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पटना

बिहार में शक्ति-परीक्षण में कुछ घंटे शेष, कई विधायक हुए गायब, दोतरफा खेला होने के किये जा रहे दावे !

पटना – बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के सोमवार को होने वाले शक्ति परीक्षण से पहले विधायकों में टूट के दावों-प्रतिदावों से राजनीतिक अटकलबाजियों का बाजार गर्म है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के वरिष्ठ नेता और मंत्री विजय कुमार चौधरी के आवास पर आयोजित बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा उनके पास है और वह आसानी से विश्वास मत हासिल कर लेंगे ।

बैठक के बाद मंत्री श्री चौधरी ने कहा, “हम आश्वस्त हैं कि सदन में विश्वास मत हासिल कर लेंगे । हमारे पास बहुमत है । हमारे सारे विधायक कल सदन में उपस्थित रहेंगे।” उन्होंने कहा कि जो दो-तीन विधायक आज की बैठक में नहीं आ पाए, वे पार्टी पदाधिकारी की इजाजत से इसमें शामिल नहीं हुए । सब ने पहले ही इस बारे में सूचना दे दी थी। सब लोग सुबह तक पटना पहुंच जाएंगे।

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श्री चौधरी ने कहा कि विधानसभा की कार्य सूची में सोमवार को सबसे पहले राज्यपाल का अभिभाषण होगा और उसके बाद विधानसभा में सभा अध्यक्ष को हटाने का प्रस्ताव पेश होगा। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव पर चर्चा को संपादित करने के लिए नियम बने हुए हैं। नियम के तहत सभा अध्यक्ष पुकारेंगे कि कितने लोग अध्यक्ष के हटाने के प्रस्ताव का समर्थन करते हैं। नियमावली में स्पष्ट है कि कम से कम 38 सदस्यों को खड़ा होकर इसका समर्थन करना है ।

38 सदस्य या उससे अधिक अध्यक्ष को हटाने के प्रस्ताव का समर्थन खड़े होकर करते हैं तो नियम के अनुसार प्रस्ताव वैधानिक रूप से स्वीकृत हो जाता है और उसके बाद अध्यक्ष से संविधान या नियमावली के तहत अपेक्षा की जाती है कि अध्यक्ष यह कहते हुए कि सदन में हटाने का प्रस्ताव विधिवत स्वीकृत हो गया है इसलिए वह अब आसन खाली करते हैं और जब तक उनके विरुद्ध हटाने का प्रस्ताव सदन से निष्पादित नहीं हो जाता है तब तक वह सदन में इस कुर्सी पर संवैधानिक रूप से नहीं बैठेंगे।

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संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि सभा अध्यक्ष के आसन खाली करने के बाद उपाध्यक्ष आसन ग्रहण कर सदन की अध्यक्षता करेंगे । वह अध्यक्ष को हटाने के प्रस्ताव को लेंगे और उसपर जिनको भी जो कहना होगा वह कहेंगे। उसके बाद मतदान होगा और स्वाभाविक रूप से सत्तापक्ष की संख्या 128 है इसलिए प्रस्ताव हर हाल में विधानसभा से पारित होगा यानी अध्यक्ष अपने पद से हट जाएंगे और उपाध्यक्ष अगला एजेंडा सरकार का विश्वास मत प्रस्ताव सदन में पेश करने के लिए मुख्यमंत्री को कहेंगे। मुख्यमंत्री प्रस्ताव पेश करेंगे और उसके बाद नेता विरोधी दल उस पर बोलेंगे। उसके बाद सभी दलों के नेता भी उसपर अपना विचार रखेंगे। अंत में सरकार उत्तर देगी और उसके बाद मतदान होगा।

नीतीश सरकार के सदन के अंदर बहुमत साबित करने के पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष अपने -अपने विधायकों को संभालने में लगा है। दोनों ही पक्ष दूसरे खेमे में विधायकों के टूटने का दावा कर रहा है, जिससे राज्य में अटकलबाजियों का बाजार गर्म है। अपने अपने खेमे में टूट के विरोधियों के दावों से सभी दल मीडिया के सामने भले ही इनकार कर रहे हैं लेकिन सच तो यह है कि सभी इसको लेकर डरे हुए भी हैं ।

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डर का ही आलम है कि जदयू, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस, वामपंथी दल और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) ने अपने-अपने विधायकों की तगड़ी बाड़ेबंदी की है। कांग्रेस के विधायक भी हैदराबाद से पटना पहुंच गए हैं।

राजद विधायक के साथ ही महागठबंधन के घटक वामदलों के विधायक भी पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव के आवास पर शनिवार शाम से ही रुके हुए हैं । वे सभी सोमवार को यहीं से विधानसभा पहुंचेंगे ।
गौरतलब है कि 243 सदस्यीय बिहार विधान सभा में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के 128 विधायक हैं । इनमें भाजपा के 78, जदयू के 45, हम के 04 और 01 निर्दलीय शामिल है । वहीं, महागठबंधन के 114 विधायकों में राजद के 79, कांग्रेस के 19, वामदलों के 16 है जबकि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के विधायक अख्तरुल ईमान किसी गठबंधन के साथ नहीं हैं।

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