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अंतरराष्ट्रीय

पड़ोसी देश म्यांमार में तख्ता पलट, राष्ट्रपति सहित सत्तारूढ़ दल के कई नेता हिरासत में

भारत के पड़ोसी देश म्यांमार से बड़े राजनीतिक उठा-पटक की खबर आ रही है। म्यामांर की सबसे बड़ी नेता आंग सान सू की, राष्ट्रपति और सत्तारूढ़ पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में लिया गया है और बताया जा रहा है कि सेना तख्तापलट कर दिया है। म्यामांर मिलिट्री टेलीविजन के मुताबिक, सेना ने एक साल के लिए देश को अपने नियंत्रण में ले लिया है। बताया जा रहा है कि ये कदम सरकार और शक्तिशाली सेना के बीच बढ़ते तनाव के बाद उठाया गया है जो चुनाव के बाद भड़की हुई है।

बताया जा रहा है कि सेना ने आंग सान सू की को हाउस अरेस्ट के तहत हिरासत में ले लिया है। इतना ही नहीं, म्यांमार की राजधानी Naypyitaw में संचार के सभी माध्यमों को बैन कर दिया गया है। फोन और इंटरनेट सर्विस को निलंबिद कर दिया गया है और आंग सान सू की की पार्टी नेशनल लीग डेमोक्रेसी पार्टी तक एक्सेस को भी खत्म कर दिया गया है।

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-म्यांमार में तख्ता पलट की आशंका के बीच स्टेट काउंसलर आंग सान सू की के साथ-साथ राष्ट्रपति विन म्यांत को हिरासत में लिया गया है।

-नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी के प्रवक्ता मायो न्यांट ने बताया कि म्यांमार की काउंसलर आंग सान सू की और देश की सत्तारूढ़ पार्टी के अन्य वरिष्ठ लोगों को सुबह हुई छापेमारी में हिरासत में लिया गया है। बता दें कि पिछले वर्ष आठ नवंबर को हुए आम चुनाव में व्यापक धांधली के बाद सेना द्वारा जनवरी में तख्ता पलट की आशंका व्यक्त की जा रही थी।

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पिछले साल के चुनाव के बाद म्यामांर के सांसद राजधानी नेपीता में संसद के पहले सत्र के लिए सोमवार को एकत्रित होने वाले थे। हालांकि, सेना के हालिया बयानों से सैन्य तख्तापलट की आशंका दिख रही थी। सू ची की पार्टी ने संसद के निचले और ऊपरी सदन की कुल 476 सीटों में से 396 पर जीत दर्ज की थी जो बहुमत के आंकड़े 322 से कहीं अधिक था। लेकिन वर्ष 2008 में सेना द्वारा तैयार किए गए संविधान के तहत कुल सीटों में 25 प्रतिशत सीटें सेना को दी गयी हैं जो संवैधानिक बदलावों को रोकने के लिए काफी है। कई अहम मंत्री पदों को भी सैन्य नियुक्तियों के लिए सुरक्षित रखा गया है।

सू ची (75) देश की सबसे अधिक प्रभावी नेता हैं और देश में सैन्य शासन के खिलाफ दशकों तक चले अहिंसक संघर्ष के बाद वह देश की नेता बनीं।
म्यामांर में सेना को टेटमदॉ के नाम से जाना जाता है। सेना ने चुनाव में धोखाधड़ी का आरोप लगाया हालांकि वह इसके सबूत देने में नाकाम रही। देश के स्टेट यूनियन इलेक्शन कमिशन ने पिछले सप्ताह सेना के आरोपों को खारिज कर दिया था।

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इन आरोपों से पिछले सप्ताह उस वक्त राजनीतिक तनाव पैदा हो गया जब सेना के एक प्रवक्ता ने अपने साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन में एक पत्रकार के सवाल के जवाब में सैन्य तख्तापलट की आशंका से इनकार नहीं किया। मेजर जनरल जॉ मिन तुन ने कहा था कि सेना ”संविधान के मुताबिक कानून का पालन करेगी।

कमांडर इन चीफ सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग ने भी बुधवार को वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर कानून को सही तरीके से लागू नहीं किया गया तो संविधान को रद्द कर दिया जाएगा। इसके साथ ही देश के कई बड़े शहरों की सड़कों पर बख्तरबंद वाहनों की तैनाती से सैन्य तख्तापलट की आशंका बढ़ गयी।

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हालांकि शनिवार को सेना ने तख्तापलट की धमकी देने की बात से इनकार किया और अज्ञात संगठनों एवं मीडिया पर उसके बारे में भ्रामक बातें फैलाने तथा जनरल की बातों को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया। सेना ने रविवार को भी अपनी बात दोहराते हुए तख्तापलट की आशंका को खारिज किया और इस बार उसने विदेशी दूतावासों पर सेना के बारे में भ्रामक बातें फैलाने का आरोप लगाया।

अमेरिका में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के अधिकारियों और विदेश मंत्रालय ने कहा कि वे म्यामांर में हो रहे घटनाक्रम की खबरों से अवगत हैं हालांकि वे तख्तापलट और नेताओं को हिरासत में लिये जाने की पुष्टि नहीं कर सके।

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