केंद्र सरकार ने एक बार फिर निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों को विभिन्न सरकारी विभागों व मंत्रालयों में तैनात करने का निर्णय लिया है। निजी कंपनियों में बड़े पदों पर कई साल का काम करने वाले अपने-अपने क्षेत्र के इन विशेषज्ञों को सरकार में संयुक्त सचिव व निदेशक जैसे अहम निर्णायक पद पर अनुबंध के तहत तैनात किया जाएगा।
इसके लिए संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने केंद्रीय कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) से मिले निर्देश के आधार पर 30 पदों के लिए लेटरल एंट्री के तहत 6 फरवरी से 22 मार्च तक आवेदन मांगे हैं।
दरअसल, मंत्रालयों या केंद्रीय विभागों में अभी तक सिविल सेवा परीक्षा या अन्य केंद्रीय सेवाओं के जरिये चुने गए लोगों को ही अपने करियर में एक लंबा समय बिताने के बाद संयुक्त सचिव पद पर तैनात किया जाता है। लेकिन केंद्र सरकार लगातार अपने कामकाज में पेशेवर रवैया लाने की कोशिश कर रही है।
इसी कवायद के तहत निजी क्षेत्र के अनुभवी लोगों को संयुक्त सचिव या निदेशक (ग्रुप-ए) स्तर पर सीधे तैनात किया जाएगा। कार्मिक मंत्रालय के मुताबिक, विभिन्न विभागों में प्रतिभावान लोगों की नियुक्ति के लिए की जा रही इस भर्ती के तहत 3 साल के अनुबंध पर तैनाती मिलेगी। इस अनुबंध को 5 साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है।
भर्ती की विस्तृत जानकारी 6 फरवरी से यूपीएससी की वेबसाइट पर अपलोड कर दी जाएगी। कार्मिक मंत्रालय के मुताबिक, आवेदन करने वालों में से सीधे इंटरव्यू के लिए उम्मीदवारों की छंटनी की जाएगी। इंटरव्यू में प्रदर्शन के आधार पर 30 पदों पर चुने गए उम्मीदवारों का नाम घोषित किया जाएगा। इस भर्ती के लिए सरकारी नौकरी कर रहे उम्मीदवार आवेदन नहीं कर सकते हैं।
2018 में भी चुने गए थे नौ विशेषज्ञ
इससे पहले जून, 2018 में पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर सरकार ने निजी क्षेत्र से विशेषज्ञ लाने का अभियान शुरू किया था। उस समय भी सीधी भर्ती के तहत संयुक्त सचिव स्तर के पदों के लिए आवेदन मांगे गए थे। उस भर्ती में आवेदन करने वाले 6077 लोगों में से नौ को संयुक्त सचिव के तौर पर तैनाती मिली थी।
कहां किस पद पर नियुक्ति मिलेगी
संयुक्त सचिव पद : उद्योग व वाणिज्य मंत्रालय, राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय, कृषि व कृषक कल्याण मंत्रालय।
निदेशक पद : उद्योग व वाणिज्य मंत्रालय, वित्तीय सेवाएं विभाग, आर्थिक मामले विभाग, कृषि व कृषक कल्याण मंत्रालय, कानून व न्याय मंत्रालय, स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग, उच्च शिक्षा विभाग, उपभोक्ता मामले मंत्रालय, खाद्य व सार्वजनिक वितरण मंत्रालय, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय, सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय, जल शक्ति मंत्रालय, नागरिक उड्डयन मंत्रालय और कौशल विकास व उद्यमिता मंत्रालय।