बस्ती । केंद्र की मोदी सरकार द्वारा सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने को स्थापित प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र पर मरीजों की उम्मीदें टूट रही हैं, जितने प्रकार की दवा होनी चाहिए उसके सापेक्ष 20 फीसद भी दवाएं नहीं हैं। ऐसे में सुलभ उपचार और सस्ती दवा का सपना पूरा नहीं हो रहा। केंद्रों की स्थापना के एक वर्ष बाद भी यह हाल, बड़ा सवाल है।
मरीज शोभा व किशन को जेनरिक दवाएं चाहिए थीं, पर नहीं मिलीं। यही हाल उन तमाम मरीजों का है, जो दवा के लिए यहां पहुंच रहे हैं। ऐसे में प्राइवेट मेडिकल स्टोरों से दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं। महिला अस्पताल, जिला अस्पताल और ओपेक चिकित्सालय कैली में स्थापित औषधि केंद्रों का एक सा हाल है। 800 प्रकार की दवाओं में से महज 136 प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं।
इन केंद्रों के भरोसे जिले के हजारों मरीज हैं। हद तो यह है कि केंद्र पर जो दवाएं उपलब्ध हैं, उन्हें भी लिखने में चिकित्सक परहेज करते हैं। जेनरिक दवाएं 50 से 90 फीसद तक सस्ती मिलती हैं। 154 प्रकार के सर्जिकल सामान पंजीकृत है, लेकिन स्टोर में एक भी नहीं हैं। अपर निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य डा. रंगजी द्विवेदी ने कहा कि जन औषधि केंद्रों पर पर्याप्त दवाएं उपलब्ध हों और चिकित्सक जेनरिक दवाएं लिखें। इसके लिए निर्देशित किया गया है। एक बार फिर चेताया जाएगा। मरीजों को सस्ती दवाएं मिलें ऐसा प्रयास किया जाता है ।
बस्ती से अनिल शुक्ला की रिपोर्ट