रिजवी ने डासना मंदिर पहुंचकर कहा कि जब मुझे इस्लाम से निकाल ही दिया गया है, तो ये मेरी मर्जी है कि मैं किस धर्म को स्वीकार करूं। मैंने सनातन धर्म चुना, क्योंकि दुनिया का सबसे पुराना धर्म है। वसीम रिजवी के सनातन धर्म ग्रहण करने के बाद उनका शुद्धिकरण किया जा रहा है। हवन-यज्ञ भी होगा। सारे अनुष्ठान महामंडलेश्वर नरसिंहानंद गिरि की देखरेख में किए जाएंगे। इसके लिए मंदिर में तैयारियां चल रही हैं।
महामंडलेश्वर नरसिंहानंद गिरि ने बताया कि वसीम रिजवी 5 नवंबर को मंदिर में आए थे। उसी दिन उन्होंने कह दिया था कि मृत्यु के बाद उनके शव का अंतिम संस्कार हिन्दू रीति-रिवाज से किया जाए। इसके लिए उन्होंने जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर नरसिंहानंद गिरि को अधिकृत भी कर दिया था। बाकायदा उस दिन वसीम रिजवी मंदिर परिसर में पूजा-अर्चना करके भी गए थे।
‘मोहम्मद’ से फिर चर्चाओं में हैं रिजवी
वसीम रिजवी ने पिछले दिनों ही एक पुस्तक ‘मोहम्मद’ लिखी थी। इसे लेकर सियासी हलचल है। मुस्लिम धर्मगुरुओं ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि रिजवी ने इस किताब के जरिये पैगंबर की शान में गुस्ताखी की है। इसके बाद रिजवी ने बयान जारी करके कहा कि उनकी कभी भी हत्या हो सकती है