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भारतीय राजनीति में पेगासस ने लाया बड़ा भूचाल, जो है दुनियां का सबसे ताकतवर जासूसी सॉफ्टवेयर

नई दिल्ली । जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस फिर सुर्खियों में है। हालिया चर्चा एक रिपोर्ट में भारत सरकार के 2017 में इसे इजराइल से खरीदने को लेकर हो रही है।। पेगासस (Pegasus) नाम के स्पाइवेयर का इस्तेमाल फोन के जरिए किसी की जासूसी के लिए किया जाता है।

महज एक दशक के अंदर ही इजराइल का पेगासस दुनिया का सबसे ताकतवर जासूसी सॉफ्टवेयर बन गया है और इसे बनाने वाला ग्रुप हजारों करोड़ का मालिक बन गया है। न केवल भारत बल्कि पिछले एक दशक के दौरान दुनिया के 40 देशों को ये सॉफ्टवेयर बेचा गया है।

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चलिए जानते हैं कि आखिर क्या है पेगासस? कैसे हुई थी इसकी शुरुआत? कैसे कई बड़े देश बने पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर के कस्टमर?

पेगासस स्पाइवेयर आखिर है क्या?

पेगासस एक स्पाइवेयर या जासूसी सॉफ्टवेयर है, जिसे इजराइली फर्म NSO ग्रुप ने डेवलप किया है। स्पाइवेयर एक ऐसा सॉफ्टवेयर होता है, जिसे आपके फोन या कंप्यूटर डिवाइस में एंट्री करने, आपका डेटा इकट्ठा करने और आपकी सहमति के बिना इसे किसी थर्ड पार्टी को फॉरवर्ड करने के लिए डिजाइन किया जाता है।

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पेगासस, शायद अब तक का सबसे शक्तिशाली जासूसी सॉफ्टवेयर है। यह स्मार्टफोन (एंड्रॉयड, आईओएस) में घुसपैठ करने और उन्हें सर्विलांस या निगरानी डिवाइसेज में बदलने के लिए डिजाइन किया गया है।

पेगासस क्या काम करता है?
इजराइली कंपनी का दावा है कि पेगासस का उपयोग अपराधियों और आतंकवादियों को पकड़ने के लिए एक टारगेटेड जासूसी टूल के रूप में होता है न कि लोगों की निगरानी में। हालांकि, महज कुछ ही साल में दुनिया भर की सरकारों ने इसका इस्तेमाल मनचाहे टारगेटेड लोगों की जासूसी में जमकर किया है।

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पेगासस को चलाने वाले NSO ग्रुप ने तेजी से कमाए हजारों करोड़

पेगासस को बनाने वाली कंपनी NSO ग्रुप की कमाई तेजी से बढ़ी। 2011 में 15 मिलियन डॉलर (112 करोड़ रुपए), 2012 में 30 मिलियन डॉलर (224 करोड़ रुपए), 2013 में इस कंपनी की कमाई 40 मिलियन डॉलर (300 करोड़ रुपए) थी जो महज दो सालों में ही बढ़कर 150 मिलियन डॉलर (1120 करोड़ रुपए) हो गई।

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जून 2014 में NSO में अमेरिकी इंवेस्टमेंट फर्म फ्रांसिस्को पार्टनर्स ने 70 पर्सेंट शेयर 130 मिलियन डॉलर में खरीदे थे। फोर्ब्स के मुताबिक, जुलाई 2021 में NSO की मार्केट वैल्यू 1 अरब डॉलर यानी करीब 7500 करोड़ रुपये आंकी गई थी।

जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस के पीछे कौन?

