संतकबीरनगर । उत्तर प्रदेश सहित तमाम राज्यों में न्यूज़ पोर्टल और यूट्यूब के माध्यम से हजारों लोग खबरों का प्रसारण कर रहे हैं, और इसके संचालक रुपये लेकर प्रेस कार्ड जारी करते हुए लाखों की कमाई कर रहे हैं और साथ ही अपने आप को संपादक बन बैठे हैं, जो प्रेस नियमों के विरुद्ध है ।
हालांकि खबरों को प्रकाशित और प्रसारित करने किसी भी माध्यम से जुर्म नहीं है, लेकिन इसके लिए प्रेस कार्ड जारी तभी किया जा सकता है जब वह RNI दिल्ली से रजिस्टर्ड हो। लेकिन देखा जा रहा है कि ऐसे लोगों पर न तो जिला प्रशासन का संबंधित अधिकारी ही कोई कार्यवाही कर रहा है और न ही इस पर लगाम लग रही है,
आप को बता दें कि विधानसभा चुनाव 2022 चल रहा है ऐसे मौके पर बस्ती मंडल के संतकबीरनगर में भी न्यूज़ पोर्टलों और यूट्यूबरों की बाढ़ आ गई है ,राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशी और जन प्रतिनिधि भी ऐसे रिपोर्टरों की भीड़ से परेशान नज़र आ रहे हैं, क्योंकि तमाम ऐसे लोग इस बाढ़ का हिस्सा हैं जिसका कभी पत्रकारिता से दूर दूर का रिश्ता भी नही था उन्हें पत्रकारिता की एबीसीडी नहीं मालूम और बन गए संपादक,
कई प्रत्याशी तो इनकी भीड़ देखकर कमरे में छिप जाते है
और पोर्टलों यूट्यूब चैनलों के रिपोर्टर और संपादक बने लोग घंटो खड़े बैठे इंतज़ार करते नज़र आते हैं, की नेता जी कमरे से निकलें और कुछ खरचा पानी दें
आपको बता दें कि जिले में कई ऐसे संपादक भी बने बैठे हैं जो टाइटिल लेकर संपादक बने बैठे हैं, और इसकी आड़ में या तो अपनी कोई कंपनी या एनजीओ या फ़िर दो नम्बर के काम कर रहे है ,और अपनी एक बढ़िया सी ऑफिस खोल कर प्रेस का संपादक बनकर धौस जमाते फिर रहे हैं,साथ ही 5 हजार से 10 हजार रुपये में प्रेस कार्ड बेचने का काम कर रहे हैं जो क़ानूनन जुर्म है,
लेकिन ताज्जुब तो ये हो रहा है कि सब कुछ देखते हुए भी जिलाधिकारी और प्रेस से संबंधित अधिकारी मौन हैं, यही नहीं ऐसे लोगों को समय समय पर प्रेस पास भी सूचना कार्यालय द्वारा जारी कर दिया जाता है, जो नियम के विरुद्ध है, जिलाधिकारी सहित संबधित अधिकारी (सूचना अधिकारी) को चाहिए कि ऐसे मामलों की गंभीरता से जांच करें, और असली और नकली का फर्क आम जनता और जनप्रतिनिधियों के सामने लाएं जिससे लोगों के समझ आ जाय, क्योंकि आम जनता और जन प्रतिनिधि भी नहीं समझ पा रहे हैं कि कौन असली और कौन नकली पत्रकार है,
सोशल मीडिया के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पोर्टलों और यूट्यूब चैनलों की आई बाढ़ को देखते हुए ऐसे स्वयम्भू संपादकों और रिपोर्टरों और इनको बढ़ावा देने वालो से सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (RNI) सख्ती से निपटने जा रही है
बताया जा रहा है कि सोशल साइट्स, न्यूज़ पोर्टल, यूट्यूब पर न्यूज़ चैनल बनाकर स्वयं को संपादक लिखने वाले जाल-साजों पर केस दर्ज कर जेल भेजे जाने की तैयारी सरकार द्वारा की जा रही है। सूचना प्रसारण मंत्रालय का स्पष्ट कहना है कि प्रेस कार्ड को जारी करने का अधिकार सिर्फ (RNI) रजिस्टर्ड समाचार पत्रों के संपादक को ही है तथा ऐसे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया चैनल जो मिनिस्ट्री आफ ब्रॉडकास्ट से मान्यता प्राप्त है, वह भी जारी कर सकते हैं ।
जिला प्रशासन ऐसे लोगों पर अगर कार्यवाही नहीं करता है तो अब सरकार द्वारा अभियान चलाकर फर्जी संपादकों पर नकेल कसने, और उनके खिलाफ FIR दर्ज करने की तैयारी की जा रही है, जिम्मेदार अधिकारी बताते हैं कि न्यूज़ पोर्टल और यूट्यूब चैनल बनाकर आप खबरों को तो दिखा सकते हैं, इसका मतलब यह नहीं कि आप एक पंजीकृत मीडिया संस्थान हैं, आप प्रेस कार्ड जारी करने का अधिकार नहीं रखते हैं, यदि आप ऐसा करते हैं, तो यह विधि विरुद्ध है,