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मां और बेटे का एक ही चिता में हुआ अंतिम संस्कार, तो यह दृश्य देखने वाली हर आंख से आंसू छलक पड़े

कानपुर. कानपुर के भैरवघाट पर मां और बेटे का एक ही चिता में अंतिम संस्कार हुआ तो यह दृश्य देखने वाली हर आंख से आंसू छलक पड़े। जयपुर में श्वेता और श्रीयम की नृशंस हत्या के बाद सर्वोदय नगर निवासी परिजन उनके शव लेकर पहुंचे।

इस दर्दनाक वारदात से श्वेता की दोनों बड़ी बहनें वंदना और सपना भी रो-रोकर बेसुध हो गईं। 21 महीने के बेटे श्रीयम को भी मां श्वेता के शव के साथ चिता पर लिटाया गया।

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दरअसल सर्वोदय नगर निवासी सुरेश कुमार मिश्रा की बेटी श्वेता तिवारी की बीती सात जनवरी को जयपुर में हत्या कर दी गई थी, जबकि उसके 21 माह के बेटे श्रेयम का शव दूसरे दिन फ्लैट से कुछ दूरी पर ही जंगल में मिला था। वेता के भाई शुभम ने जयपुर पुलिस को पति व ससुरालीजनों पर हत्या का आरोप लगाते हुए तहरीर भी दी है।

*जयपुर में पति के साथ रहती थी श्वेता*

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श्वेता अपने पति के साथ जयपुर के एक फ्लैट में रहती थी। उसका पति इंडियन ऑयल में फ्यूल इंचार्ज और जयपुर एयरपोर्ट पर तैनात है। श्वेता के घर वाले दामाद रोहित पर ही हत्या का आरोप लगा रहे हैं। श्वेता के पिता का कहना है कि पांच जनवरी को उनकी बहन श्वेता ने फोन करके पिता सुरेश कुमार से घबराते हुए कहा था कि पापा मुझे ले जाओ वरना मार डालेंगे। वहीं उनके दामाद रोहित ने भी मुझे फोन करके कहा था कि जितना पैसा चाहिए ले लो लेकिन अपनी बेटी को यहां से ले जाओ, वरना वह उसे मार डालेगा। सुरेश ने कहा कि आखिर उनके दामाद ने जो धमकी दी थी वही कर दिखाया और उनका सबकुछ लुट गया।

*नजारा जिसने भी देखा, कलेजा फट गया*

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अंतिम संस्कार से पहले मासूम श्रेयम के शव को मां श्वेता की गोद में लिटाया गया। इसके बाद पहले श्वेता के शव को चिता पर रखा गया और इसके बाद श्रेयम को मां के बायीं ओर लिटाया गया। श्वेता का एक हाथ बेटे के ऊपर था। ठीक वैसे ही जैसे कोई मां अपने बेटे के साथ सो रही हो। यह नजारा देख श्मशान घाट पर सभी लोगों का कलेजा फट गया। उनकी आंखों में लगातार आंसू बह रहे थे।

*घरवालों ने खोला राज*

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श्वेता के घरवालों ने कई राज खोलकर बताया कि हत्या से एक दिन पहले ही रोहित ने श्वेता के भाई शुभम के मोबाइल पर धमकी भरे एसएमएस भेजे थे। शुभम ने बताया कि 24 जनवरी 2011 को हुई शादी के बाद से ही रोहित की तीनों बहनें श्वेता को परेशान करती थीं। शुभम ने बताया कि 2013 में भी एक बार हालात इतने बिगड़ गए थे कि श्वेता को सुसराल छोड़कर मायके में आकर रहना पड़ा था। वह करीब सात महीने तक यहां रही। बाद में समझौता हो गया। हालांकि इस दौरान दोनों के संबंध सामान्य रहे। चचेरे भाई निष्कर्ष ने बताया कि श्वेता दीदी इतनी हंसमुख और मिलनसार थीं कि उनका कभी घर में किसी से झगड़ा तो दूर मनमुटाव तक नहीं होता था। शादी के एक साल बाद से ही पति रोहित, सास कृष्णादेवी, ससुर उमाशंकर, दोनों ननदें नूतन और मीनाक्षी प्रताड़ित करने लगे थे।

Represent by Balram G

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