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  • दुनिया के सबसे कुख्यात जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस को इजराइल की साइबर फर्म NSO ग्रुप टेक्नोलॉजीज ने डेवलप किया है।
  • NSO कंपनी की स्थापना इजराइल की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले शहर तेल अवीव में 2010 में हुई थी।
  • एनएसओ की स्थापना तीन लोगों नीव कर्मी, शैलेव हुलियो और ओमरी लवी ने की थी।
  • इन तीनों के नाम के पहले अक्षर को मिलाकर ही NSO कंपनी बनी थी। इसका हेडक्वॉर्टर तेल अवीव के पास के शहर हर्जलिया में है।

चिकन फार्म में हुई थी पेगासस बनाने वाली कंपनी की शुरुआत
न्यूयॉर्क टाइम्स मैगजीन की रिपोर्ट के मुताबिक, NSO कंपनी की शुरुआत 2000 के मध्य में तेल अवीव के पास स्थित बनई सियोन शहर में एक चिकन फार्म चलाने वाली बिल्डिंग से हुई थी। बिल्डिंग के मालिक को लगा कि चिकन से ज्यादा कमाई कोडर्स को बिल्डिंग किराए पर देने से हो सकती है। उसने सस्ते में ऑफिस खोज रहे टेक स्टार्टअप्स को बिल्डिंग किराए पर दे दी। इन्हीं में से एक स्टार्टअप उस NSO कंपनी बनाने वालों का था, जिसने आगे चलकर दुनिया का सबसे खतरनाक जासूसी सॉफ्टवेयर बनाया।

NSO ने क्यों बनाया था पेगासस सॉफ्टवेयर

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  • एनएसओ के फाउंडर्स शैलेव और ओमरी ने शुरुआत में एक वीडियो मार्केटिंग प्रोडक्ट बनाया था, लेकिन 2008 की आर्थिक मंदी की वजह से वह फ्लॉप हो गया।
  • इसके बाद इन दोनों ने CommuniTake नाम की कंपनी बनाई। यह सेलफोन टेक-सपोर्ट वर्कर्स को कस्टमर के परमिशन से उनके डिवाइस को कंट्रोल करने की इजाजत देती था।
  • इस कंपनी की सेवाएं एक यूरोपीय एजेंसी ने ली। इसके बाद शैलेव और ओमरी को लगा कि कस्टमर सर्विस से बढ़कर उनकी कंपनी खुफिया सेवाओं में काम आ सकती है।
  • मिलिट्री ट्रेनिंग ले चुके शैलेव और ओमरी की ये ख्वाहिश तब पूरी हुई, जब 2010 में उनके तीसरे साथी नीव कर्मी उनसे जुड़े। तीनों के साथ आने से बनी कंपनी का नाम था NSO
  • नीव न केवल मिलिट्री बल्कि मोसाद जैसी खुफिया एजेंसी में भी काम कर चुके थे। उन्होंने अपनी पहचान का फायदा उठाया और इसके बाद कंपनी ने हर्जलिया में अपना हेडक्वॉर्टर बनाया और 700 लोगों को हायर कर लिया।
  • NSO की रिसर्च टीम के लगभग हर सदस्य को खुफिया सेवाओं का अनुभव है। उनमें से ज्यादातर ने इजराइली जासूसी कम्युनिटी की सबसे बड़ी एजेंसी, इजराइली मिलिट्री इंटेलिजेंस डायरेक्टोरेट, AMAN के साथ काम किया है।

कैसे मिली पेगासस को अपनी पहली डील
NSO ने 2011 में अपने स्पाइवेयर पेगासस को डेवलप कर लिया था। उसके लिए इसे किसी देश को बेच पाना उतना आसान नहीं रहा। कोई भी देश इजरायली कंपनी से किसी सॉफ्टवेयर को खरीदने को लेकर भरोसा नहीं कर रहा था। वे उसे शक की नजर से देख रहे थे।

इसी समय NSO कंपनी के चेयरमैन के रूप में मेजर जनरल एविग्डोर बेन-गैल की एंट्री हुई। वे एक सम्मानित सैन्य अधिकारी थे। उनकी एंट्री ने NSO और इजराइली सरकार को करीब लाने में अहम भूमिका निभाई।

