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संतकबीरनगर

जेई/एईएस केस मैनेजमेण्ट के बारे में चिकित्सा अधिकारी किए गए प्रशिक्षित

  • टाइम मैनेजमेण्ट, रोग की पहचान और रेफरल तकनीक के बारे में दी गई जानकारी
  • किसी भी संभावित जेई व एईएस मरीज की तुरन्त बनाएं केस हिस्ट्री

संतकबीरनगर । कोई भी एईएस ( एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिण्ड्रोम ) या जेई ( जैपनीज इंसेफेलाइटिस ) का मरीज अगर आपकी स्वास्थ्य इकाई में आता है तो उसकी तुरन्त ही केस हिस्ट्री बनाई जाय। मसलन उसे बुखार कब हुआ, उसने कहां से दवा ली, कितने समय में वह अस्पताल में पहुंचा। उसके क्षेत्र में जेई व एईएस के वाहक मच्छरों की स्थिति आदि के बारे में पूरी जानकारी लेने के साथ ही समय-समय पर तापमान लें और उसे बीएसटी में नोट करें, ताकि इलाज करने वाले चिकित्सक को सारी सूचनाएं एक जगह मिल जाएं और उसके उपचार में सुविधा हो ।

यह बातें अपर मुख्य चिकित्साधिकारी वेक्टर बार्न डिजीज डॉ. वी. पी. पाण्डेय ने एईएस/ जेई केस मैनेजमेण्ट एवं उपचार के लिए चिकित्सा अधिकारियों के एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहीं। एसीएमओ डॉ मोहन झा ने बताया कि एईएस व जेई के रोगियों के पहचान, उपचार व रिपोर्टिंग के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होने कहा कि जेई व एईएस के उपचार में सबसे महत्वपूर्ण टाइम मैनेजमेण्ट होता है। जिले में छह ईटीसी, दो मिनी पीआईसीयू ( पिडियाट्रिक इंटेन्सिव केयर यूनिट ) तथा जिला चिकित्‍सालय में 10 बेड का पीयूआईसीयू मौजूद है। अगर कोई मरीज ईटीसी पर आता है तो हम किस तरह से उसके अन्‍दर लक्षणों को देखकर 108 व 102 एम्‍बुलेन्‍स की सहायता से जिला अस्‍पताल रेफर करें और किन निर्देशों के साथ रेफर करें यह भी महत्‍वपूर्ण है। प्रशिक्षक डॉ. डी. पी. सिंह ने बताया कि मरीज की क्लिनिकल जांच के साथ ही यह भी महत्‍वपूर्ण है कि हम यह आकलन कर लें कि कितने समय के अन्‍दर मरीज को रेफर कर देना चाहिए, ताकि बीमारी का निर्धारण होने के साथ ही उसका इलाज भी हो सके। प्रशिक्षक व निश्चेतक डॉ. संतोष त्रिपाठी ने बताया कि इन बीमारियों के इलाज के लिए यह जरुरी है कि हम अपने सिस्‍टम को दुरुस्‍त रखें। जब हमारा सिस्‍टम दुरुस्‍त रहेगा और बेहतर तरीके से मैनेज होगा तो बीमारी के चलते मौतों और दिव्यांगता के मामलों को रोका जा सकता है। इपिडेमियोलाजिस्‍ट डॉ मुबारक अली ने जेई / एईएस के उपचार के लिए आवश्‍यक सुविधाओं के बारे में विस्‍तार से जानकारी दी। साथ ही मिनी पीआईसीयू तथा पीआईसीयू में मौजूद सुविधाओं की भी जानकारी दी। जिले में जितने भी 108 व 102 एम्‍बुलेन्‍स हैं उनमें ड्यूटी देने वाले सभी कर्मचारी जेई/ एईएस के मरीजों के उपचार के साथ ही शीघ्र केन्‍द्र पर पहुंचाने के लिए प्रशिक्षित किए गए हैं।

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प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान चिकित्‍सकों ने प्रशिक्षकों से सवाल जवाब भी किए, जिसका प्रशिक्षकों ने उत्‍तर दिया तथा उनकी जिज्ञासा को शान्‍त किया। डॉ यासिर, डॉ जितेन्द्र, डॉ राजेश चौधरी, डॉ विनय सोनी, डॉ रंजीत अग्रहरि के साथ ही भारी संख्या में चिकित्सकगण उपस्थित थे।

ज्‍वर कोई भी हो, तुरन्‍त कराएं इलाज – सीएमओ

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सीएमओ डॉ. इन्द्रविजय विश्वकर्मा ने बताया कि किसी को कोई भी ज्‍वर हो, तुरन्‍त ही मरीज को नजदीकी प्राथमिक व सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र ले जाएं। इसके लिए 102 व 108 एम्‍बुलेन्‍स का प्रयोग करें। सरकारी चिकित्‍सालयों में जेई/ एईएस के जांच व इलाज की सुविधा मौजूद है। तुरन्‍त इलाज शुरू हो जाने से बीमारी की जटिलता बढ़ने की आशंकाएं कम हो जाती हैं। दस्‍तक अभियान से लोगों के अन्‍दर जागरूकता आई है और मरीजों की संख्‍या घटी है।

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