उन्होंने कहा कि ये दवा बुजुर्गों को दी जानी चाहिए। खास तौर से उन बुजुर्गों को, जो पहले से गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं। हालांकि साथ ही उन्होंने यह भी सलाह दी कि ये ड्रग प्रजनन की उम्र वालों को नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि मोलनुपिराविर का बेवजह इस्तेमाल खतरनाक साबित हो सकता है।
पिछले साल दिसंबर में स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस एंटी वायरल ड्रग के इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दी थी। हेल्थ एक्सपर्ट्स का दावा है कि यह दवा कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन पर भी कारगर है।
वैक्सीन नहीं, ओरल ड्रग है मोलनुपिराविर
मोलनुपिराविर को सर्दी-जुकाम के मरीजों के लिए बनाया गया था। यह वैक्सीन नहीं, बल्कि ओरल ड्रग है। इसे फार्मा कंपनी मर्क और रिजबैक ने बनाया है। अब इसका इस्तेमाल कोरोना मरीजों पर भी किया जा रहा है।
इसे कोरोना से संक्रमित 18 साल से ज्यादा उम्र के गंभीर मरीजों को दिया जाएगा। मोलनुपिराविर दवा वायरस के जेनेटिक कोड में गड़बड़ी कर उसकी फोटोकॉपी होने से रोकती है। ये कैप्सूल्स का एक कोर्स है।
कितनी कारगर है मोलनुपिराविर?
इंदौर के भंडारी हॉस्पिटल के डॉक्टर रवि डोसी के मुताबिक जिन मरीजों में शुरुआती लक्षण थे, उन्हें मोलनुपिराविर देने से हालत में सुधार देखा गया। डॉक्टरों का मानना है कि शुरुआत में यदि इसे दिया जाए, तो संक्रमण को अधिक फैलने से रोका जा सकता है। इस स्थिति में यह दवा 70% से 80% तक प्रभावी है।
अमेरिका और ब्रिटेन में हो रहा इसका इस्तेमाल
अमेरिका में 12 साल से ज्यादा उम्र वालों को दी जा रही पैक्सलोविड
अमेरिका ने फाइजर की कोविड-19 दवा पैक्सलोविड (Paxlovid) को भी मंजूरी दी है। कोरोना से लड़ने वाली ये दुनिया की पहली ओरल एंटीवायरल पिल है। पैक्सलोविड को मंजूरी देने के एक दिन बाद ही अमेरिका ने मोलनुपिराविर को भी मंजूरी दे दी थी। पैक्सलोविड गंभीर बीमारी की स्थिति में 12 साल के बच्चों और बड़ों को दी जा सकती है।