दिल्ली । जुलाई 2008, यही वह दिन था जब 70 मिनट के दौरान 21 बम धमाकों ने अहमदाबाद की रूह को हिलाकर रख दिया। शहर भर में हुए इन धमाकों में कम से कम 56 लोगों की जान गई, जबकि 200 लोग घायल हुए। धमाकों की जांच-पड़ताल कई साल चली और करीब 80 आरोपियों पर मुकदमा चला।
13 साल से भी ज्यादा पुराने इस मामले में आज एक स्पेशल कोर्ट की तरफ से फैसला सुनाए जाने की उम्मीद है। सीनियर पब्लिक प्रोसिक्यूटर सुधीर ब्रह्मभट्ट ने बताया कि मामले की सुनवाई कर रहे स्पेशल जज एआर पटेल कोरोना संक्रमित होकर आइसोलेशन में चले गए थे, जिसके चलते फैसले की तारीख को 1 फरवरी से बढ़ा दिया गया था। अब वे ठीक होकर लौट आए हैं, ऐसे में आज ही इस मामले में फैसला आ सकता है।
गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के जवाब में किए गए थे ब्लास्ट
पुलिस ने दावा किया था आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (IM) और बैन किए गए स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) से जुड़े लोगों ने शहर में ब्लास्ट कराए हैं। पुलिस का मानना था कि IM के आतंकियों ने 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के जवाब में ये धमाके किए।
12 साल चला ट्रायल
2009 में ट्रायल तब शुरू हुए जब करीब 35 केसों को मिलाकर एक बड़ा केस बनाया गया। अहमदाबाद में ब्लास्ट वाली लोकेशन में और सूरत में जहां पुलिस को बम मिले, वहां FIR दर्ज कराई गईं। लंबे चले मुकदमे में कई घुमाव और मोड़ आए। प्रॉसिक्यूशन ने जज एआर पटेल के सामने 1,100 से ज्यादा गवाहों से पूछताछ की।
सुरक्षा के लिहाज से इस हाईप्रोफाइल केस में शुरुआती ट्रायल साबरमति जेल के अंदर किए गए। अधिकतर सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की गईं। मर्डर, कर्डर की कोशिश और क्रिमिनल कॉन्सपिरेसी के अलावा आरोपियों पर एंटी-टेरर कानून के तहत भी मुकदमा दायर किया गया।