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काशी-मथुरा विवाद:: इस एक्ट के विरुद्ध, सुप्रीम कोर्ट पहुँची “जमीयत उलेमा ए हिंद और पीस पार्टी”,,जानिए पूरा मामला

नई दिल्लीडिजिटल डेस्क :: अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए 5 अगस्त को भूमिपूजन का कार्यक्रम होना है. इधर काशी-मथुरा विवाद पर प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को चुनौती देने वाली याचिका के विरोध में पीस पार्टी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गयी है. पीस पार्टी ने इस मामले में अपने आप को पक्षकार बनाने की मांग की है. पीस पार्टी ऑफ इंडिया ने कहा है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट नोटिस भी जारी ना करे क्योंकि इससे मुस्लिम समाज में भय उत्पन्न होगा. इससे पहले जमीयत उलेमा ए हिंद भी इस मामले को लेकर अर्जी दाखिल कल चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल मामले की सुनवाई चार हफ्ते टाल दी थी.

हिंदु पुजारियों के संगठन विश्व भद्र पुजारी पुरोहित महासंघ ने इस एक्ट के प्रावधान को चुनौती दी थी. याचिका में काशी व मथुरा विवाद को लेकर कानूनी कार्रवाई को फिर से शुरू करने की इजाजत की मांग की गई थी. इस एक्ट में कहा गया है कि 15 अगस्त, 1947 को जो धार्मिक स्थल जिस संप्रदाय का था वो आज, और भविष्य में, भी उसी का रहेगा.हालांकि अयोध्या विवाद को इससे बाहर रखा गया क्योंकि उस पर कानूनी विवाद पहले का चल रहा था. याचिका में कहा गया है कि इस एक्ट को कभी चुनौती नहीं दी गई और ना ही किसी कोर्ट ने न्यायिक तरीके से इस पर विचार किया है.

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अयोध्या फैसले में भी संविधान पीठ ने इस पर सिर्फ टिप्पणी की थी. वहीं सुप्रीम कोर्ट में काशी-मथुरा जैसे विवादों पर कानून को चुनौती देने पर मुस्लिम पक्ष भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है. जमीयत उलेमा ए हिंद ने भी सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है. अर्जी में हिंदू पुजारियों का याचिका का विरोध किया गया है. इसमें कहा गया है कि अदालत इस याचिका पर नोटिस जारी ना करें. मामले में नोटिस जारी करने से खासतौर से अयोध्या विवाद के बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों के मन में अपने पूजा स्थलों के संबंध में भय पैदा होगा. ये मामला राष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को नष्ट करेगा.

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