संतकबीरनगर । 20 वर्ष पहले गोवध एवं धारा 307 दो आरोपी को अपर जनपद एवं सत्र न्यायाधीश रमेश दूबे की कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए दोष मुक्त कर दिया । आरोपी सुबराती व रज्जाक पर अपने एक अन्य साथी के सहयोग से गोवध करने की नीयत से पशुओं को ले जाने तथा जान से मारने की नीयत से फायर करने का आरोप लगाया गया था।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता राजेश कुमार मिश्र व मोहम्मद असलम ने बताया कि प्रकरण में बुद्धिसागर मिश्र पुत्र विन्ध्याचल मिश्र ग्राम व थाना धनघटा ने अभियोग पंजीकृत कराया था। वादी का आरोप था कि 27 अक्टूबर 2002 को भोर में करीब तीन
बजे सूचना मिली कि कुछ कसाई गोवंशीय पशुओं को चहोड़ा घाट से नाव द्वारा नदी पार करके उस पार ले जाने वाले हैं। इस सूचना पर मैं अपने साथियों ओमप्रकाश यादव, कौशल व दुर्गा प्रसाद के साथ चहोड़ा घाट पंहुचा। कुछ कसाई बैलों को घाट पर खड़ा करके नाव की प्रतीक्षा कर रहे थे। उनसे बैलों के बारे में पूछा गया।
जाफर पुत्र इसहाक, सुबराती पुत्र यूसुफ व रज्जाक पुत्र इसहाक ग्राम छपरा मगर्वी थाना धनघटा के रहने वाले हैं। यह लोग जानवरों को छोड़ने की बात करने लगे। जब हम लोग तैयार नहीं हुए तो जाफर ने मेरे साथी ओम प्रकाश यादव पर फायर कर दिया और जानवर छोड़कर भाग गए। पांच बैल जो वध के लिए ले जा रहे थे, उनको लेकर थाने आए हैं। शेष पन्द्रह बैल माझा में भाग गए।
तीनों आरोपियों के विरुद्ध गोवध अधिनियम एवं जानलेवा हमले का अभियोग पंजीकृत करके आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया गया। विचारण के दौरान आरोपी जाफर की मृत्यु हो गई। बचाव पक्ष के अधिवक्ता का तर्क था कि मौके पर कोई खोखा बरामद नहीं हुआ है। पक्षों की बहस सुनने के पश्चात अपर जनपद एवं सत्र न्यायाधीश रमेश दूबे की कोर्ट ने दोनों आरोपियों को दोषमुक्त करने का फैसला सुनाया।