो लोग मुझ पर थूकते हैं, गाली देते हैं, जान से मारने की धमकी देते हैं , मुझे उन्हीं की सेवा करनी है. इनके घरों में जो गोदी मीडिया देखा जाता है. ये वही देखते रहेंगे. इसलिए आप इन्हें अपना मानकर नौकरी दे दें. आप चाहेंगे तो हो जाएगा. 5 अगस्त को मंदिर के शिलान्यास के साथ एक भारत का उदय हुआ. नए भारत में पुराने भारत की इन लंबित भर्तियों को पूरा कर नई भर्तियां निकालें. आपका यश और फैलेगा.
आपने मेरा पत्र पढ़ा. शुक्रिया,
Source ndtv