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पुलिस कर्मी बना सोशल मीडिया का सुपर कॉप,जानिए कौन है ये सुपर चेहरा

आगरा । उप्र पुलिस का ये कांस्टेबल सोशल मीडिया का सुपर कॉप है। प्रदेश में कहीं भी कोई पुलिसकर्मी गुडवर्क करता है तो इनको जानकारी होती है। घटना को अपने शब्दों में पिरोकर ये सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं तो हजारों लोग उसे लाइक और शेयर करते हैं। तीन वर्ष पहले इस कॉप द्वारा पुलिस छवि के सुधार को शुरू की गई मुहिम अब रंग लाने लगी है। पुलिस का मानवीय चेहरा अब सोशल मीडिया पर दिखने लगा है। अब वे इससे अन्य पुलिसकर्मियों को प्रेरित करने के लिए पॉवर प्वाइंट प्रजेंटेशन (पीपीटी) तैयार कर रहे हैं।

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अलीगढ़ में इगलास के गोरई गांव में रहने वाले सचिन कौशिक वर्ष 2011 में पुलिस में कांस्टेबल बने। 31 अगस्त से वे आगरा में तैनात हैं। दो वर्ष पुलिस लाइन में स्टोर में काम करने के बाद वर्ष 2014 में उन्हें पर्यटन थाने में तैनाती मिल गई। राजनीति शास्त्र से एमए करने वाले सचिन का लिखने का शौक शुरू से था। पर्यटन थाने में आने के बाद उन्हें देशी विदेशी पर्यटकों की मदद का मौका मिला। बकौल सचिन, वर्ष 2015 में एक पुर्तगाली पर्यटक की मदद करने के बाद जो सम्मान मिला उसके बाद छवि सुधार की प्रेरणा मिली। पुर्तगाली महिला पर्यटक अपने दल से अलग हो गई थी। वो हिंदी और अंग्रेजी दोनों नहीं जानती थी। मोबाइल पर गूगल ट्रांसलेटर के माध्यम से उन्होंने महिला से बात की। काफी प्रयास के बाद उन्होंने महिला को उनके दल से मिला दिया। पर्यटकों ने जो सम्मान दिया वह बहुत सुखद था। तब सोचा कि पुलिस बहुत मेहनत करती है, लोगों की मदद करती है। मगर, ये सभी को पता नहीं लगता। वर्ष 2017 में यही सोचकर फेसबुक पर पुलिस छवि सुधार: एक मुहिम नाम से फेसबुक पेज बनाया। इस पेज पर पुलिस के मानवीय दृष्टिकोण से किए गए गुडवर्क को लिखना शुरू किया। उप्र के हर जिले से उन्हें अपडेट नहीं मिल पाता था। इसके लिए उन्होंने अपने बैच के कांस्टेबलों का वाट्सएप पर ग्रुप बनाया। हर जिले के एक्टिव 4- 5 कांस्टेबलों के नंबर लेकर उन्होंने मुहिम को रफ्तार दी। सभी अपने- अपने जिले के ग्रुप पर गुडवर्क पोस्ट करने लगे। सचिन उसे अपने तरीके से लिखकर फेसबुक और ट्विटर पर पोस्ट करते तो लाइक और शेयर करने वालों की संख्या बढ़ गई। सितंबर 2017 में सचिन का जीआरपी में ट्रांसफर हो गया। उनकी काबिलियत देखते हुए तत्कालीन एसपी जीआरपी नितिन तिवारी ने उन्हें फरवरी 2018 में पीआरओ बना लिया। इस समय सचिन के ट्विटर पर 10 हजार फालोअर हैं और फेसबुक पेज पर 1.10 लाख फॉलोअर हैं। सचिन अब अपनी इस मुहिम से हर पुलिसकर्मी को जोडऩा चाहते हैं। इसके लिए वे पीपीटी तैयार कर रहे हैं। इसमें सुधार कैसे होगा? यह तो दिखाएंगे ही। साथ ही यह भी दिखाएंगे कि किस तरह छोटी-छोटी कमियों से छवि खराब होती है। उचित माध्यम से इसे डीजीपी तक पहुंचाएंगे। वहां से अनुमति मिलने के बाद थानों में जाकर पुलिसकर्मियों को अपने अनुभव साझा करेंगे। उन्हें उम्मीद है कि इससे प्रेरित होकर वे भी छवि सुधार को काम करेंगे

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डीजी प्रशंसा चिह्न सिल्वर से सम्मानित हो चुके हैं

कांस्टेबल सचिन की छवि अब सोशल मीडिया के सुपर कॉप के रूप में हो गई है। उन्हें अच्छे कार्य के लिए विभिन्न स्तर के अधिकारियों द्वारा 40 प्रशस्ति पत्र दिए जा चुके हैं। इसके साथ ही डीजी प्रशंसा चिह्न सिल्वर भी मिल चुका है।

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इन घटनाओं के रेस्पोंस से मिला बल

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– वर्ष 2018 में सहारनपुर में पीआरवी पर तैनात एचसीपी भूपेंद्र तोमर ड्यूटी पर थे। उनकी बेटी की मौत हो गई। तभी चाकू से एक युवक के घायल होने की सूचना आ गई। एचसीपी ने बेटी की मौत की खबर मिलने के बाद भी घायल को अस्पताल में पहुंचाकर ड्यूटी का फर्ज निभाया। पीआरवी पर तैनात कांस्टेबल भरत पंचाल ने सचिन को सूचना दी और सचिन ने इसे फेसबुक पर शेयर कर दिया।

– एक वर्ष पहले गाजियाबाद में एसआइ धर्मेंद्र लांबा एक बिल्डिंग गिरने की सूचना पर पहुंचे थे। मलबे से एक बच्चे को निकालकर वे पैदल ही उसे लेकर अस्पताल पहुंचे। तस्वीर के साथ सचिन ने उसे फेसबुक पेज पर पोस्ट किया। यह बहुत सराही गई।

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– जीआरपी में तैनाती के दौरान उन्होंने ऐसे तमाम काम किए। ट्रेन में बच्चे का इलाज की जरूरत थी। पिता ने ट्वीट किया तो सचिन ने डॉक्टर का इंतजाम कराके इलाज करा दिया। एक बिहार के युवक के कंट्रोल रूम में फोन करने पर ट्रेन में ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचवा दिया। उसका सिलेंडर खत्म होने से जान का खतरा था।

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ऐसे भी मदद

सचिन ने कोरोना से लड़ाई को सबसे पहले अपना वेतन पीएम राहत कोष में देने की घोषणा ट्वीट करके दी। इसके बाद तमाम पुलिसकर्मियों ने स्वेच्छा से दिया। यूपी पुलिस ने अपने ट्विटर हैंडल से सचिन को इसके लिए बधाई दी है। ऑस्टे्रलिया में रहने वाले एक दयालबाग के व्यक्ति ने उनको ट्वीट कर मदद मांगी। सचिन ने उनके मदद मांगने पर दयालबाग में रहने वाले बुजुर्ग माता-पिता के लिए बुधवार को दवा पहुंचाई।

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रिपोर्ट-यशपाल चौहान

Sabhar jnn

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