पिछले तीन वर्षों से समग्र शिक्षा के अंतर्गत विद्यालयों के कायाकल्प के तहत कंपोजिट ग्रांट के तहत धन दिया जा रहा है। महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरण आनंद ने स्कूलों में पिछले तीन वित्तीय वर्षों में कंपोजिट ग्रांट से क्या-क्या और किस-किस मद में पैसा खर्च हुआ है, इसका ब्योरा स्कूल की दीवार पर लिखवाने का निर्देश दिया है।
शासन द्वारा परिषदीय स्कूलों में पठन-पाठन से लेकर बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रति वर्ष छात्र संख्या के आधार पर कंपोजिट ग्रांट दिया जाता है। इस धन से स्कूलों में रंगरोगन समेत अन्य छोट-मोटे मरम्मत के कार्य होते हैं। इस साल भी जनपद के अधिकांश स्कूलों में कंपोजिट ग्रांट से वाल पेटिंग, मल्टीपल हैंड वाशिंग, पाइप वाटर सप्लाई एंड वाटर टैंक, समरसेबिल पंप, शौचालय की मरम्मत, ब्लैक बोर्ड, दरवाजे, खिड़की की मरम्मत, छत की दीवार, फर्श एवं प्लास्टर समेत अन्य कार्य हुए हैं।
अब हर व्यक्ति जानेगा खर्च
महानिदेशक स्कूल शिक्षा की इस पहल के बाद अब आम आदमी भी यह जान सकेगा कि उसके आसपास स्थित स्कूल के सुंदरीकरण के लिए कितने पैसे आए। उन पैसों से स्कूल में क्या-क्या बदलाव आएं। खर्च के हिसाब से स्कूल न दिखने पर आसपास के लोग इसकी शिकायत बीएसए से कर सकेंगे।
जनपद में स्कूल- 2594
बच्चे-180000
शिक्षक- 7400
शिक्षामित्र- 3300
अनुदेशक- 580
बीएसए भूपेंद्र नारायण सिंह ने बताया कि महानिदेशक के निर्देश से जिले के समस्त विद्यालय के प्रधानाध्यापकों को अवगत करा दिया गया है, जिससे वह स्कूलों का खर्च दीवारों पर अंकित करा सकें। प्रधानाध्यापकों को इसमें शिथिलता न बरतने का निर्देश दिया गया है।