लेखक- मोहम्मद सईद पठान
डॉ भीमराव अंबेडकर जी के विचार और संदेश आज भी बहुत महत्वपूर्ण हैं और आज उनकी 132वीं जयंती पर हमें उनसे बहुत कुछ सीखना है। उन्होंने सभी मनुष्यों के लिए समानता, न्याय और स्वतंत्रता के अधिकारों की लड़ाई लड़ी थी।
डॉ भीमराव अंबेडकर जी ने दलितों के अधिकारों की लड़ाई लड़ी थी और उन्हें समाज के मुख्यधारा में शामिल करने के लिए कई संघर्ष किए थे। वे समाज के लिए न्याय, समानता और स्वतंत्रता की मांग करते रहे थे।
डॉ अंबेडकर जी ने भारत के संविधान के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने संविधान निर्माण समिति का अध्यक्ष बनकर संविधान निर्माण में अपना योगदान दिया था।
डॉ अंबेडकर जी की जन्मजयंती पर हमें उनके विचारों को याद करना चाहिए और उनके जीवन से लेने देने वाले संदेशों को अपनाना चाहिए। इससे हम अपनी समाज में समानता, न्याय और स्वतंत्रता के मूल्यों को प्रतिपादित कर सकते हैं।
डॉ भीमराव अम्बेडकर युग के बारे में बात करते हुए, हम बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर के संदेश, विचारों और योजनाओं को समझने की कोशिश कर सकते हैं। यह उन दशकों को दर्शाता है जब बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर ने भारतीय समाज के लिए अपनी जान की बाजी लगाई थी।
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अम्बेडकर युग भारत के आधुनिक इतिहास का एक अहम दौर था, जो समाज के एक अलग वर्ग को उठाने की कोशिश की थी। इस युग में अम्बेडकर ने अपने संदेश को आम जनता तक पहुंचाने के लिए भारत के संविधान के निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने उन समस्याओं को उठाया जो अलग-अलग जातियों के लोगों को आम जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता था। उन्होंने समाज में उच्च शिक्षा, उच्चतर जाति और असंतोष से जुड़े मुद्दों को उठाया और उनके लिए समाधान पेश किया। अम्बेडकर युग में उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में अहम भूमिका निभाई।
डॉ अम्बेडकर युग में अम्बेडकर ने भारतीय समाज को सम्पूर्ण रूप से परिवर्तित करने के लिए एक व्यापक कार्यक्रम चलाया था। उन्होंने अपने विचारों को समाज के सबसे निचले वर्ग तक पहुंचाने के लिए संघर्ष किया था। उन्होंने जातिवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी और सभी लोगों को एक समान मानवीय दर्जा देने की मुहिम चलाई।
उन्होंने भारतीय संविधान में समानता, भाषा, धर्म, स्वतंत्रता और न्याय के मौलिक सिद्धांतों को सम्मिलित किया। उन्होंने भारतीय समाज में स्त्री एवं अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए समाज में जागरूकता पैदा की।
डॉ अम्बेडकर ने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए। उन्होंने स्वयं को एक जाति के रूप में उपेक्षित और नापसंद करने वाले लोगों के लिए प्रेरणादायक बनाया। उन्होंने बौद्ध धर्म के अनुयायियों को उनके अधिकारों के लिए लड़ने की भी मुहिम चलाई उन्होंने जाति व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई लड़ी ।
डॉ अम्बेडकर ने भारतीय समाज में समानता और न्याय के मूल्यों को फैलाने के लिए अपने जीवन का समस्त समय समर्पित कर दिया। उन्होंने न केवल स्वयं के लिए बल्कि बाकी लोगों के लिए भी जीवन भर लड़ाई लड़ी। उनके द्वारा शुरू की गई बहुत सी मुहिमों में शामिल हैं भारतीय संविधान निर्माण, भारतीय समाज में समानता और न्याय के लिए संघर्ष और अल्पसंख्यकों और स्त्रियों के अधिकारों की लड़ाई।
डॉ अम्बेडकर ने भारतीय संविधान का मौलिक ढांचा तैयार किया जो भारत के सभी नागरिकों के लिए एक समान मानवीय दर्जा देने के लिए बनाया गया था। इससे पहले, भारत में उन्हें अधिकार नहीं थे और वे अपनी स्थिति को सुधारने के लिए अधिकारों की मुहिम चला रहे थे। उन्होंने अल्पसंख्यकों और स्त्रियों के अधिकारों की मुहिम चलाई और इसके लिए एक न्यायपालिका बनाने की मांग की। डॉ अम्बेडकर का उपदेश न केवल भारत में नहीं बल्कि पूरे विश्व में समानता और न्याय के लिए अति महत्वपूर्ण था और आज भी है, डॉ अम्बेडकर एक बहुत ही प्रभावशाली वक्तव्यवादी थे और उन्होंने अपने दौर के राजनीतिक मुद्दों पर उच्च स्तर पर बहस की। उन्होंने आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक और मानवीय मुद्दों पर अपने दृष्टिकोण रखे।
उन्होंने एक सामाजिक विरोधी आंदोलन चलाया जिसमें वे अल्पसंख्यकों, दलितों और पिछड़ों के अधिकारों के लिए लड़े। उन्होंने अपनी बहुत सारी मुहिमों के माध्यम से भारतीय समाज में समानता और न्याय को फैलाने का प्रयास किया। उन्होंने अपनी लेखनी का उपयोग करके अपने विचारों को व्यक्त किया और लोगों के बीच जागरूकता फैलाने में मदद की।
