मशहूर अदीब व दानिश्वर प्रोफेसर गोपी चंद नारंग आज ही के दिन 11 फरवरी सन 1931 ईस्वी को बलूचिस्तान में श्री धर्म चंद नारंग के घर पैदा हुए। आप की प्रारंभिक शिक्षा बलूचिस्तान में हुई। फिर आप उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए दिल्ली गए, जहाँ पर आप ने सन 1954 ईस्वी में दिल्ली विश्व विद्यालय से एम ए किया, और सन 1958 ईस्वी में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की।
तालीम मुकम्मल करने के बाद गोपी चंद नारंग जी दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज में बतौर लेक्चरर नियुक्त हुए। तत्पश्चात दिल्ली विश्व विद्यालय में सन 1959 ईस्वी में बतौर लेक्चरर आप का तक़र्रुर हुआ, इसी बीच सन 1981 में आप जामिआ मिल्लिया नई दिल्ली के कार्यकारी वाइस चांसलर भी बनाए गए। फिर सन 1986 में आप ने दिल्ली युनिवर्सिटी में प्रोफेसर के पद को ज़ीनत बख़शी। रिटायरमेंट के बावजूद भी आप आज भी दिल्ली यूनिवर्सिटी के आनरेरी प्रोफेसर हैं। सन 1996 में आप को दिल्ली उर्दू एकेडमी का वाइस चेयरमैन का ओहदा सौंपा गया।
साथ ही साथ गोपीचंद नारंग सन 2002 ईस्वी में साहित्य अकादमी के अध्यक्ष पद पर भी फाएज़ हुए। यह पहला मौक़ा था कि उर्दू भाषा का कोई साहित्यकार साहित्य एकेडमी का अध्यक्ष बना। उन से पहले अब तक कोई उर्दू भाषी अदीब इस एकेडमी का अध्यक्ष नहीं बन सका था। 20 फरवरी सन 2008 ईस्वी में साहित्य एकेडमी की अध्यक्षता समाप्त हुई। इस मुख़तसर से दौर में नारंग जी ने उर्दू ज़बान की इस क़दर सेवा की कि जिसे इस छोटी सी तहरीर में लिख पाना संभव नहीं।
प्रोफेसर गोपी चंद नारंग को उर्दू भाषा के बड़े साहित्यकारों की श्रेणी में रखा जाता है। आप को हिंद व पाक दोनों देशों में सम्मान की नज़रों से देखा जाता है। आप जहाँ भारत में पद्मभूषण, पद्मश्री जैसे दर्जनों पुरस्कार प्राप्त करते हैं, वहीं पाकिस्तान में भी सितारए इम्तियाज सहित विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किए जाते हैं। इस के अतिरिक्त इटली से गोल्ड मेडल, शिकागो से अमीर खुसरो एवार्ड, कनाडा से गालिब एवार्ड और यूरोपियन उर्दू राइटर्स सोसायटी एवार्ड से भी आप को मनोनीत किया जा चुका है।
हिंदुस्तान की तहरीके आज़ादी और उर्दू शाएरी, हिन्दुस्तानी किस्सों से माख़ूज उर्दू मसनवियाँ, उर्दू की तालीम के लिसानियाती पहलू, सफर आशना, रीडिंग्ज इन उर्दू प्रोज, उसलूबियाते मीर, नई किरन, नई रौशनी, पढ़ो और बढ़ो, उर्दू की नई किताब, इमला नामा सहित 5 दर्जन से ज़्यादा पुस्तकें आप के कलम से अब तक निकल कर छप चुकी हैं। हम उम्मीद और आशा करते हैं कि आइंदा लम्बे समय तक मोहतरम गोपी चंद नारंग इसी तरह उर्दू ज़बान व अदब के गेसू संवारते रहेंगे।
मुहम्मद सलमान आरिफ नदवी।
परसादपुर, सेमरियावाँ, तप्पा उजियार।
संत कबीर नगर, उ•प्र•