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संतकबीरनगर

श्रम प्रवर्तन अधिकारी के ढुलमुल रवैये से, संतकबीरनगर जिले में नहीं हो रहा है साप्ताहिक बन्दी का अनुपालन

संतकबीरनगर । श्रम प्रवर्तन अधिकारी के ढुलमुल रवैये से संतकबीरनगर जिले में साप्ताहिक बंदी का पालन न नहीं हो रहा है,बताया जा रहा है कि साप्ताहिक बंदी कराने को लेकर श्रम प्रवर्तन अधिकारी पूरी तरह से अक्षम हैं, जो दुकानों पर कार्य कर रहे श्रमिकों के साथ अन्याय से कम नहीं है ।

आपको बतादें की साप्ताहिक बंदी के दौरान दुकानें खुली मिलती हैं, तो दुकानदार पर 5 साै से 5 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। पर इस बारे में प्रशासनिक कड़ाई व कोई कार्रवाई नहीं होने से बन्दी के दिन भी दुकान खोलने वाले दुकानदारों के हौसले बुलंद हैं। वे श्रम कानून का पालन नहीं कर रहे हैं, जिससे श्रम कानूनों की भी धज्जियां उड़ जाती हैं।

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रोज दुकानें खुली रहने से वर्कर को छुट्टी के लाले पड़ जाते हैं, यदि कोई मालिक सप्ताह के बीच किसी दिन अवकाश देता भी है, तो वर्कर पर जैसे अहसान करता है। जबकि श्रम कानून के अनुसार सप्ताह में एक दिन का अवकाश श्रमिक का अधिकार है। जिन दुकानों में श्रमिक कम होते हैं वहां तो छुट्टी ही नहीं मिलती। छुट्टी लेने पर मालिक तनख्वाह काट देता है, इसे देखते हुए सप्ताह में एक दिन छुट्टी का प्रावधान इस लिए किया गया है कि श्रमिक सहित व्यवसायी को भी कम से कम एक दिन आराम मिल जाए।

क्षेत्र में चल रही चर्चा पर विश्वाश करें तो कुछ बड़े दुकानदार विभाग के कर्मचारियों को रिश्वत देते हैं और उनसे बंदी का पालन करने के लिए छूट लेते हैं। इस प्रकार, वे अपने अनुचित लाभ का इस्तेमाल करके श्रम कानून का उल्लंघन कर रहे हैं।
आरोपों के अनुसार, भ्रष्टाचार के चलते कुछ विभाग के अधिकारी भी कर्मचारियों के खिलाफ जांच में रुचि नहीं ले रहे हैं और इस मामले को दबाव में रखने की कोशिश कर रहे हैं।

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हालांकि श्रम प्रवर्तन अधिकारी रिश्वत के आरोपों को खारिज करते हुए माना है कि शहर में बहुत सारी दुकाने साप्ताहिक बन्दी नहीं कर रहे हैं, लेकिन अनुपालन कराने के लिए अपने आपको कटिबद्धता के साथ समर्पित रहने का अस्वासन भी दे रहे हैं,

देखा जाय तो यह मामला बहुत ही गंभीर है और इसे उच्च स्तरीय जांच की आवश्यकता है। संबंधित अधिकारियों को इस मामले पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए और निष्पक्ष जांच करनी चाहिए ताकि दुरुपयोग और भ्रष्टाचार को रोका जा सके और दुकानों पर श्रम कर रहे श्रमिको मजदूरों को न्याय मिल सके ।

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