- साफ्टवेयर की कीमत के साथ 70 हजार हॉस्पिटल को अदा करने का आदेश
- अधिवक्ता अन्जय कुमार श्रीवास्तव के बहस पर आयोग ने सुनाया फैसला
- सिद्धार्थ आर्थो हॉस्पिटल का मामला
संतकबीरनगर : जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार सिंह, सदस्य सुशील देव व श्रीमती संतोष ने शनिवार को करप्ट साफ्टवेयर बेचने के एक मामले को गम्भीरता से संज्ञान लिया है। साफ्टवेयर डेवलेपर के खिलाफ फैसला सुनाते हुए साफ्टवेयर की कीमत रुपये 45 हजार व नेटवर्किंग केबिल का व्यय रुपये 40 हजार के साथ क्षतिपूर्ति के रुप में 30 हजार अतिरिक्त अदा करने का आदेश दिया है।
मामला सिद्धार्थ आर्थो हॉस्पिटल का है, खलीलाबाद के मड़या चौराहे के निकट स्थित सिद्धार्थ आर्थो हास्पिटल के संचालक डॉ. विजय कुमार गुप्ता ने अपने अधिवक्ता अन्जय कुमार श्रीवास्तव के माध्यम से उपभोक्ता आयोग में मुकदमा दाखिल कर कहा कि उन्हें हॉस्पिटल में दिनभर के गतिविधियों को संभालने के साथ पैथालॉजी, एडमिशन, ओपीडी, डिस्चार्ज, आपरेशन आदि का रिकॉर्ड रखने के लिए उसके अनुरुप साफ्टवेयर की जरुरत थी।
गोरखपुर के बैंक रोड पर सुनन्दा टावर के निकट स्थित जैबू साफ्टवेयर प्रा.लि. का साफ्टवेयर डेवलेपर जितेंद्र मोहन जायसवाल दिनांक 26 जुलाई 2022 को उनके पास आये और अपने सॉफ्टवेयर के खूबियों के बारे में बताने के साथ डेमो दिखाते हुए उन्हें पूरी तरह से आश्वस्त किये कि वन टाइम सेटअप, इंस्टालेशन व ट्रेंनिग चार्जेज रुपये 45 हजार है।
उन्होंने यह भी कहा कि उनके विशेषज्ञ हॉस्पिटल के कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने आएंगे। उन्होंने अगले दिन रुपये 45 हजार दे दिया। हॉस्पिटल में नेटवर्किंग केबिल लगवाने का खर्च 40 हजार अलग से आया। साफ्टवेयर की सभी फाइलें करप्ट थी। कोई विशेषज्ञ ट्रेंनिग देने नही आया। बार-बार शिकायत के बावजूद विक्रेता ने कोई ध्यान नही दिया। परेशान होकर कोर्ट की शरण लेनी पड़ी।
न्यायालय ने पत्रावली पर दाखिल प्रपत्रों व अधिवक्ता के बहस को सुनने के उपरांत साफ्टवेयर की कीमत रुपये 45 हजार नेटवर्किंग केबिल की कीमत रुपये 40 हजार आठ प्रतिशत ब्याज के साथ रुपये 30 हजार क्षतिपूर्ति के रुप में अतिरिक्त अदा करने का आदेश दिया है।