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NSO ने पेगासस के लिए इजराइली सरकार से मिलाया हाथ

NSO कंपनी ने इसके बाद एक ऐसा फैसला लिया, जिसने उसे बाकी जासूसी सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनियों से मीलों आगे खड़ा कर दिया।

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  • NSO फाउंडर्स ने तय किया कि अब वे किसी व्यक्ति या कंपनी के बजाय केवल सरकारों को ही अपना सॉफ्टवेयर बेचेंगे, वह भी इजराइली डिफेंस एक्सपोर्ट कंट्रोल एजेंसी ( DECA) की निगरानी में मिलने वाले लाइसेंस के जरिए ही।
  • यहीं से शुरुआत हुई NSO और इजराइल सरकार के बीच एक ऐसी साझेदारी की, जिसने दुनिया के कई देशों को जासूसी सॉफ्टवेयर के लिए उन पर निर्भर बना दिया।
  • पेगासस को दुनिया को बेचकर NSO कंपनी को आर्थिक फायदा नजर आया तो इजराइल ने इसे ‘डिप्लोमैसी टूल’ के तौर पर इस्तेमाल किया।
  • NSO के लिए इजराइली सरकार के आने से पेगासस को दूसरे देशों के लिए बेचने की राह खुल गई। पेगासस को पहला बड़ा ब्रेक मैक्सिको के रूप में मिला।
  • आधिकारिक तौर पर पेगासस के जरिए पहली बार जासूसी का मामला 2016 में यूएई के मानवाधिकार कार्यकर्ता अहमद मंसूर के फोन की जासूसी से सामने आया था।
  • हालांकि NYT की रिपोर्ट के मुताबिक, यूएई 2013 से ही पेगासस का यूज कर रहा था और पनामा के राष्ट्रपति रिकॉर्डो मार्टिनेली ने भी 2012 से 2014 तक इसका यूज किया था।

मैक्सिकन सरकार ने ड्रग माफिया के खिलाफ कार्रवाई के लिए इस जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया। लेकिन धीरे-धीरे उसने विपक्षी नेताओं और कुछ पत्रकारों खिलाफ भी इसका इस्तेमाल किया।

  • पेगासस के जरिए इजराइल ने कैसे दुनिया में अपना दबदबा बढ़ाया

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    • पेगासस को इजराइल ने मॉडर्न साइबर हथियार के तौर पर दुनिया के सामने पेश किया और अपनी डिप्लोमेसी में इसका जमकर इस्तेमाल किया।
    • 80-90 के दशक तक इजराइल दुनिया के टॉप-10 हथियार सप्लायर्स में शामिल हो चुका था। उसने न केवल दुनिया को हथियार बेचे बल्कि कुछ साल बाद पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर भी उसकी डिप्लोमेसी का हिस्सा बन गया।
    • इजराइल और NSO इसके बाद रुके नहीं और महज कुछ साल में ही भारत, मैक्सिको, सऊदी अरब, यूएई समेत कम से कम 40 देशों की सरकारों या सरकारी एजेंसियों को ये जासूसी सॉफ्टवेयर बेच डाला।
    • बाद में दुनिया के कई हिस्सों में सरकारों ने विपक्षी नेताओं, अपने मंत्रियों, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए जासूसी कराई।
  • इजराइल ने इसके जरिए न केवल यूएई और सऊदी अरब जैसे अरब देशों के साथ अपने संबंध सुधारे बल्कि दुनिया के कई देशों को फिलीस्तीन से टकराव जैसे मुद्दों पर अपने समर्थन में ला खड़ा किया। इन देशों में भारत भी शामिल था।

भारत ने भी पेगासस के बदले की इजराइल की मदद?

