दिल्ली ।
सपने देखना सबके बस में है पर उन्हें पूरी करना हर किसी के बस की बात नहीं। आज हम जिस शख्स के बारे में बता रहे हैं उनका नाम है रमेश घोलप। इनका जन्म महाराष्ट्र के सोलापुर में हुआ है। जीने का सही ढंग कोई इनसे सीखे। एक ऐसा भी समय था जब इन्होंने अपनी मां के साथ चूड़ियां बेचकर अपना पेट पाला और आज वो एक आईएएस अधिकारी है। गरीबी के दिन काटने वाले रमेश ने अपनी जिंदगी से कभी हार नहीं मानी और आज युवाओं के लिए वो मिसाल बन गए हैं। आखिर कैसे की उन्होंने तैयारी, पढ़ते हैं आगे..
सपने देखना सबके बस में है पर उन्हें पूरी करना हर किसी के बस की बात नहीं। आज हम जिस शख्स के बारे में बता रहे हैं उनका नाम है रमेश घोलप। इनका जन्म महाराष्ट्र के सोलापुर में हुआ है। जीने का सही ढंग कोई इनसे सीखे। एक ऐसा भी समय था जब इन्होंने अपनी मां के साथ चूड़ियां बेचकर अपना पेट पाला और आज वो एक आईएएस अधिकारी है। गरीबी के दिन काटने वाले रमेश ने अपनी जिंदगी से कभी हार नहीं मानी और आज युवाओं के लिए वो मिसाल बन गए हैं।
रमेश को पता था कि केवल पढ़ाई ही उनके परिवार की गरीबी को दूर कर सकती है। इसलिए वो जी-जान से पढ़ाई में जुट गए।
वो पढ़ाई में काफी अच्छे थे और इसलिए अपने शिक्षकों के दिल में भी उन्होंने जगह बना ली। जब पिता की मौत हुई तब वो 12वीं की परीक्षा की तैयारी में जुटे हुए थे।
गरीबी के ऐसे दिन थे कि उनके पास अपने पिता की अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए 2 रुपए भी नहीं थे।
किसी तरह पड़ोसियों की मदद से वो पिता की अंतिम यात्रा में शामिल हो पाए।
उनपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था लेकिन फिर भी उन्होंने हार नही मानी और 88 प्रतिशत अंक के साथ 12वीं की परीक्षा पास की।
12वीं के बाद उन्होंने शिक्षा में डिप्लोमा किया और 2009 में शिक्षक बन गए। लेकिन रमेश यहीं रुकने वाले नहीं थे।
उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और आईएएस की परीक्षा में जी-जान से जुट गए। कड़ी मेहनत के बाद आखिरकार उन्होंने 2012 में सिविल सेवा परीक्षा में 287वीं रैंक हासिल की।
साभार अमर उजाला