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संतकबीरनगरस्वास्थ्य

फाइलेरिया जीवन को बोझ बना देता है, जानिए क्यों और कैसे होती है ये बीमारी और किस दवा से होती दूर

  • 61 प्रतिशत लोगों ने खाई फाइलेरिया रोधी दवाएं, आइए मिलकर फाइलेरिया मिटाएं
  • सभी लोगों को फाइलेरिया से  बचाव के लिए फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन जरुरी
  • समाज के सहयोग से ही जिले को किया जा सकता है फाइलेरिया   मुक्‍त

संतकबीरनगर । फाइलेरिया उन्‍मूलन के लिए जिले में गत 10 अगस्‍त से 28 अगस्‍त तक फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन समुदाय को कराया जा रहा है। इस अभियान के तहत अब तक 10.6 लाख लोगों को फाइलेरिया  रोधी दवा  खिलाई जा चुकी है। अब तक कुल लक्षित आबादी के 61 प्रतिशत लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा खिलाई जा चुकी है।

अपर मुख्‍य चिकित्‍सा अधिकारी वेक्‍टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम डॉ वी पी पांडेय ने   ब‍ताया कि जिले में 1598 टीम लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा  खिला रही हैं। आशा कार्यकर्ता  के घर को दवा का डिपो बनाया गया है, जहां छूटे हुए लोग दवा का सेवन कर सकते हैं। जहां आशा कार्यकर्ता नहीं हैं वहां पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का घर डिपो के रुप में काम कर रहा है। जिला चिकित्‍सालय तथा सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र व प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र में स्‍थायी बूथ बना है। लोग वहां पर जाकर स्‍वास्‍थ्‍य इकाई खुलने से लेकर बन्‍द होने तक बचाव की  दवा का सेवन कर सकते हैं। सरकारी कार्यालयों, बाल गृहों तथा वृद्धाश्रमों के लिए दो टीम अलग से बनाई गयी है।

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 उन्होंने कहा कि जिले को फाइलेरिया जैसी बीमारी से मुक्‍त कराने के लिए यह जरुरी है कि हम अधिकाधिक लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा  का सेवन करवा दें।  यह एक ऐसा रोग है  जिससे मृत्यु तो नहीं होती है, लेकिन यह जीवन को  बोझ बना देता है। मादा क्‍यूलेक्‍स मच्‍छर इस रोग का वाहक होता है। फाइलेरिया रोधी दवा को खाकर  इस बीमारी से बच सकते हैं।

खलीलाबाद  ब्लॉक क्षेत्र के बन्‍हैता गांव के निवासी 38 वर्षीय उपेन्‍द्र चौधरी चुरेब कस्‍बे  में आयुर्वेदिक दवाओं के व्‍यवसाई हैं।  बताते हैं कि फाइलेरिया रोग से बचने के लिए यह जरुरी है कि हम सभी लोग फाइलेरिया की दवा खाएं। वैद्य डॉ इंद्रेश ने उन्‍हें फाइलेरिया से बचाव के एमडीए अभियान के बारे में बताया और फाइलेरिया रोधी दवाओं के सेवन के लिए प्रेरित किया। इसके बाद उन्‍होनें अपने गांव की आशा कार्यकर्ता मीरा से गत 15 अगस्‍त को दवा खाई तथा अपने परिवार के 14 सदस्‍यों को फाइलेरिया रोधी दवाओं  का सेवन करवाया ।   डॉ इंद्रेश ने उन्‍हें बताया था कि अगर किसी के अन्‍दर फाइलेरिया के परजीवी होते हैं तो दवा को खाने के बाद वह मरते हैं। जिससे बेचैनी और घबराहट होती है। यह एक अच्‍छा लक्षण होता है। इसका आशय है कि फाइलेरिया के प‍रजीवी  लाभार्थी के अन्‍दर थे और वह मर रहे हैं

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विकासभवन, कलेक्‍ट्रेट और कारागार में भी खिलाई फाइलेरिया की दवा

  सर्वजन दवा सेवन अभियान के दौरान फाइलेरिया अधि‍कारी / मलेरिया निरीक्षक प्रेम प्रकाश कुमार के साथ निकली टीम ने विकास भवन के सभी अधिकारियों व कर्मियों को फाइलेरिया रोधी दवा खिलाई है।  जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ आर पी मौर्या के निर्देशन में एचआरपीजी कालेज में 1974 छात्र, छात्राओं, शिक्षकों व शिक्षणेत्‍तर कर्मियों को फाइलेरिया की दवा खिलाई गयी। जिला कारागार के कैदियों और वहां के समस्‍त स्‍टाफ व उनके परिवार के लोगों को भी मलेरिया निरीक्षक दीपक यादव के नेतृत्‍व में पहुंची टीम ने फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन अपने सामने ही कराया। वहां पर मौजूद कैदियों के बीच फाइलेरिया के लक्षण वाले कैदियों की भी खोज की गयी।   मलेरिया निरीक्षक दीपक यादव ने बताया कि किसी के पैरों में अगर चित्‍तीदार लाली हो, पैर में सूजन आ रही हो, अंडकोष में सूजन हो तो वह इस बारे में बताएं। उन्‍हें मच्‍छरों से बचाने के लिए भी निर्देश दिए गए।

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फाइलेरिया उन्‍मूलन अभियान को सफल बनाना सभी का उददेश्‍य – सीएमओ

मुख्‍य चिकित्‍सा अधिकारी डॉ अनिरुद्ध कुमार सिंह ने कहा है कि फाइलेरिया रोग से  बचाव के लिए जरुरी है कि हम सभी फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन करें। जिले में  आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की टीम  घर घर जाकर फाइलेरिया रोधी दवा खिला रही है। जहां टीम न पहुंच पाए वहां खुद टीम से सम्पर्क कर टीम के सामने दवा का सेवन करें।

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खाली पेट न करें दवा का सेवन – डॉ मुबारक

एपीडेमियोलाजिस्‍ट डॉ मुबारक अली बताते हैं कि फाइलेरिया रोधी दवा खाली पेट नहीं खाना है। भोजन करके ही फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन करें। गर्भवती, दो साल से कम आयु के बच्‍चों, गंभीर रुप से बीमार लोगों को यह दवा नहीं देनी है। हलांकि साल भर से लेकर दो साल के बच्‍चों को केवल पेट  से कीड़े निकालने की दवा की  दी जा रही है। आशा कार्यकर्ता दवा किसी को देकर नहीं आएंगी, बल्कि अपने सामने ही दवा खिलाएंगी।

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