(व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा)
भगवा भाई गलत नहीं कहते हैं। मोदी जी सारी दुनिया में भारत का डंका बजवा रहे हैं, पर यह विरोधियों को हजम ही नहीं हो रहा है। उल्टे भारत का डंका बजने के ही फेक न्यूज होने का आए दिन शोर मचाते रहते हैं। अब फ्रांसीसियों की मदद की गुहार का ही मामला ले लो। पांच-छ: दिन से पेरिस प्रदर्शनों की आग में जल रहा है। मोहब्बत का शहर, राज करने वालों से नफरत की आग में जल रहा है। बीसियों हजार पुलिस वाले भी प्रदर्शनकारी भीड़ों पर काबू नहीं कर पा रहे हैं। कानून का राज दूर-दूर तक कहीं नजर ही नहीं आता है। गोरे फ्रांसीसी त्राहिमाम कर रहे हैं। हैरानी की बात नहीं है कि वहां योगी लाओ, फ्रांस बचाओ; योगी लाओ, बुलडोजर चलवाओ की मांग उठ रही है। प्रो. एन जॉन कॉम ने बाकायदा ट्विटर पर लिखकर, फ्रांसीसियों की मदद की पुकार का यह संदेश भारत तक पहुंचाया है और यह भी बताया है कि फ्रांसीसियों को सिर्फ चौबीस घंटे के लिए योगी जी को उधार दे देना ही काफी होगा। योगी जी चौबीस घंटे में तो सब ठीक-ठाक कर के वापस भी लौट आएंगे। यूपी वालों को उन्हें ज्यादा मिस भी नहीं करना पड़ेगा। फ्रांसीसियों की मदद की इस गुहार को खुद योगी जी के कार्यालय ने भारतवासियों से साझा किया है और भक्त मीडिया ने उनकी मदद की आर्त-पुकार को घर-घर पहुंचाया है।
अब, योगी जी अगर फ्रांस को बचाने जाएंगे, तो क्या भारत का गौरव नहीं बढ़ाएंगे? पर विरोधियों को यह भी हजम नहीं हुआ। उल्टे प्रो. एन जॉन कॉम को ही फेक साबित करने में लग गए। फैक्ट चैक के नाम पर कहीं से खोद-खादकर बेचारे की जन्मपत्री ले आए हैं। कह रहे हैं कि कहां का जॉन कॉम, ये तो एकदम देसी नरेंद्र विक्रमादित्य यादव है। और कहां का प्रोफेसर, बस बालों का स्टाइल बदलवा लिया है और विदेशी-सा लगने वाला नाम बना लिया है। यहां तक कि कुछ लोग तो यह भी खोज लाए हैं कि 2019 में बंदा किसी केस मे फंस गया था, उसके बाद से ही फेक जॉन कॉम बनकर, योगी जी-मोदी जी की सेवा में लगा हुआ है!
इससे पहले जब मोदी जी ने कुछ घंटे के लिए रूस-यूक्रेन युद्घ रुकवाकर, वहां फंसे भारतीयों को ही नहीं, दूसरे देशों के लोगों को भी निकलवाया था, तब भी विरोधियों ने फेक न्यूज का शोर मचा दिया था और डरा-धमका कर बेचारे विदेश मंत्रालय से भी इस पर फेक न्यूज होने का ठप्पा लगवा लिया था। अब योगी जी की बारी मेें भी वही हो रहा है। आखिर, इन लोगों को भारत के गौरव बढ़ने से इतनी प्राब्लम क्या है? और मान लो कि प्रोफेसर जॉन कॉम नकली ही हो और विक्रमादित्य यादव ही असली हो, तब भी इसका क्या सबूत है कि फ्रांस वाले अपने यहां हालात संभालने के लिए, योगी जी की तरफ नहीं देख रहे हैं? असली मुद्दा तो फ्रांस में लगी आग है, जिसे योगी जी ही बुझा सकते हैं, प्रोफेसर के नकली-असली होने के मुद्दे में ध्यान भटकाने की कोशिश क्यों की जा रही है!
और डबल इंजनविरोधियों की यह दलील तो एकदम बकवास है कि भगवाइयों को पेरिस की पांच दिन से लगी आग तो दिखाई दे रही है, पर मणिपुर की आग दिखाई ही नहीं देती है, जबकि मणिपुर की आग दो महीने से जल रही है और सवा सौ से ज्यादा जानें ही ले चुकी है। पेरिस की जगह, योगी जी पहले मणिपुर क्यों नहीं चले जाते! जाएंगे, योगी जी ही क्यों, मोदी जी भी मणिपुर भी जाएंगे; पर चुनाव तो आने दीजिए। पहले भी चुनाव के लिए ही गए थे, आगे भी चुनाव के लिए ही जाएंगे। पर कम से कम बाकी वक्त में तो फ्रांस, यूक्रेन वगैरह की झंझट निपटाने दो; वसुधैव कुटुम्बकम जीकर दिखाने दो।
(व्यंग्यकार वरिष्ठ पत्रकार और साप्ताहिक ‘लोकलहर’ के संपादक हैं।)