NYT की रिपोर्ट के मुताबिक, PM नरेंद्र मोदी के जुलाई 2017 में इजराइल दौरे के दौरान भारत-इजराइल के बीच करीब 15 हजार करोड़ रुपए की डिफेंस डील हुई। इस डील में पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर भी शामिल था।

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पेगासस के बदले में भारत ने जून 2019 में संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद में इजराइल के पक्ष में और फिलीस्तीन के खिलाफ वोट दिया था। ये पहली बार था, जब भारत ने इजराइल-फिलीस्तीन विवाद में किसी एक के पक्ष में वोट दिया था।

भारत में 2019 में ही पेगासस के जरिए कई चर्चित लोगों की जासूसी का मुद्दा उठा था। हालांकि भारत और इजराइल दोनों सरकारें इससे इनकार करती रही हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में इसके जरिए पत्रकारों, मंत्रियों, एक जज, कई बड़े नेताओं से लेकर बिजनेसमैन और सामाजिक कार्यकर्ताओं तक के फोन की जासूसी की गई।

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पेगासस वसूलता है सरकारों से मोटा चार्ज
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इजराइली कंपनी ने दुनिया भर की कई सरकारों को पेगासस सॉफ्टवेयर बेचा है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कई स्मार्टफोन में सेंध लगाने में सक्षम पेगासस के एक सिंगल लाइसेंस की कीमत 70 लाख रुपए तक हो सकती है।

NSO ग्रुप अपने कस्टमर्स से पेगासस के जरिए 10 डिवाइसेज में सेंध लगाने के लिए करीब 5-9 करोड़ रुपए चार्ज वसूलता है और साथ ही इसके इंस्टॉलेशन के लिए करीब 4-5 करोड़ रुपए चार्ज करता है।

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फोन में कैसे लगाता है सेंध?

पेगासस एंड्रॉयड या आईओएस की कमियों या बग को निशाना बनाता है। यानी अगर आपका फोन लेटेस्ट सिक्योरिटी से लैस हो, तब भी पेगासस उसमें सेंध लगा सकता है।

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  • पेगासस को किसी भी फोन या किसी अन्य डिवाइस में दूर बैठकर भी इंस्टॉल किया जा सकता है।
  • 2016 तक के पेगासस वर्जन में फोन में टेक्स्ट मैसेज या लिंक भेजकर और यूजर के उस पर क्लिक करने से फोन में सेंध लगती थी।
  • 2019 तक अपग्रेडेड वर्जन से पेगासस ‘जीरो क्लिक’ साफ्टवेयर बन गया। यानी इसके फोन को अपना निशाना बनाने के लिए लिंक की भी जरूरत नहीं पड़ती।
  • कई बार ये एक वॉट्सऐप मिस्ड कॉल के जरिए भी ये आपकी डिवाइस में एंट्री कर सकता है और उस मिस्ड कॉल को भी डिलीट कर देता है, जिससे यूजर जान ही नहीं पाता कि उसका फोन हैक हो गया है।
  • वॉट्सऐप के मुताबिक, पिछले कुछ साल में पेगासस ने दुनिया भर में करीब 1400 एंड्रॉयड और आईफोन को वॉट्सऐप के जरिए निशाना बनाया।
  • फोन में घुसने के बाद क्या करता है पेगासस?
    फोन में एक बार इंस्टॉल होने के बाद, पेगासस फोन में मौजूद लगभग सारी जानकारियां, जैसे-मैसेज, कॉन्टैक्ट नंबर, कॉल हिस्ट्री, कैलेंडर, ईमेल, ब्राउजिंग हिस्ट्री समेत हर जानकारी चुरा लेता है। ये आपके फोन के माइक्रोफोन के जरिए आपका कॉल रिकॉर्ड या दूसरे से बातचीत तक रिकॉर्ड कर सकता है। ये आपके कैमरे के जरिए चुपके से आपकी वीडियो बना सकता है। ये जीपीएस के जरिए आपकी लोकेशन ट्रैक कर सकता है। कुल मिलाकर ये 24 घंटे आपकी निगरानी करने लगता है।

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