संतकबीरनगर । भारतीय प्रजापति महासंघ एकीकरण महाअभियान भारत बर्ष रजि के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल कुमार प्रजापति ने एनडीए के राष्ट्रीय अध्यक्ष भाजपा,प्रधानमंत्री, गृह मंत्री एवं मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश तथा इंडिया गठबंधन से राष्ट्रीय अध्यक्ष समाजवादी पार्टी श्री अखिलेश यादव आदि को पत्र एवं ईमेल भेजकर कहा है कि सदियों से सर्वसमाज की सेवा करते चला आ रहा पुरे देश में निर्णायक आवादी में बसा प्रजापति समाज 1957 से लोकसभा प्रतिनिधित्व से वंचित हैं जो संवैधानिक व्यवस्था का हनन है।
विभिन्न सामाजिक/राजनैतिक मुद्दों को लेकर 10 मार्च 2024 को प्रेस क्लब आफ इंडिया नई दिल्ली में राष्ट्रीय कुम्हार एकीकरण/समन्वय समिति के कोर कमेटी के चिन्तन बैठक में सभी प्रमुखों के मध्य आपसी पीड़ा व्यक्त करते हुए सर्वसम्मति से यह निर्णय हुआ है कि श्रृष्टि श्रृजन के आधार हम शिल्पकारो की उपेक्षा यदि इस चुनाव में खत्म नहीं हुई तो आक्रोश जाहिर करने के उद्देश्य से एकजुट होकर इस लोकसभा चुनाव 2024 में भागीदारी नहीं तो वोट नहीं नामक अभियान राज्यवार चलाया जाएगा।
वैसे भी यहां से घोषित भाजपा के कर्तव्यहीन बाहरी उम्मीदवार सांसद प्रवीण निषाद का स्थानीय स्तर पर भयंकर विरोध है, सीट हार जाएंगे, सर्वे करा सकते हैं। समाज के माथे से प्रजापति विहीन संसद होने का कलंक मिटाने हेतु उन्होंने दोनों फ्रंटो से 62 लोकसभा क्षेत्र संतकबीरनगर उत्तर प्रदेश सीट पर देश के प्रजापति समाज की ओर से हुए सामूहिक निर्णय के अनुरूप चुनाव लड़ाते हुए सामाजिक आर्थिक राजनैतिक एवं शैक्षिक रूप से कमजोर इस भूमिहीन मजदुरा कौम को भी संसद के प्रतिनिधित्व से अच्छादित करने की मांग किया है जिसका आभारी समस्त प्रजापति समाज सदैव रहेगा।
इस सीट से दावेदारी कर रहे अनिल प्रजापति का कहना है कि पुरे देश के अतिपिछड़े वर्गों के जनसंख्या का अनुपात यदि देखा जाए तो कुम्हारों की आवादी किसी से कम नहीं है किन्तु गरीबी और लाचारी का दंश झेल रहा यह भारी भरकम समुदाय अपने पारिवारिक भरण पोषण में इतना उलझा रहता है कि अन्य संगठित वर्गों की भांति रोड पर उतर नहीं पाता और न ही आज तक इनके बीच कोई कुशल नेतृत्व पैदा हो सका।
इस इंटरनेट के जमाने में आज का युवा जागरूक होकर हमारे नेतृत्व में अब अपना हक अधिकार और मान सम्मान खोजना शुरू किया है तो यैसे में हमारी जिम्मेदारी बनती है कि समाज द्वारा प्राप्त दायित्वों का ईमानदारी से निर्वहन करु जैसा कि छात्र जीवन से करता चला आ रहा हूं।
अतः यदि मौका मिला तो दुनिया में मानवता का संदेश देने वाले कबीर की इस पावन धरती को राष्ट्रीय लेवल पर व्यापक चर्चा में लाते हुए विकास की मुख्यधारा से जोड़ने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ूंगा तथा सर्वसमाज को मान सम्मान के साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ लेकर चलने का प्रयास करुंगा क्योंकि गरीबी की कोख से पैदा होकर व्यवस्था परिवर्तन को एकमात्र लक्ष्य बनाया हूं। इस देश में असली लड़ाई अमीरी और गरीबी की है तथा गरीब कमजोर आम जनमानस हर वर्ग धर्म और समुदाय में पाया जाता है।