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देश में 10 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिन्होंने तारीख निकलने के बाद भी वैक्सीन का सेकंड डोज नहीं लिया है। हमारे लिए ये चिंता की बात है। सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ऐसे लोगों की जानकारी निकाल कर जल्द से जल्द सेकंड डोज देने को कहा है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ऐसे लोग वैक्सीनेशन कवरेज में बड़ी बाधा बन सकते हैं और इसका असर हर्ड इम्युनिटी पर भी पड़ सकता है।

समझते हैं, कहां-कितने लोग सेकंड डोज मिस कर चुके हैं? देश में अभी वैक्सीनेशन कवरेज का क्या हाल है? सेकंड डोज लेना कितना जरूरी है? क्या वैक्सीन का एक डोज ही आपको कोरोना से बचा सकता है? और सेकंड डोज मिस होने के कितने दिन बाद आप दोबारा डोज लगवा सकते हैं?…

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सबसे पहले जानिए सेकंड डोज नहीं लगवाए लोगों का आंकड़ा

डेटा के मुताबिक, 17 राज्यों के कुल 10.34 करोड़ लोगों ने सेकंड डोज नहीं लगवाया है। यानी सेकंड डोज लगवाने की तारीख निकल जाने के बावजूद डोज नहीं लिया। भारत में कोवीशील्ड के दो डोज के बीच की गैप 12-16 हफ्ते है। वहीं, कोवैक्सीन के दो डोज को 4-6 हफ्ते के गैप में लगाया जाता है।

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10.34 करोड़ में से 3.92 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिनके सेकंड डोज की डेट निकले 6 हफ्ते से ज्यादा हो गए हैं। 1.57 करोड़ ऐसे हैं, जिनका डोज मिस हुए 4-6 हफ्ते हो गए हैं और करीब 1.50 करोड़ ऐसे हैं, जिनका डोज मिस हुए 2-4 हफ्ते हो गए हैं।

किस राज्य में कितने लोगों ने नहीं लगवाया सेकंड डोज?

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सेकंड डोज मिस कर चुके लोगों की सबसे ज्यादा संख्या उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान में हैं। सेकंड डोज मिस कर चुके कुल लोगों में 35% लोग इन तीन राज्यों से हैं।

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भास्कर एक्सप्लेनर:देश में 10 करोड़ लोगों ने नहीं लगवाया कोरोना का दूसरा टीका; ऐसे लोगों को तीन टीके लगवाने पड़ेंगे क्या?

एक घंटा पहलेलेखक: आबिद खान

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देश में 10 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिन्होंने तारीख निकलने के बाद भी वैक्सीन का सेकंड डोज नहीं लिया है। हमारे लिए ये चिंता की बात है। सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ऐसे लोगों की जानकारी निकाल कर जल्द से जल्द सेकंड डोज देने को कहा है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ऐसे लोग वैक्सीनेशन कवरेज में बड़ी बाधा बन सकते हैं और इसका असर हर्ड इम्युनिटी पर भी पड़ सकता है।

समझते हैं, कहां-कितने लोग सेकंड डोज मिस कर चुके हैं? देश में अभी वैक्सीनेशन कवरेज का क्या हाल है? सेकंड डोज लेना कितना जरूरी है? क्या वैक्सीन का एक डोज ही आपको कोरोना से बचा सकता है? और सेकंड डोज मिस होने के कितने दिन बाद आप दोबारा डोज लगवा सकते हैं?…

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सबसे पहले जानिए सेकंड डोज नहीं लगवाए लोगों का आंकड़ा

डेटा के मुताबिक, 17 राज्यों के कुल 10.34 करोड़ लोगों ने सेकंड डोज नहीं लगवाया है। यानी सेकंड डोज लगवाने की तारीख निकल जाने के बावजूद डोज नहीं लिया। भारत में कोवीशील्ड के दो डोज के बीच की गैप 12-16 हफ्ते है। वहीं, कोवैक्सीन के दो डोज को 4-6 हफ्ते के गैप में लगाया जाता है।

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10.34 करोड़ में से 3.92 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिनके सेकंड डोज की डेट निकले 6 हफ्ते से ज्यादा हो गए हैं। 1.57 करोड़ ऐसे हैं, जिनका डोज मिस हुए 4-6 हफ्ते हो गए हैं और करीब 1.50 करोड़ ऐसे हैं, जिनका डोज मिस हुए 2-4 हफ्ते हो गए हैं।

किस राज्य में कितने लोगों ने नहीं लगवाया सेकंड डोज?

