नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव की सुगबुगाहट पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट आने के बाद एक बार फिर तेज हो गई है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राज्य सरकार ने उप्र राज्य समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दी है. अब यह मामला कोर्ट के हाथ में है, वो इस पर अपना फैसला देगा, जिसके आधार पर सरकार आगे की प्रक्रिया पूरी करेगी.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शासन से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी होने के बाद भी तैयारियों में कम से कम 20 से 25 दिन का समय लगेगा. ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार अप्रैल के अंतिम सप्ताह में निकाय चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी कर दे. वहीं इसके बाद मई में चुनाव कराया जाएगा.
आरक्षण का परीक्षण कराने का निर्देश
दरअसल यूपी के निकाय चुनाव में ओबीसी वर्ग की आरक्षित सीटों पर विवाद को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट चला गया था. जिसके बाद कोर्ट ने चुनाव पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार को पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन करके पिछड़ों को दिए गए आरक्षण का परीक्षण कराने का निर्देश दिया था. साथ ही आयोग को 31 मार्च तक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश भी दिया था.
कैबिनेट से मंजूरी के बाद सुप्रीम कोर्ट में पेश रिपोर्ट
वहीं अब आयोग ने तय समय सीमा के 22 दिन पहले ही रिपोर्ट तैयार करके सरकार को सौंप दिया है. वहीं सरकार ने भी रिपोर्ट को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट में पेश कर दिया है. बता दें कि नगर विकास विभाग प्रमुख सचिव अमृत अभिजात और न्याय विभाग के अधिकारी सोमवार सुबह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. यहां उन्होंने रिपोर्ट दाखिल करने के बाद कोर्ट से सुनवाई के लिए तारीख देने की अपील की.
मेयर और अध्यक्ष की सीटों में बदलाव
वहीं अब एक बार फिर सीटों के आरक्षण में बदलाव को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं. हालांकि रिपोर्ट में दिए ग सुझावों के आधार पर ऐसा माना जा रहा है कि मेयर और नगर पंचायत अध्यक्ष की सीटों के लिए पहले जारी आरक्षण में बदलाव हो सकता है.