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संतकबीरनगर

बेलहर ब्लॉक के 47 लोगों ने फाइलेरिया रोधी दवा खाने से किया था इनकार, विभागीय टीम के समझाने के बाद खाई दवा

संतकबीरनगर । फाइलेरिया से मुक्ति के लिए चलाए जा रहे सर्वजन दवा सेवन ( एमडीए ) अभियान के दौरान जिले के सेमरियांवा और बेलहरकला ब्लॉक के दो गांवों के 47 लोगों ने फाइलेरिया रोधी दवा खाने से इनकार कर दिया। इस बात की जानकारी होने के बाद जिला फाइलेरिया अधिकारी/ मलेरिया निरीक्षक प्रेम प्रकाश कुमार अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। वहां पर वह उन लोगों के घर गए जिन लोगों ने दवा खाने से इनकार कर दिया था। लोगों को दवा के महत्‍व के बारे में बताया तो वह फाइलेरिया की दवा को खाने के लिए तैयार हो गए। इसके बाद टीम ने उनको अपने सामने ही दवा खिलाई।

अपर मुख्‍य चिकित्‍साधिकारी वेक्‍टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम डॉ वी पी पांडेय ने बताया कि एमडीए अभियान के दौरान जिले के सेमरियांवा ब्‍लाक के जिगिना गांव में 26 लोगों तथा बेलहरकला ब्लॉक के रमवापुर गांव में 21 लोगों ने फाइलेरिया की दवा खाने से इनकार कर दिया था। इस बात की जानकारी वहां की आशा कार्यकर्ताओं को दी तो तुरन्‍त ही जिला मुख्‍यालय से प्रभारी फाइलेरिया अधिकारी / मलेरिया निरीक्षक प्रेमप्रकाश कुमार तथा दीपक यादव को मौके पर भेजा गया। वहां पर प्रेम प्रकाश कुमार व दीपक ने लोगों को फाइलेरिया रोग के दुष्‍प्रभाव के साथ ही दवा के महत्‍व के बारे में बताया। साथ ही उनको सीएमओ व अन्‍य चिकित्‍साधिकारियों की दवा खाते हुए फोटो दिखाया। इसके बाद इन दोनों गांवों के लोग दवा खाने के लिए तैयार हो गए। इन सभी लोगों को टीम ने अपने सामने ही दवा खिलाई। प्रेम प्रकाश कुमार ने बताया कि जिगिना गांव के 26 लोगों के अन्‍दर किसी ने इस बात का भय पैदा कर दिया था कि दवा खाते ही उल्‍टी होने लगेगी और बेचैनी और घबराहट होगी। फाइलेरिया भी उभर सकता है। इन बातों के भय को समाप्‍त किया गया। वहीं रमवापुर गांव में किसी ने नपुंसकता की बात फैला दी थी, जिससे 21 लोगों ने दवा नहीं खाई थी। इन लोगों के भय को चिकित्‍साधिकारियों की दवा खाते हुए फोटो दिखाकर दूर किया गया। र‍मवापुर की आशा कार्यकर्ता सरेमा देवी बताती हैं गांव की आबादी करीब 1100 है। फाइलेरिया की दवा को खाने से 21 लोगों ने इनकार किया था। जब जिले से टीम आई और लोगों समझाया तो वह दवा खाने के लिए राजी हो गए।

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जिगिना में टीम को एक घंटा रुकना भी पड़ा

सेमरियांवा के जिगिना गांव में आशा कार्यकर्ता पालिका कुमारी के द्वारा जानकारी देने पर जिले से पहुंची टीम ने जब लोगों को दवा खिलाई, इसके बाद लोगों ने कहा कि आप लोग भी यहां पर एक घंटे रुकिए। टीम के प्रभारी प्रेमप्रकाश कुमार ने कहा कि हम कितनी भी देर रुक सकते हैं। टीम के लोग वहां पर एक घंटा रुके रहे। जब किसी को कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं हुआ तो टीम मौके से वापस आई।

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इसलिए दवा खाना है जरूरी – डॉ. मौर्या

जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ आर पी मौर्या बताते हैं कि फाइलेरिया एक ऐसा रोग है जिससे किसी की मृत्‍यु तो नहीं होती है, लेकिन वह जिंदगी को बोझिल बना देता है। फाइलेरिया के परजीवी की वाहक मादा क्‍यूलेक्‍स मच्छर है। फाइलेरिया के कृमि मानव शरीर में पांच से 15 साल तक सुषुप्तावस्था में पड़े रहते हैं। इस दौरान अगर कोई व्यक्ति पांच साल लगातार, साल में एक बार फाइलेरिया रोधी दवा खा लेता है तो उसके अन्‍दर फाइलेरिया के परजीवी समाप्त हो जाते हैं। इसलिए साल में एक बार खिलाई जाने वाली फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन अवश्य करें।

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दवा खिलाने वाली टीम को अवश्य दें जानकारी – डॉ पांडेय

अपर मुख्‍य चिकित्‍साधिकारी वेक्‍टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम डॉ वी पी पांडेय ने कहा है कि किसी के भी पैर में सूजन हो, चित्तीदार दाग हों, अंडकोष बढ़ा हुआ हो, स्तनों के आकार अलग अलग हो, पैर में लाल चकत्ते हो गए हों। वह इस बात की जानकारी दवा खिलाने के लिए जाने वाली टीम को अवश्य दें। टीम को इस बात की जानकारी हो तो वह यह बात अपने सुपरवाइजर के साथ ही संबंधित क्षेत्र के चिकित्‍साधिकारी को भी दें। ताकि उनके रोग के प्रभाव को बढ़ने से रोका जा सके।

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