बिहार में सरकारी अधिकारियों द्वारा शराब माफिया के साथ मिलकर तस्करी करने के आरोपों की जाँच के लिए सभी जिले के आरक्षी अधीक्षक को पत्र लिखने वाले एसपी का तबादला कर दिया गया है। एसपी ने अपने पत्र में लिखा था कि बिहार में शराबबंदी लागू होने के बावजूद भी हर थाने में शराब का धंधा चल रहा है और इसमें जनप्रतिनिधि भी शामिल हैं। इस पत्र के वायरल होने के बाद मद्य निषेध विभाग के एसपी राकेश कुमार सिन्हा का अचानक से तबादला कर दिया गया है।
6 जनवरी को सभी जिलों के एसपी को लिखे एक पत्र में एसपी राकेश कुमार सिन्हा ने कहा था कि बिहार में शराब की खरीद बिक्री पर पूरी तरह से रोक है और इसके लिए एक कानून भी लाया गया है। लेकिन इसके बावजूद बिहार के सभी थाना क्षेत्र में चोरी छिपे उत्पाद विभाग में कार्यरत इंस्पेक्टर, दारोगा और पुलिसकर्मियों को रिश्वत देकर माफिया शराब खरीद बिक्री का धंधा कर रहे हैं।
साथ ही पत्र में यह भी लिखा गया है कि पिछले कई वर्षों में बिहार के उत्पाद विभाग में कार्यरत इंस्पेक्टर, दारोगा और पुलिसकर्मियों के रिश्तेदारों की संपत्ति की जांच कराई जाए तो गुमनाम संपत्ति का खुलासा हो सकता है। पत्र में राकेश कुमार ने यह भी कहा था कि शराब के धंधे में लिप्त लोगों के मोबाइल को सर्विलांस पर रखा जाए तो सारी सच्चाई सामने आ जाएगी।
हालाँकि एसपी राकेश कुमार सिन्हा के द्वारा लिखे गए इस पत्र को पुलिस विभाग ने निरस्त कर दिया है। इसके साथ ही राकेश कुमार सिन्हा को मद्य निषेध विभाग से हटाकर पटना स्पेशल ब्रांच का एसपी बना दिया गया है। राकेश कुमार की जगह संजय सिंह को मद्य निषेध विभाग का नया एसपी बनाया गया है।
राकेश कुमार सिन्हा के तबादले पर विपक्ष ने सरकार के कामकाज पर सवाल उठाया था। विपक्ष को जवाब देते हुए बिहार के डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद ने कहा था कि ट्रांसफर पोस्टिंग का काम सरकार का होता है ना कि विपक्ष का। साथ ही उन्होंने कहा था कि अब तेजस्वी यह नहीं तय करें कि कौन अधिकारी कहाँ रहेंगे. साथ ही उन्होंने वायरल पत्र के सवाल पर कहा था कि इस मामले में सरकार कारवाई कर रही है। हालाँकि एसपी राकेश कुमार सिन्हा के साथ छह और आईपीएस अधिकारियों का भी तबादला किया गया है।