तालिबान ने अफगानिस्तान पर पूरी तरह से अपना वर्चस्व कायम कर लिया है। वहां के नागरिक देश छोड़कर दूसरे देशों की ओर भाग रहे हैं। काबुल एयरपोर्ट पर इकट्ठी भीड़ में भगदड़ मची हुई दिखाई दे रही है। अफगानिस्तान से आने वाली तस्वीरें पूरी दुनिया को चिंतित कर रही हैं । भारत में भी सभी पार्टियों के नेता इसको लेकर अपना बयान दे रहे हैं। AIMIM के प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मैंने पहले ही कहा था कि तालिबान से संवाद स्थापित किया जाना चाहिए।
अपने इसी बयान पर असदुद्दीन ओवैसी सोशल मीडिया पर ट्रोल हो रहे हैं। दरअसल उन्होंने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए ट्वीट किया है। उन्होंने अपने लोकसभा में दिए गए भाषण का वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा कि 2013 की शुरुआत में मैंने केंद्र को आगाह किया था कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी तय है। मैंने कहा था कि अफगानिस्तान में हमारे हितों की रक्षा के लिए तालिबानियों के साथ एक राजनयिक स्तर पर संवाद स्थापित हो।
उन्होंने यह भी कहा है कि 2019 में भी मैंने अफगानिस्तान में तालिबान की गतिविधियों को लेकर अपनी बात संसद में दोहराया था। तालिबान के साथ अमेरिका और पाकिस्तान मास्को में बातचीत कर रहे थे। उस वक्त पीएमओ ये गिन रहा था कि पीएम ने कितनी बार ट्रंप को गले लगाया है। ओवैसी ने कहा कि आज हमें यह तक नहीं पता है कि अफगानिस्तान के संकट में सरकार की नीति क्या है?
उनके उसी ट्वीट पर लोग उन्हें ट्रोल कर रहे हैं। एक टि्वटर हैंडल से कमेंट किया गया कि इन्हें अफगान की नागरिकता दे दो भाई। पूरे फैमिली के साथ वहां सेटल होकर बढ़िया बिजनेस करेंगे। साथ में राजनीति भी करेंगे। उनका और उनके परिवार का नाम दुनिया भर में मशहूर होने का टाइम आया रे बाबा। जल्दी से भेज दो ओवैसी को अफगानिस्तान, महाशय खुश होंगे? बीजेपी नेता सुनील यादव ने लिखा कि अफगानिस्तान में तालिबान का आतंक राज चल रहा है वहां तुम्हें लोकतंत्र और इस्लाम दोनों मिलेंगे दौड़े चले जाओ। भारत में गद्दारों का कोई स्थान नहीं है।
एक टि्वटर अकाउंट से लिखा गया कि संवाद करने के लिए असदुद्दीन ओवैसी को भी भेज दिया जाए और दोबारा यह मत लाइएगा। @ShankarBhawani टि्वटर अकाउंट से कमेंट आया कि आतंक से दोस्ती करें यह कहना चाहते हैं क्या ये नेता जी? एक ट्विटर यूजर ने लिखा कि लो खुलकर आ गए तालिबान के पैरवीकार। @vikramjangid ट्विटर अकाउंट से लिखा गया कि अरे सीधा सीधा क्यों नहीं कहते कि तालिबानियों से हाथ मिलाना चाहिए। बात को घुमा क्यों रहे हो?