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टुकड़े-टुकड़े गैंग की मदद से विदेशी ताकतें कर रहीं देश पर हमला:- किरेन रिजिजू

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लंदन में दिए उस बयान का जवाब दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत में लोकतंत्र और न्यायपालिका खतरे में है। रिजिजू ने कहा कि दुनिया को यह बताने की कोशिश की जा रही है कि भारतीय न्यायपालिका और लोकतंत्र संकट में है, लेकिन यह सिर्फ कोरा झूठ है और भारत की छवि खराब करने की कोशिश है।

‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ को भारत विरोधी विदेशी ताकतों से मदद

किरेन रिजिजू ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका को कभी भी विपक्ष बनने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। ओडिशा के भुवनेश्वर में सेंट्रल गवर्नमेंट लॉ ऑफिसर्स कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कानून मंत्री ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि भारत विरोधी विदेशी ताकतें टुकड़े-टुकड़े गैंग की मदद से भारत पर हमला करती हैं।

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कानून मंत्री ने कहा कि टुकड़े-टुकड़े गैंग के सदस्यों को यह समझ लेना चाहिए कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत पूरी तरह से कायाकल्प होने की यात्रा पर निकल चुका है। इन गैंग को भारत विरोधी विदेशी ताकतों से मदद मिलती है। ये ताकतें भारतीय लोकतंत्र, भारत सरकार, न्यायपालिका और अन्य अहम संस्थाओं जैसे सेना, चुनाव आयोग और जांच एजेंसियों पर हमला करती रहती हैं।

https://twitter.com/KirenRijiju/status/1632212842773639168?t=aUQGp0-LjabaxBGwcexn3w&s=19

भारतीय न्यायपालिका को विपक्षी दल की भूमिका निभाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता

सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए किरेन रिजिजू ने कहा कि न्यायाधीशों का ज्ञान सार्वजनिक जांच से परे है। उन्होंने कहा कि भारतीय न्यायपालिका पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है, विशेष रूप से न्यायाधीशों के ज्ञान को सार्वजनिक जांच के दायरे में नहीं रखा जा सकता। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका स्वतंत्र है और भारतीय न्यायपालिका को कभी भी विपक्षी दल की भूमिका निभाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। कोई भी भारतीय लोकतंत्र पर सवाल भी नहीं उठा सकता क्योंकि लोकतंत्र हमारे खून में दौड़ता है।

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कार्यक्रम के दौरान कानून मंत्री ने कहा कि देश के भीतर और बाहर से यह दिखाने की कोशिश की जा रही है कि भारतीय न्यायपालिका संकट में है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सोशल मीडिया पर जजों को भला-बुरा कहा जाता है, अगर सरकार को लेकर ऐसी बातें होती हैं तो इनका स्वागत है लेकिन न्यायपालिका की इस तरह आलोचना सही नहीं है।

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