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यूपी के कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या सहित 03 विधायक का BJP से इस्तीफा, बताई ये बड़ी वजह, अखिलेश यादव से मिलकर सपा का दामन थामा

लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव से पहले BJP को बड़ा झटका लगा है। योगी सरकार में मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने मंगलवार को कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। इसके कुछ देर बाद ही उन्होंने सपा का दामन थाम लिया। स्वामी प्रसाद के समर्थन में विधायक बृजेश प्रजापति, भगवती प्रसाद सागर और रोशन लाल वर्मा ने भी BJP का साथ छोड़ दिया है।

अब चर्चा है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के अलावा मंत्री धर्म सिंह सैनी समेत 4 और MLA सपा जॉइन कर सकते हैं। भाजपा खेमे में मची भगदड़ पर अखिलेश यादव ने कहा कि बाइस में सबके मेल मिलाप से सकारात्मक राजनीति का ‘मेला होबे’। भाजपा की ऐतिहासिक हार होगी।

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स्वामी प्रसाद का इस्तीफा विधायक लेकर पहुंचा राजभवन

स्वामी प्रसाद ने इस्तीफा मेल किया है और शाहजहांपुर विधायक रोशनलाल वर्मा इसकी हार्ड कॉपी लेकर राजभवन पहुंचे। अपने पत्र में उन्होंने पिछड़ों, किसानों, बेरोजगार, नौजवानों और छोटे-लघु एवं मध्यम श्रेणी के व्यापारियों के प्रति सरकार के उपेक्षात्मक रवैये को इस्तीफे की वजह बताया है।

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स्वामी प्रसाद ने कहा कि जो लोग खुद को बड़ा तोप समझ रहे थे, वे 2022 के चुनाव में दग जाएंगे। मौर्य पर 4 महकमों की जिम्मेदारी थी। वो कैबिनेट में श्रम एवं सेवायोजन व समन्वय मंत्री थे। उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य बदायूं से भाजपा सांसद हैं।

अपडेट्स…

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  • शाहजहांपुर से विधायक रोशन लाल वर्मा ने भी भाजपा से इस्तीफा दे दिया है।
  • कानपुर के बिल्हौर विधानसभा के विधायक भगवती प्रसाद सागर भी स्वामी प्रसाद मौर्य के घर पहुंचे हैं।
  • सूत्रों का कहना है कि BJP से इनका टिकट कटना तय माना जा रहा था।
  • बांदा के तिंदवारी से भाजपा विधायक बृजेश प्रजापति ने भी इस्तीफा दे दिया है। माना जा रहा है बृजेश प्रजापति भी सपा में जाएंगे।
  • इसके अलावा पटियाली कासगंज के विधायक ममितेश शाक्य, औरैया विधूना से विधायक विनय शाक्य और बदायूं शेखूपुर से धर्मेंद्र शाक्य और विधायक नीरज मौर्य भी सपा का दामन थाम सकते हैं। हालांकि, विनय शाक्य के भाई देवेश शाक्य ने कहा कि अभी हम कहीं नहीं जा रहे हैं।

मौर्य ने इस्तीफे की वजह ये बताई

मौर्य ने अपने इस्तीफे में लिखा, ”माननीय राज्यपाल जी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के मंत्रिमंडल में श्रम एवं सेवायोजन व समन्वय मंत्री के रूप में विपरीत परिस्थितियों व विचारधारा में रहकर भी बहुत ही मनोयोग के साथ उत्तरदायित्व का निर्वहन किया है। किंतु दलितों, पिछड़ों, किसानों बेरोजगार नौजवानों एवं छोटे- लघु एवं मध्यम श्रेणी के व्यापारियों की घोर उपेक्षात्मक रवैये के कारण उत्तर प्रदेश के मंत्रिमंडल से मैं इस्तीफा देता हूं।”

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अखिलेश यादव ने शेयर की तस्वीर

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स्वामी प्रसाद मौर्य के कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनके साथ एक तस्वीर शेयर की और लिखा- ‘सामाजिक न्याय और समता-समानता की लड़ाई लड़ने वाले लोकप्रिय नेता श्री स्वामी प्रसाद मौर्य जी एवं उनके साथ आने वाले अन्य सभी नेताओं, कार्यकर्ताओं और समर्थकों का सपा में ससम्मान हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन!’

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केशव बोले- जल्दबाजी के फैसले अक्सर गलत होते हैं

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डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने स्वामी प्रसाद के इस्तीफे को जल्दबाजी में लिया गया फैसला करार दिया है। उन्होंने लिखा,’ आदरणीय स्वामी प्रसाद मौर्य जी ने किन कारणों से इस्तीफा दिया है मैं नहीं जानता हूं उनसे अपील है कि बैठकर बात करें। जल्दबाजी में लिए हुए फैसले अक्सर गलत साबित होते हैं।’

21 सितंबर 2016 को स्वामी प्रसाद ने भाजपा जॉइन की थी

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22 जून 2016 की तपती दुपहरिया में विधानसभा के कमरे में स्वामी प्रसाद मौर्य ने मीडिया के सामने एलान कर बसपा छोड़ी थी। इसके बाद उन्होंने लोकतांत्रिक बहुजन मंच का गठन किया और जिलों में अपनी ताकत दिखाने में जुट गए थे। इसके बाद 21 सितंबर 2016 को उन्होंने भाजपा जॉइन कर ली। उस समय भाजपा 2017 का चुनाव जीतने के लिए जिताऊ कैंडिडेट पर भरोसा कर रही थी।

बहरहाल, अब एक बार फिर स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा छोड़ कर सपा जॉइन कर ली है। जानकार मानते हैं कि भाजपा में केशव प्रसाद मौर्य के रहते स्वामी प्रसाद मौर्य को वह महत्व नहीं मिल पा रहा था। जितना महत्व उन्हें बसपा या अब सपा में मिल जाएगा। यूपी में 8 फीसदी मौर्य और कुशवाहा हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य की इन पर अच्छी पकड़ मानी जाती है।

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हालांकि, भले ही स्वामी प्रसाद मौर्य अब सपा में गए हैं, लेकिन सीएम रहते हुए अखिलेश यादव उन्हें कई बार सपा में शामिल होने का न्योता विधानसभा सदन में दे चुके थे। स्वामी प्रसाद मौर्य अभी तक पांच बार विधायक बन चुके हैं जबकि मायावती और योगी कैबिनेट में मंत्री पद भी मिला। यही नहीं विपक्ष में रहते हुए वह नेता प्रतिपक्ष के पद पर भी रहे।

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