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उतर प्रदेश

अब इन शायरों को इलाहाबादी नहीं प्रयागराजी कहिए, उत्तर प्रदेश शिक्षा विभाग का कारनामा, कालजयी शायरों का नाम प्रयागराजी कर दिया

लखनऊ । ये मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी थे। जिनकी कालजयी शेर में वो जता रहे हैं कि शायर शासन के दबाव से परे होते हैं। लेकिन योगी शासन में उनकी शख्सियत से खिलवाड़ हो गया है। योगी सरकार में इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किया गया था। अब उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने इस कालजयी शायर का नाम तक बदल डाला है।

अकबर दबे नहीं किसी सुल्तां की फ़ौज से
लेकिन शहीद हो गए योगी की नौज से

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(असल शायरी में योगी नहीं है, वहां बीवी लिखा गया है।)

अकबर इलाहाबादी का नाम अब अकबर प्रयागराजी कर दिया गया है। मामला यही नहीं थमा, तेग इलाहाबादी और राशिद इलाहाबादी जैसे शायरों के नाम भी बदले जा चुके हैं। आयोग ने शायरों के नाम के आगे लगे टाइटल को बदलने के लिए अबाउट इलाहाबाद वाले कॉलम में प्रयागराजी कर दिया है। इसकी आलोचना शुरू होने के बाद उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अध्यक्ष ईश्वर शरण विश्वकर्मा पूरे मामले से खुद को अनजान बताया है।

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आयोग की आफिशियल वेबसाइट पर भी नाम बदल दिए गए

उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की वेबसाइट पर प्रयाग राज के इतिहास में अकबर इलाहाबादी का नाम प्रयागराजी कर दिया गया।
उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की वेबसाइट पर प्रयाग राज के इतिहास में अकबर इलाहाबादी का नाम प्रयागराजी कर दिया गया।

इलाहाबाद के इतिहास में बदल दी पहचान

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उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने अपनी ऑफिशियल वेबसाइट uphesc.org के ‘ अबाउट अस’ कॉलम में अबाउट इलाहाबाद सब कॉलम दे रखा है। इसे क्लिक करने पर एक पेज खुलता है। जिसमें एबाउट इलाहाबाद लिखा है। उस पर क्लिक करने पर एक पेज खुलता है।

इसमें प्रयागराज का इतिहास लिखा गया है। 462 शब्दों में लिखे गए इतिहास में जहां हिंदी साहित्य का इतिहास लिखा गया है उसमें अकबर इलाहाबादी को अकबर प्रयागराजी लिखा गया है। इसके अलावा तेज इलाहाबादी को तेग प्रयागराजी और राशिद इलाहाबादी को राशिद प्रयागराजी लिखा गया है।

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यह तो इतिहास को मिटाने जैसा है: प्रो. राजेंद्र कुमार
उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के इस बदलाव की साहित्य जगह में कड़ी आलोचना हो रही है। सोशल मीडिया पर आयोग का यह पेज खूब शेयर हो रहा है। मशहूर कथाकार राजेंद्र कुमार भी उच्चतर शिक्षा आयोग के इस बदलाव को मूर्खता कहा है। राजेंद्र कुमार कहते हैं कि नाम तो शहर का बदला गया है। अगर कोई कालजयी साहित्यकार अपने नाम के आगे इलाहाबादी लिखता रहा है और वही उसकी पहचान हो गई हो तो उसे कैसे बदला जा सकता है? यह तो इतिहास को मिटाने जैसा काम है। आयोग को इसे तत्काल ठीक करना चाहिए।

तेग कराची से इलाहाबाद पढ़ने आए थे और बाद में इलाहाबादी टाइटल अपने नाम के आगे लगाने लगे।
तेग कराची से इलाहाबाद पढ़ने आए थे और बाद में इलाहाबादी टाइटल अपने नाम के आगे लगाने लगे।

इतने बड़े शायर के नाम से कैसे कर सकते हैं छेड़छाड़
मशहूर शायर श्लेष गौतम कहते हैं कि अकबर इलाहाबादी को अकबर प्रयागराजी लिखना गलत हैं। अकबर इलाहाबादी ही उनकी पहचान है। भले ही बाद में इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किया गया हो पर इतने बड़े शायर के नाम से आप कैसे छेड़छाड़ कर सकते हैं। यह गलत है और निंदनीय है।

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कालजयी साहित्यकारों के नाम ही इनकी पहचान

राशिद इलाहाबादी निसार अहमद के पुत्रों में से एक हैं।
राशिद इलाहाबादी निसार अहमद के पुत्रों में से एक हैं।

अकबर इलाहाबादी
अकबर इलाहाबादी का जन्म 16 नवंबर 1846 में बारा के एक परिवार में हुआ था। उनका बचपन का नाम सैयद अकबर हुसैन था। उनके पिता का नाम सैयद तफ्फजुल हुसैन था। शायरी की दुनिया में लोग उन्हें अकबर इलाहाबादी के नाम से जानते हैं। उनकी प्रमुख रचनाएं आज भी लोगों की जुबान पर रहती हैं। हंगामा क्यों बरपा है भाई, कोई हंस रहा है कोई रो रहा है, दुनिया में हूं दुनिया का तलबगार नहीं हूं जैसी कालजयी रचनाएं लिखने वाले अकबर इलाहाबादी आज भी लोगों के जेहन में जिंदा हैं।

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तेग इलाहाबादी
तेग इलाहाबादी जिनका असली नाम मुस्तफ़ा ज़ैदी था। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले तेग विभाजन से पहले तक यहीं रहे और विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए। कराची में बैठकर शायरी करने वाले ‘तेग’ अपने नाम के आगे ‘इलाहाबादी’ होने की स्मृति को कभी नहीं भूल पाए।

राशिद इलाहाबादी
राशिद इलाहाबादी निसार अहमद के पुत्रों में से एक हैं। उनका जन्म जनवरी 1944 को इलाहाबाद जिले के लाल गोपालगंज के रावन में हुआ था। उनकी रचनाएं भारतीय और विदेशी पत्रिकाओं में प्रकाशित होती हैं। उनके कविता संग्रह ‘मुट्ठी में आफताब’ को यूपी उर्दू अकादमी द्वारा सम्मानित किया गया है।

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