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सेकंड डोज मिस कर चुके लोगों की सबसे ज्यादा संख्या उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान में हैं। सेकंड डोज मिस कर चुके कुल लोगों में 35% लोग इन तीन राज्यों से हैं।

वैक्सीन के दोनों डोज लेना कितना जरूरी है?

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महामारी एक्सपर्ट डॉक्टर चंद्रकांत लहारिया के मुताबिक, हमें याद रखना होगा कि वैक्सीन पूरी तरह तभी इफेक्टिव होती है, जब उसके दोनों डोज लिए जाएं। साथ ही वैक्सीन का जो पहला डोज होता है, वो शरीर को एंटीबॉडी बनाने के लिए तैयार करता है। दूसरा डोज शरीर में पर्याप्त संख्या में एंटीबॉडी बनाता है, जो लंबे समय तक शरीर में

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एक घंटा पहलेलेखक: आबिद खान

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देश में 10 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिन्होंने तारीख निकलने के बाद भी वैक्सीन का सेकंड डोज नहीं लिया है। हमारे लिए ये चिंता की बात है। सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ऐसे लोगों की जानकारी निकाल कर जल्द से जल्द सेकंड डोज देने को कहा है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ऐसे लोग वैक्सीनेशन कवरेज में बड़ी बाधा बन सकते हैं और इसका असर हर्ड इम्युनिटी पर भी पड़ सकता है।

समझते हैं, कहां-कितने लोग सेकंड डोज मिस कर चुके हैं? देश में अभी वैक्सीनेशन कवरेज का क्या हाल है? सेकंड डोज लेना कितना जरूरी है? क्या वैक्सीन का एक डोज ही आपको कोरोना से बचा सकता है? और सेकंड डोज मिस होने के कितने दिन बाद आप दोबारा डोज लगवा सकते हैं?…

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सबसे पहले जानिए सेकंड डोज नहीं लगवाए लोगों का आंकड़ा

डेटा के मुताबिक, 17 राज्यों के कुल 10.34 करोड़ लोगों ने सेकंड डोज नहीं लगवाया है। यानी सेकंड डोज लगवाने की तारीख निकल जाने के बावजूद डोज नहीं लिया। भारत में कोवीशील्ड के दो डोज के बीच की गैप 12-16 हफ्ते है। वहीं, कोवैक्सीन के दो डोज को 4-6 हफ्ते के गैप में लगाया जाता है।

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10.34 करोड़ में से 3.92 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिनके सेकंड डोज की डेट निकले 6 हफ्ते से ज्यादा हो गए हैं। 1.57 करोड़ ऐसे हैं, जिनका डोज मिस हुए 4-6 हफ्ते हो गए हैं और करीब 1.50 करोड़ ऐसे हैं, जिनका डोज मिस हुए 2-4 हफ्ते हो गए हैं।

किस राज्य में कितने लोगों ने नहीं लगवाया सेकंड डोज?

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सेकंड डोज मिस कर चुके लोगों की सबसे ज्यादा संख्या उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान में हैं। सेकंड डोज मिस कर चुके कुल लोगों में 35% लोग इन तीन राज्यों से हैं।

वैक्सीन के दोनों डोज लेना कितना जरूरी है?

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महामारी एक्सपर्ट डॉक्टर चंद्रकांत लहारिया के मुताबिक, हमें याद रखना होगा कि वैक्सीन पूरी तरह तभी इफेक्टिव होती है, जब उसके दोनों डोज लिए जाएं। साथ ही वैक्सीन का जो पहला डोज होता है, वो शरीर को एंटीबॉडी बनाने के लिए तैयार करता है। दूसरा डोज शरीर में पर्याप्त संख्या में एंटीबॉडी बनाता है, जो लंबे समय तक शरीर में रहती है। इसलिए वैक्सीन का एक डोज काफी नहीं है। जब तक आप फुली वैक्सीनेट नहीं हो जाते तब तक आपको पूरी तरह प्रोटेक्शन नहीं मिलता है। इसलिए बेहद जरूरी है कि आप वैक्सीन के दोनों डोज लें।

क्या वैक्सीन का एक डोज पर्याप्त इम्युनिटी प्रोवाइड करता है?

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ज्यादातर वैक्सीन का सिंगल डोज एफिकेसी टेस्ट नहीं हुआ है। यानी उनका एक डोज कितना

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भास्कर एक्सप्लेनर:देश में 10 करोड़ लोगों ने नहीं लगवाया कोरोना का दूसरा टीका; ऐसे लोगों को तीन टीके लगवाने पड़ेंगे क्या?

