इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक़, सुप्रीम कोर्ट के एक जज ने जब इंदौर के मुख्य न्यायिक मैजिस्ट्रेट को शनिवार देर रात फ़ोन किया और उनसे सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर मुनव्वर फ़ारूक़ी के प्रोडक्शन वॉरंट पर लगाई गई रोक और अंतरिम ज़मानत से जुड़े आदेश को चेक करने के लिए कहा, तब जाकर कॉमेडियन मुनव्वर फ़ारूक़ी को इंदौर की जेल से रिहा किया गया.
इससे पहले दिन में इंदौर जेल प्रशासन ने फ़ारूक़ी को ये कहते हुए रिहा करने से इनकार कर दिया था कि उन्हें प्रयागराज के सीजेएम यानी मुख्य न्यायिक मैजिस्ट्रेट की ओर से उनके पहले जारी किए गए प्रोडक्शन वॉरंट को रोकने को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी मिली है.
अख़बार से बात करते हुए इंदौर सेंट्रल जेल के अधीक्षक, राजेश बांगडे ने कहा, “हमें पहले ये आदेश नहीं मिला था, हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने इंदौर के मुख्य न्यायिक मैजिस्ट्रेट को फ़ोन किया और उन्हें वेबसाइट पर अपलोड किए गए आदेशों को चेक करने के लिए कहा और कहा कि अगर ये पहले ही अपलोड हो गए हैं, तो इनका अनुपालन करें. हमने साइट चेक की और देखा कि ये अपलोड थे, इसलिए रात 11 बजे छोड़ा गया.”
इंदौर के तुकोगंज पुलिस स्टेशन में दर्ज एक मामले में मुनव्वर को अंतरिम ज़मानत देते हुए जस्टिस आर एफ़ नरीमन की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने उत्तर प्रदेश के जॉर्ज टाउन पुलिस स्टेशन में कॉमेडियन के ख़िलाफ़ दर्ज एक अन्य मामले के संबंध में जारी प्रोडक्शन वॉरंट पर रोक लगा दी थी.
हालांकि, शीर्ष अदालत के आदेश के एक दिन बाद, जेल विभाग के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि उन्हें प्रयागराज की सीजेएम अदालत से कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है, जिसमें उन्हें प्रोडक्शन वॉरंट पर रोक के बारे में बताया गया हो.