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संतकबीरनगर

SANTKABIR NAGAR: भ्रष्टाचार की जांच पूरी किए बिना ही लौट गई गांव में पहुँची जांच टीम, ग्रामीणो ने जांच टीम पर लगाया भ्रष्टाचार का आरोप

संतकबीरनगर । विकास कार्यों में भ्रष्टाचार होने की शिकायत पर लोकायुक्त के निर्देश पर रविवार को बघौली ब्लॉक के ग्राम सभा पड़ोखर में 37 बिंदुओं पर जांच करने पहुँची टीम,ग्रामीणों के आक्रोश को देख वापस हो गई । बताया जा रहा कि जांच टीम ने सिर्फ 6 बिंदुओं पर अधूरी स्थलीय जांच की जिसको लेकर शिकायतकर्ता सहित ग्रामीण संतुष्ट नहीं है ।

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प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम पड़ोखर के निवासी अब्दुल रहमान पुत्र शोएब अहमद ने कुछ दिनों पहले लोकायुक्त को एक शिकायती पत्र दिया था जिसमे बताया गया है कि गांव में वर्तमान प्रधान/प्रतिनिधि द्वारा लाखों रुपये के विकास कार्य सिर्फ कागजों में किये गए हैं, मामले को संज्ञान में लेते हुए लोकायुक्त उत्तर प्रदेश ने संतकबीर नगर जिला प्रशासन को जांच के आदेश दिए थे । जिसके क्रम में जिलाधिकारी द्वारा टीम गठित की गई, और ये टीम दिनाँक 19-11-2023 रविवार को ग्राम पड़ोखर में पहुँची। पहले तो प्राथमिक विद्यालय पड़ोखर में एक छोटी बैठक ग्रामीणों के साथ हुई जिसमें भ्रष्टाचार से संबंधित जानकारियां ली गईं, उसके बाद जांच टीम द्वारा ग्राम सभा पड़ोखर के दो पूर्वा पर कुल 6 बिंदुओं पर स्थलीय जांच की गई,लेकिन इस जांच से ग्रामीण संतुष्ट नहीं दिखे,

जांच के दौरान कई मौकों पर ग्रामीणों में ही नोकझोक हुई,मौके की नजाकत को देखते हुए जांच टीम बिना जांच पूरी किये ही वापस लौट गई।

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पूर्व प्रधान गौरव प्रताप यादव ने जांच करने आई टीम पर भी भ्रष्टाचार में लिप्त होने की बात कही है,इनके द्वारा बताया गया कि ग्राम सभा सचिव भ्रष्टाचार में पूरी तरह से लिप्त है,  उन्होंने कहा कि इनके वेतन को देखिए और इनके रहन सहन और खर्च को दिखिए तो साफ तौर पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने जैसा ही प्रतीत होगा,इनकी भी जांच होनी चाहिए,

शिकायतकर्ता और कुछ ग्रामीणों ने बताया कि जिस पोखरे को अपने निजी खर्च से जीर्णोद्धार किया गया । उस पर भी ग्राम प्रधान /प्रतिनिधि द्वारा लाखों रुपये मनरेगा मजदूरी के नाम पर निकाल लिया गया है, जिसका साक्ष्य भी दिया गया है । इसके बावजूद भी जांच टीम ने पारदर्शी जांच न कर वापस चली गई, इस बाबत हमारे संवाददाता द्वारा जब ग्राम प्रधान प्रतिनिधि मुन्ना गोस्वामी से जानकारी ली गई तो उन्होंने शिकायतकर्ता द्वारा की गई शिकायत को सिरे से खारिज़ करते हुए कोटेदार और शिकायतकर्ता पर ही 20 हजार रुपये मांगने का आरोप लगा दिया । अब देखना ये है कि लोकायुक्त द्वारा निर्देशित जांच में जांच टीम कितनी ईमानदारी दिखाती है ये अभी कहना मुश्किल है। फिर भी ग्रामीणों की मांग है कि जांच टीम 37 बिंदुओं पर ईमानदारी से जांच करके लोकायुक्त को रिपोर्ट प्रस्तुत करे, अन्यथा हम लोग फिर लोकायुक्त को भ्रष्टाचार की जांच के लिए मांग करेंगे ।
आपको बता दें कि भ्रष्टाचार की जांच करने वाली टीम में जिले के आला अधिकारी डीसी मनरेगा, बघौली ब्लॉक की वीडियो, ग्राम पंचायत सचिव, सहित कई अधिकारी कर्मचारी मौजूद रहे।

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