मुरैना से श्रीगोपाल गुप्ता की रिपोर्ट
मगर इन बेशर्मों को शर्म भी तो नहीं आती? ये लाइन व वाक्या कभी हमारे राजनितिज्ञों और भ्रष्ट अधिकारियों के गठजोड़ पर कही और सुनी जाती थी! मगर इस कोरोना वायरस की विश्वव्यापी महामारी में इसमें कुछ भ्रष्ट और अपने पथों से भटक चूके भारतीय राजनीतिकों व भ्रष्ट अधिकारियों के साथ-साथ वे बड़े-छोटे व्यापारी भी शामिल हो गये हैं! जिन्हें ईमानदारी से व्यापार कर देश की रीड की हड्डी कहा और माना जाता था
मगर कोरोना ने इन नकाबपोस छोटे कारोबारी जिनकी देश में संख्या नौ करोड़ है और अदने से बाबु टाईप के निरिक्षक जिनकी औकात कल तक यस सर और नो सर से ज्यादा कभी न थी, ऐसे लोगों को कोरोना वायरस के प्रकोप ने नंगा कर दिया है और न केवल नंगा कर दिया है बल्कि इनकी करतूतों ने देश को ऐसे मुकाब पर खड़ा कर दिया है, जहां भारतवर्ष केवल चुपचाप रहकर अपमान और दोगलेपन के साथ-साथ कोरोना वायरस की मार सहने के लिए अभिशप्त है ।
विश्व के तमाम देशों के साथ-साथ भारतवर्ष में भी आम लोग जिनमें आम आदमी, व्यापारी,कर्मचारी,मजदूर किसान या ये कहें सभी भारतवर्षी कोरोना के प्रकोप से बचने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक अपील पर अपने घरों में लाॅकडाऊन हैं, मगर जिन पर इस लाॅकडाऊन का पालन कराने की जिम्मेदारी आन पड़ी है वे देश की चिंता को छोड़कर माल कमाने में लगे हैं,आखिर ये कमायें भी न क्यों ?
क्योंकि कोरोना आम देश वासियों के लिए कहर है, मगर इनके लिए माल कमाने का एक बड़ा अवसर है,क्योंकि ऐसे मौके रोज-रोज नहीं आते बल्कि शदियों में एक-दो बार आते हैं! इन भ्रष्टों के कारण पूरे देश में जो स्थिति बन रही है वो ये है कि “जिसका मरे वो रोये, गंगाराम पौर में सोये”
कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री और देश के राज्यों के मुख्यमंत्री व प्रशासन पुलिस नित रोज सुबह-शाम जनता से अपील कर रहे हैं कि लाॅकडाऊन का पालन करें और अपने घरों में रहें और कोरोना से सुरझित रहें,
लोग घरों में रहें और सुरझित रहें,
इसको मद्द -ऐ-नजर रखते हुए राज्य सरकार और जिला प्रशासन ने जरुरी सामान खाद्य सामग्री, सब्जी और फलों की सप्लाई के लिए डोर टू डोर की व्यवस्था की थी और कर रही है,दरअसल ऐसे जिले या शहर जहां ये व्यवस्था की है, वहां कोरोना वायरस से संक्रमित कई मरीज मिले हैं, वहां इस प्रकार की व्यवस्था प्रशासन ने की है!
