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घूंघट वाले अधूरे शौचालय , टूटी हैं नालियां गढ्ढा युक्त सड़कें सुविधा को तरसते लोग, फिर भी कैसे हुआ विकसित और ओडीएफ गाँव ?

अनूप यादव की रिपोर्ट

कुशीनगर में पूरे जिले को ओडीएफ (खुले में शौच से मुक्त) करने कागजी दावा काफी पहले ही हो चुका हैं, उन्ही कागजी दावों की पड़ताल करने हमारी टीम कुशीनगर जिले के रामकोला ब्लाक के कुसम्हा गाँव पहुँची  ग्रामीणों ने बताया कुछ समय पहले स्वक्षता को लेकर उत्तर प्रदेश में सातवा स्थान मिला था। वहीं इस विकास के लिए आये धन भी खूब खर्च किये गए है, लेकिन असल हकीकत कागजी दावों से बिल्कुल इतर नजर आ रही है।

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जिले के जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल

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रामकोला ब्लाक का कुसम्हा गाँव जिले के बड़े ग्रामसभाओं में सुमार हैं। इस ग्रामसभा में 56 छोटे बड़े टोले का ग्रामसभा हैं यहां मुसहरों के भी लगभग 20 से अधिक परिवार रहते हैं। मुसहर गाँव होने के कारण उनके उत्थान और गाव के विकास के लिए   सरकार से धन भी खूब आया और कार्य भी कराये गए, गाँव का पंचायत भवन और मनरेगा पार्क को देखने के बाद आप को भी ये लगेगा की जिम्मेदारों ने यहाँ बढिया काम किया है। लेकिन जैसे ही हम उस ग्रामसभा के अन्य टोलों पर नजर दौडाए तो वो सब कार्य हाथी के दिखाने वाले दांत साबित होंगे, क्योकि सरकार की विशेष योजना की बात तो दूर अभी ज्यादातर लोग मूलभूत सुविधाओं से ही महरूम हैं।

हाथी दाँत है गाँव का पंचायत भवन और मनरेगा पार्क

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कुसम्हा गाँव के हरजन बस्ती की रहने वाली प्रमिला एक विकलांग महिला है जिसको चलने-फिरने काफी दिक्कतें होती है। प्रमिला की इकलौती बेटी सेवा करती है, प्रमिला का पति मजदूरी कर एक छोटा फुस की छत का शौचालय बनाया दिया लेकिन उसके पास न तो आवास योजना के तहत आवास पहुचा और न ही स्वक्षता मिशन के तहत शौचालय।

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चकिया गाँव की ज्ञानती एक विधवा महिला है और उसकी दो बेटियां है पर उसका न तो आवास बना है और न ही शौचालय । मीडिया से बात करते हुए ज्ञानती ने बताया कि बच्चियां बड़ी हो गयी है और कोई गार्जियन नही हैं पर जिम्मेदारों से लाख मजबुरी बताई गई पर कोई नही सुनता, शौच के लिए परिवार के सभी लोग खेतो में जाते जिसके कारण लोगो की बाते सुननि पड़ती।

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यही की बालती ने हमसे अपनी समस्याओं को बताना शुरू किया तो उसकी आँखें भर आयी और उसका कहना था कि बहुत से ग्राम पंचायत चुनाव बीत गए , कई प्रधान आये और गये लेकिन उनकी कोई नही सुनता टूटी झोपड़ी का घर हैं उनके पास सरकार की योजनाओं के लिए पहले माँगी जाने वाली घुस की रकम नहीं हो पाती इसलिए सुविधा नही दी जा रही। 5 बच्चो के साथ बामुश्किल गुजर बसर होता हैं पर जिम्मेदार सिर्फ आवास दे देते तो उनके बच्चों के सर पर छत हो जाती।

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सबीना खातून का परिवार ग्रामप्रधान के घर के बिल्कुल पीछे ही रहता है पर उसके यहां भी सरकारी सुविधा के नाम पर टूटा और अधूरा शौचालय है साथ ही राशन मिल जाता पर आवास की बेहद जरूरत हैं लेकिन कोई नही सुनता। गाँव के कई लोगों ने प्रधान प्रतिनिधि और उनके भाई को सरकारी सुविधा दिलाने के नाम पर पैसे मांगने और लेने का कथित आरोप भी लगाया।

जरूरतमंदों का जिम्मेदारों पर पैसे मांगने और लेने का कथित आरोप

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ग्रामपंचायत कुसम्हा के निवासी चन्द्रशेखर मौर्य बताते हैं कि ग्रामसभा में लगभग 1000 आवास बनाये गए जिसमें अधिकतर अपत्रो को दिए गए हैं। कागजो में 2360 शौचालय में धरातल पर लगभग 1000 खस्ताहाल है तो कई के पैसे निकाल लिए गए हैं। हमने देखा रगरगंज गाव में जो कभी इंसेफ्लाइटिस मरीजो प्रथमकता पर था उसके बाद भी वहां नालियो और इंडियन मार्का नल खराब है और चारो तरफ गन्दगी है। रास्तो में आवादी के बीच नालियो के पानी का जल जमाव गम्भीर बिमारिओ को दावत दे रहा हैं। लोगो को जनसूचना द्वारा मिली रिपोर्ट में  ग्रामसभा मे लगभग 127 इंडिया मार्का नल है जिनकी मरम्मत और रिबोर के लिए 15 लाख रुपए निकाले गए है लेकिन अभी भी 50 से ज्यादा खराब है।

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अधूरे कामो और बिना काम का भी हुआ है पेमेंट

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इस पूरे मामले पर जब प्रधानप्रतिनिधि यशवंत सिंह से बात की गई तो उन्होंने आरोपो को चुनावी बताया और क्षेत्र बड़ा होने के कारण कुछ जरूरतमंद लोगों तक न पहुंच पाने की बात को स्वीकारा और पुनः मौका मिलने पर उनतक सुविधाओं को पहुचाने की बात की। शिकायतकर्ता ने बताया कि सचिव फोन पर खुद को घोटालो का जम्मेदार स्वीकार करते हुए गलत रिपोर्ट की बात किये जिनका आर्डियो भी सामने हैं ।

प्रधान प्रतिनिधि ने सारे आरोपो को बताया चुनावी

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शिकायत दर्ज कराने के बाद कई बार जाच गाव तक पहुची पर अभी तक जिम्मेदारों पर कोई कार्यवाही नही की गई। अब मामले का सज्ञान  जिलाधिकारी ने लेते हुए जिम्मेदारों को जल्द जाच पूरी करके कार्यवाही के लिए पत्रजारी किया हैं। देखना होगा जिम्मेदार जांच को कबतक पूरा करते हैं और क्या कार्यवाही होती हैं।

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