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संतकबीरनगर

मच्‍छर जनित रोगों पर प्रभावी नियन्‍त्रण के लिए एण्‍टोमोलॉजिकल सर्वे: प्रयोगशाला में अध्‍ययन के लिए, मच्छरों का किया जा रहा है संग्रह

  • एण्‍टोमोलॉजिकल सर्विलांस से मच्‍छर जनित रोगों से निजात पाने का प्रयास
  • उच्च प्राथमिकता वाले गांवों में मच्‍छरों को पकड़कर भेज रहे प्रयोगशाला
  • मच्‍छरों के घनत्‍व, प्रकृति, प्रकार तथा नर व मादा का निकालेंगे औसत

संतकबीरनगर । मच्‍छर जनित रोगों पर प्रभावी नियन्‍त्रण के लिए जिले मे मच्‍छर जनित रोगों के उच्‍च प्राथमिकता वाले गांवों में एण्‍टोमोलॉजिकल सर्वे कराया जा रहा है। इन गांवों में जाकर विशेष समयावधि में मच्‍छरों का संग्रह किया जा रहा है। संग्रह किए गए मच्‍छरों को प्रयोगशाला में अध्‍ययन के लिए भेजा जा रहा है। इस दौरान मच्‍छरों के प्रकृति, प्रकार तथा नर व मादा का औसत निकाला जाएगा तथा उसी हिसाब से मच्‍छरजनित रोगों से बचने की रणनीति बनायी जाएगी।

अपर मुख्‍य चिकित्‍सा अधिकारी वेक्‍टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम डॉ वी पी पाण्‍डेय बताते हैं कि जिले के सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र खलीलाबाद क्षेत्र में स्थित गिरधरपुर गांव तथा प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र बधौली के नौवाडाड़ गांव में एंटोमोलाजिकल सर्वे शुरु किया गया है। कीट संग्रहकर्ता की टीम के साथ मलेरिया निरीक्षक इन दोनों गांवों में जाकर मच्‍छरों को पकड़ रहे हैं।

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उन्‍हें अध्‍ययन के लिए एंटोमोलॉजिकल लैब में भेजा जा रहा है। अभी प्रथम चरण में इन्‍हीं दो गांवों में सर्विलांस की कार्यवाही चल रही है। इन दोनों गांवों का सर्वे पूरा हो जाने के बाद अन्‍य गांवों में सर्वे होगा। इनमें मलेरिया, फाइलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, जेई, एईएस आदि फैलाने वाले मच्‍छरों की जांच की जा रही है। इस अभियान से मच्छरों की रोकथाम और उनसे होने वाली बीमारियों के बारे में अहम निष्कर्ष निकाले जा सकेंगे ।

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मलेरिया इंस्‍पेक्‍टर प्रेमप्रकाश बताते हैं कि यह एक नया अनुभव था। बस्‍ती  से आए कीट संग्रहकर्ता ने मच्‍छरों को संग्रह करने, उनकी क्षेत्र विशेष में उपलब्‍धता से सम्‍बन्धित विभिन्‍न जानकारियां प्रदान कीं। अभी टीम ने दो दिन ही सर्वे किया  है। वहीं मलेरिया इंस्‍पेक्‍टर सीमा सिंह , अतिन श्रीवास्‍तव, दीपक तथा अन्‍य लोगों ने इस सर्वे में सहभागिता की।

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कैसे पकड़ते हैं मच्‍छरों को

मच्‍छरों को पकड़ने के लिए कीट संग्रहकर्ता संबंधित व्‍यक्ति के घर में जाते हैं तथा उसकी आलमारी के पीछे, कपड़े रखने के स्‍थानों, अंधेरे स्‍थानों व बोरे व अनाज रखने वाले स्‍थानों में जाते हैं। वहां पर टार्च जलाकर मच्‍छरों को देखते हैं। उनकी गिनती करते हैं तथा एक विशेष प्रकार के यन्‍त्र की सहायता से मच्‍छरों को मुंह की सांस के जरिए अपने यंत्र में खींच लेते हैं। इसके बाद उस मच्‍छर को परखनली में बन्‍द करके उपर से रुई लगा दी जाती है तथा उसपर साइट का लेबल लगाकर सम्‍बन्धित प्रयो‍गशाला को भेज दिया जाता है।

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जनपद में दो सेंटीनल साइट पर हो रहा काम

जिले में दो सेंटीनल साइट पर अभी यह कार्य किया जा रहा है। इसमें खलीलाबाद ब्‍लाक क्षेत्र का गिरधरपुर गांव तथा बघौली ब्‍लाक क्षेत्र का नाऊडॉड़ गांव शामिल है। इन दोनों गांवों में बस्‍ती से आने वाले कीट संग्रहकर्ता प्रदीप श्रीवास्‍तव के साथ जिले के मलेरिया इंस्‍पेक्‍टर की टीम जाती है तथा हर शुक्रवार को पांच घरों में मच्‍छरों का संग्रह करती है।

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24 घण्‍टे की समयावधि में किया जाएगा संग्रह

जिला मलेरिया अधिकारी राम सिंह बताते हैं कि इन मच्‍छरों का संग्रह 24 घण्‍टे की समयावधि में किया जाएगा, ताकि यह पता चल सके कि सुबह कौन सी मच्‍छर की प्रजाति सक्रिय रहती है, दोपहर, शाम, रात, मध्‍यरात्रि व भोर में कौन से मच्‍छर क्षेत्र विशेष में सक्रिय रहते हैं। इसलिए चार घण्‍टे का शेड्यूल तय करके यह संग्रह किया जा रहा है।

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