एक घंटा पहलेलेखक: आबिद खान

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देश में 10 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिन्होंने तारीख निकलने के बाद भी वैक्सीन का सेकंड डोज नहीं लिया है। हमारे लिए ये चिंता की बात है। सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ऐसे लोगों की जानकारी निकाल कर जल्द से जल्द सेकंड डोज देने को कहा है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ऐसे लोग वैक्सीनेशन कवरेज में बड़ी बाधा बन सकते हैं और इसका असर हर्ड इम्युनिटी पर भी पड़ सकता है।

समझते हैं, कहां-कितने लोग सेकंड डोज मिस कर चुके हैं? देश में अभी वैक्सीनेशन कवरेज का क्या हाल है? सेकंड डोज लेना कितना जरूरी है? क्या वैक्सीन का एक डोज ही आपको कोरोना से बचा सकता है? और सेकंड डोज मिस होने के कितने दिन बाद आप दोबारा डोज लगवा सकते हैं?…

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डेटा के मुताबिक, 17 राज्यों के कुल 10.34 करोड़ लोगों ने सेकंड डोज नहीं लगवाया है। यानी सेकंड डोज लगवाने की तारीख निकल जाने के बावजूद डोज नहीं लिया। भारत में कोवीशील्ड के दो डोज के बीच की गैप 12-16 हफ्ते है। वहीं, कोवैक्सीन के दो डोज को 4-6 हफ्ते के गैप में लगाया जाता है।

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10.34 करोड़ में से 3.92 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिनके सेकंड डोज की डेट निकले 6 हफ्ते से ज्यादा हो गए हैं। 1.57 करोड़ ऐसे हैं, जिनका डोज मिस हुए 4-6 हफ्ते हो गए हैं और करीब 1.50 करोड़ ऐसे हैं, जिनका डोज मिस हुए 2-4 हफ्ते हो गए हैं।

किस राज्य में कितने लोगों ने नहीं लगवाया सेकंड डोज?

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सेकंड डोज मिस कर चुके लोगों की सबसे ज्यादा संख्या उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान में हैं। सेकंड डोज मिस कर चुके कुल लोगों में 35% लोग इन तीन राज्यों से हैं।

वैक्सीन के दोनों डोज लेना कितना जरूरी है?

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महामारी एक्सपर्ट डॉक्टर चंद्रकांत लहारिया के मुताबिक, हमें याद रखना होगा कि वैक्सीन पूरी तरह तभी इफेक्टिव होती है, जब उसके दोनों डोज लिए जाएं। साथ ही वैक्सीन का जो पहला डोज होता है, वो शरीर को एंटीबॉडी बनाने के लिए तैयार करता है। दूसरा डोज शरीर में पर्याप्त संख्या में एंटीबॉडी बनाता है, जो लंबे समय तक शरीर में रहती है। इसलिए वैक्सीन का एक डोज काफी नहीं है। जब तक आप फुली वैक्सीनेट नहीं हो जाते तब तक आपको पूरी तरह प्रोटेक्शन नहीं मिलता है। इसलिए बेहद जरूरी है कि आप वैक्सीन के दोनों डोज लें।

क्या वैक्सीन का एक डोज पर्याप्त इम्युनिटी प्रोवाइड करता है?

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ज्यादातर वैक्सीन का सिंगल डोज एफिकेसी टेस्ट नहीं हुआ है। यानी उनका एक डोज कितना कारगर है इसको लेकर कोई टेस्ट नहीं किए गए हैं। इसलिए हम नहीं जानते कि वैक्सीन का एक डोज कितना इफेक्टिव है। हालांकि, कोवीशील्ड के सिंगल डोज को लेकर की गई एक स्टडी पता लगा है कि कोवीशील्ड का सिंगल डोज थोड़ा प्रोटेक्शन जरूर प्रोवाइड करता है, लेकिन उसका असर बहुत जल्दी खत्म हो जाता है। इसलिए वैक्सीन के दोनों डोज लेने से ही आपको पर्याप्त इम्युनिटी मिल सकती है।

जिनका दूसरा डोज मिस हुए ज्यादा समय हो गया, क्या उन्हें दोबारा पहला डोज लेना होगा?