उन्होंने संवैधानिक सभा में सभी समुदायों को भाग लेने का अधिकार देने के लिए लड़ाई लड़ी। उन्होंने धार्मिक अनुष्ठानों के बारे में भी अपनी राय रखी और सामाजिक समानता के लिए एक धार्मिक समुदाय से नहीं बल्कि समस्त समुदायों से सहयोग की मांग की।
अम्बेडकर एक विचार
1–अम्बेडकर के विचार एक अमूल्य संपत्ति हैं जो आज भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। वे समाज के लिए न्याय, समानता, स्वतंत्रता और मानवता के महत्वपूर्ण सिद्धांतों के पक्षधर थे। कुछ उनके महत्वपूर्ण विचार हैं:
2- समानता: अम्बेडकर समानता के महत्व को समझते थे और इसे समाज के विभिन्न वर्गों के बीच स्थायी रूप से स्थापित करने के लिए समर्थ थे। वे उन सभी लोगों के अधिकारों के लिए लड़ते थे जो समाज के भीतर निम्नतम स्तर पर थे।
3- स्वतंत्रता: अम्बेडकर व्यक्तियों को स्वतंत्र बनाने के लिए समाज में शिक्षा के महत्व को समझते थे। उन्होंने आर्थिक और सामाजिक स्वतंत्रता की मांग की।
4- मानवता: अम्बेडकर मानवता के महत्व को समझते थे और उन्होंने समाज के विभिन्न वर्गों में समान मानवीय अधिकारों की मांग की।
5- संविधान: अम्बेडकर संविधान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया था। उन्होंने संविधान में समानता, स्वतंत्रता और न्याय के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को स्थान दिया
6- शिक्षा: अम्बेडकर ने शिक्षा को एक महत्वपूर्ण उपाय माना था जो समाज के निर्विवाद विकास के लिए आवश्यक है। वे शिक्षा के महत्व को समझते थे और उन्होंने शिक्षा के लिए जाति, लिंग, धर्म और राजनीति से ऊपर उठने की मांग की।
7- धर्मनिरपेक्षता: अम्बेडकर धर्मनिरपेक्षता के पक्षधर थे और उन्होंने धर्म को अपने जीवन में एक व्यक्तिगत चुनौती माना था। वे समान अधिकार के लिए लड़ते थे और उन्होंने इसे समाज के विभिन्न वर्गों के लिए लागू करने की मांग की।
8- समाजसेवा: अम्बेडकर समाजसेवा के महत्व को समझते थे और उन्होंने अपने जीवन का एक बड़ा भाग समाज के लोगों की सेवा में लगाया। उन्होंने समाज के निर्विवाद विकास के लिए काम किया और उन्होंने उस समय की अपनी समाजसेवा की जानकारी बांटी जब भारत एक दलित-विरोधी समाज था।
अम्बेडकर के विचार एक महान विचारक थे जो समाज के विभिन्न वर्गों के लिए समानता, स्वतंत्रता, न्याय और मानवता
9- राजनीति: अम्बेडकर ने राजनीति को भारतीय समाज के उन्नति के लिए एक उपाय माना था। उन्होंने दलितों के हकों की रक्षा के लिए संघर्ष किया और उन्होंने एक ऐसे समाज के लिए जो समानता और न्याय के आधार पर चलता हो।
10- संविधान: अम्बेडकर भारत के संविधान निर्माण की मुख्य भूमिका निभाये थे। उन्होंने संविधान को समानता, स्वतंत्रता और न्याय के आधार पर बनाने का समर्थन किया और उन्होंने उस समय एक ऐसे संविधान की जरूरत थी जो भारतीय समाज के सभी वर्गों के हकों को समानता के आधार पर सुनिश्चित करता हो।
11- आर्थिक समानता: अम्बेडकर ने आर्थिक समानता के लिए लड़ाई लड़ी और उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाए कि दलितों को विभिन्न सेक्टरों में नौकरियों में भर्ती किया जाए। उन्होंने यह भी कहा था कि उन्हें उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए उन्हें शिक्षित होना चाहिए।
12- महिला सशक्तिकरण: डॉ भीमराव अम्बेडकर ने महिलाओं के स्थान के सम्बन्ध में भी काफी विचार किए थे। उन्होंने समाज में महिलाओं को शिक्षित होने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने महिलाओं के लिए नागरिकता अधिकारों की मांग की जैसे कि उन्हें अधिकृत तौर पर वोट देने की अधिकार होने चाहिए। उन्होंने महिलाओं के विवाह विवरण आरक्षण और तलाक के विषय में भी विचार व्यक्त किए थे।
डॉ अम्बेडकर ने उन समस्याओं को भी उठाया जो महिलाओं को सम्मान और स्वतंत्रता से वंचित करते थे। उन्होंने महिलाओं के लिए शिक्षा के अधिकार को समर्थन दिया और उन्हें नौकरियों में भी भर्ती किया जाना चाहिए। वह इस बात का भी समर्थन करते थे कि महिलाएं आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना चाहिए। उन्होंने महिलाओं की अधिकतम सम्भावनाओं के लिए संबंधित कानूनों का भी समर्थन किया जैसे कि दहेज प्रथा निषेध, बालिका शिक्षा, नारी पुरुषों के साथ समान वेतन का मांग करना आदि।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और मिशन सन्देश समाचार पत्र के संपादक हैं)