मगर दुर्भाग्य पूर्ण ऐसे जिलों में जो लालची और चोर टाईप के कथित खाद्य निरिक्षक हैं जो कि खाद्य अधिकारी न होकर यस सर और नो सर कैटेगरी के हैं उन पर जिम्मा है कि वे घर-घर शुद्ध खाद्य सामग्री उपलब्ध करायें. मगर दुःखद है कि ऐसे अदने से खाद्य विभाग के बाबू टाईप निरीक्षक खुद व्यापारियों के साथ हिस्सेदारी कर नकली व ऐक्सपायरी डेट की खाद्य सामग्री धड़ल्ले से होम डिलीवरी के नाम पर कोरोना वायरस के रेड हार्सस्पोर्ट मुरैना जिले में बिकबा रहे हैं, जिसका जीता-जागता सबूत और उदाहरण चम्बल संभाग मुख्यालय मुरैना,
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के आदेश व शासन के कानून की धज्जियां उड़ाता हुये न मास्क लगा रहा है और इतना ही नहीं अपने चेलों को जो मास्क न लगाकर शासन के आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं और सिटी कोतवाली मुरैना द्वारा पकड़े जा रहे हैं, उन्हें कानून को ठैंगा दिखाकर छुड़ा भी रहा है,,हालांकि माननीया मुरैना क्लेक्टर ने इस भ्रष्ट निरीक्षक अवनीस गुप्ता को भ्रष्टाचार के आरोपों पर सफाई देने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है, मगर माननीया जिला क्लेक्टर को इस अवनीस गुप्ता के खिलाफ धारा 269 और 188 के तहत भी कार्यवाही करनी चाहिए! क्योंकि सोशल मीडिया और कई अखबारों में गुप्ता की बिना मास्क लगाये भीड़ के साथ अपने सरकारी कार्यालय में बैठे होने की तश्वीर वायरल हुई थी ।
गत 15 वर्ष से कई मर्तबा स्थानांतरण होने के बावजूद मुरैना में जमे कथित कोराना वायरस योद्धा जो अपने मुंह से ही कहता फिर रहा अवनीस गुप्ता अपनी कथित और कमाऊ शैली के कारण विवादास्पद रहा है,,ऐसे में ये प्रश्न उठना लाजिमी है कि जब प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह आदेश कर चुके हैं कि प्रदेश में बिना मास्क लगाये घर से निकलना गैर कानूनी है तो फिर उक्त कथित भ्रष्टाचार का आरोपी बिना मास्क लगाये अपने कार्यालय में कैसे बैठा है ?
इतना ही नहीं मुरैना पुलिस जिला पुलिस अधीक्षक के आदेश पर बिना मास्क लगाये लोगों को गिरफ्तार कर कानूनी कार्यवाही कर रही है और ऐसे कानून को तोड़ने वालों की सूची सार्वजनिक रुप से जारी कर रही है तो महाविपत्ति में भ्रष्टाचार के इस आरोपी के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं?
इस पर मुरैना पुलिस भी संदेह के घेरे में हैं, क्योंकि पुलिस इस पर तो कार्यवाही करने से घबड़ा रही है बल्कि इसके कहने पर पुलिस ने जो बिना मास्क लगाये लोगों को पकड़ा, उनमें से कई को इस कथित भ्रष्टाचारी के कहने पर बिना किसी कार्यवाही के छोड़ दिया जो काफी निंदनीय है! सच तो यह है कि मालकमाऊं पुत्र पुलिस को भी अच्छे लगते हैं! मगर हकीकत यह है कि जिसने धारा 269 के तहत अपेक्षा से कोई ऐसा कार्य करना जिसके बारे में ज्ञात है कि उससे जीवन के लिए संकट पूर्ण किसी रोग का संक्रमण फैलना संभ्याय है, जिसके लिए छह माह का कारावास या जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं! यह अपराध संज्ञेय है, इस पर पुलिस को अपराध दर्ज कर कानूनी कार्यवाही करने के लिए बाध्य है! मगर ये कोरोना वायरस का संकट काल है और न्यू इंडिया है जिसमें जंगल में बन्दरों और निरीह जानवरों को खाना खिलाना अपराध है और अनैतिक माल कमाकर जनता का जीवन संकट में डालना और कानून का सरेआम मजाक उड़ाना क्षम्य है! मगर इस संकट में देश का दुर्भाग्य है कि ऐसे लोगों को शर्म भी तो नहीं आती ।
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