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नहीं। ऐसे लोगों को दोबारा पहला डोज नहीं लेना होगा। जब भी मौका मिले तब आप

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समझते हैं, कहां-कितने लोग सेकंड डोज मिस कर चुके हैं? देश में अभी वैक्सीनेशन कवरेज का क्या हाल है? सेकंड डोज लेना कितना जरूरी है? क्या वैक्सीन का एक डोज ही आपको कोरोना से बचा सकता है? और सेकंड डोज मिस होने के कितने दिन बाद आप दोबारा डोज लगवा सकते हैं?…

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डेटा के मुताबिक, 17 राज्यों के कुल 10.34 करोड़ लोगों ने सेकंड डोज नहीं लगवाया है। यानी सेकंड डोज लगवाने की तारीख निकल जाने के बावजूद डोज नहीं लिया। भारत में कोवीशील्ड के दो डोज के बीच की गैप 12-16 हफ्ते है। वहीं, कोवैक्सीन के दो डोज को 4-6 हफ्ते के गैप में लगाया जाता है।

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किस राज्य में कितने लोगों ने नहीं लगवाया सेकंड डोज?

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सेकंड डोज मिस कर चुके लोगों की सबसे ज्यादा संख्या उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान में हैं। सेकंड डोज मिस कर चुके कुल लोगों में 35% लोग इन तीन राज्यों से हैं।

वैक्सीन के दोनों डोज लेना कितना जरूरी है?

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महामारी एक्सपर्ट डॉक्टर चंद्रकांत लहारिया के मुताबिक, हमें याद रखना होगा कि वैक्सीन पूरी तरह तभी इफेक्टिव होती है, जब उसके दोनों डोज लिए जाएं। साथ ही वैक्सीन का जो पहला डोज होता है, वो शरीर को एंटीबॉडी बनाने के लिए तैयार करता है। दूसरा डोज शरीर में पर्याप्त संख्या में एंटीबॉडी बनाता है, जो लंबे समय तक शरीर में रहती है। इसलिए वैक्सीन का एक डोज काफी नहीं है। जब तक आप फुली वैक्सीनेट नहीं हो जाते तब तक आपको पूरी तरह प्रोटेक्शन नहीं मिलता है। इसलिए बेहद जरूरी है कि आप वैक्सीन के दोनों डोज लें।

क्या वैक्सीन का एक डोज पर्याप्त इम्युनिटी प्रोवाइड करता है?

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ज्यादातर वैक्सीन का सिंगल डोज एफिकेसी टेस्ट नहीं हुआ है। यानी उनका एक डोज कितना कारगर है इसको लेकर कोई टेस्ट नहीं किए गए हैं। इसलिए हम नहीं जानते कि वैक्सीन का एक डोज कितना इफेक्टिव है। हालांकि, कोवीशील्ड के सिंगल डोज को लेकर की गई एक स्टडी पता लगा है कि कोवीशील्ड का सिंगल डोज थोड़ा प्रोटेक्शन जरूर प्रोवाइड करता है, लेकिन उसका असर बहुत जल्दी खत्म हो जाता है। इसलिए वैक्सीन के दोनों डोज लेने से ही आपको पर्याप्त इम्युनिटी मिल सकती है।

जिनका दूसरा डोज मिस हुए ज्यादा समय हो गया, क्या उन्हें दोबारा पहला डोज लेना होगा?

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नहीं। ऐसे लोगों को दोबारा पहला डोज नहीं लेना होगा। जब भी मौका मिले तब आप दूसरा डोज ले सकते हैं।

डोज मिस होने से एंटीबॉडी कम हो जाएगी, क्या ऐसे लोगों को बूस्टर डोज दिया जाएगा?

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बूस्टर डोज की बात वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर की जाती है। अभी फिलहाल जो वैक्सीन उपलब्ध हैं, उनमें से कुछ वैक्सीन पर रिसर्च की गई है। इन रिसर्च में सामने आया है कि समय के साथ एंटीबॉडी कम होती चली जाती है। लेकिन टीकाकरण  का हमारा उद्देश्य है कि गंभीर बीमारी, हॉस्पिटलाइजेशन और मौत से लोगों का बचाव करना। भले ही हमारे शरीर में एंटीबॉडी कम हो, लेकिन वो फिर भी हमें कोरोना की वजह से गंभीर बीमारी, हॉस्पिटलाइजेशन और मौत से बचाने में कारगर है। इसलिए फिलहाल बूस्टर डोज रिकमेंड नहीं किया जा रहा। लेकिन हो सकता है कि आने वाले समय बूस्टर डोज की जरूरत हो सकती है। लेकिन फिलहाल तो हमारी प्राथमिकता है कि ज्यादा से ज्यादा लोग वैक्सीनेट हो।

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