नई दिल्ली :आपने कई बार सुना होगा कि किसी कैदी को फांसी देने से पहले उसकी आखिरी इच्छा जरूर पूछी जाती है औऱ वो इच्छा पूरी भी की जाती है, लेकिन ये बात पूरी तरफ से सत्य नहीं है, दरअसल भारत के कानून में ही फांसी देते वक्त अंतिम इच्छा पूछने का कोई प्रावधान ही नहीं है। जिसके कारण निर्भया के दोषियों से उनकी अंतिम इच्छा भी नहीं पूछी जाएगी। आपको शायद ये जान कर हैरानी होगी, लेकिन ये सच है कि अगर निर्भया के दोषियों का फांसी का वक्त आया तो उनसे कोई अंतिम इच्छा नहीं पूछी जाएगी।
*आज़ादी के बाद से अब तक नहीं पूछी गई आखिरी इच्छा*
जानकारी के लिए बतादें सिर्फ निर्भया के कातिल ही नहीं बल्कि आज़ादी के बाद से अब तक जितनों को भी फांसी दी गई है, उनसे उनकी आखिरी इच्छा नहीं पूछी गई है। बात फिऱ इंदिरा गांधी के हत्यारे सतवंत सिंह की हो य केहर सिंह की हो, इन दोषियों को भी फांसी के वक्त इनकी आखिरी इच्छा नहीं पूछी गई थी। तो दूसरी तरफ मुंबई हमले के दोषी आतंकी अज़मल कसाब और संसद पर हमले करने वाला आतंकी अफज़ल गुरु से भी उसकी आखिरी इच्छा नहीं पूछी गई थी।
*कानून में अंतिम इच्छा का कोई प्रावधान ही नहीं*
भारत के कानून में फांसी देते वक्त अंतिम इच्छा पूछने का कोई प्रावधान नहीं है जेल मैनुअल में ऐसा कुछ है ही नहीं, यानी ये सिर्फ फिल्मी दुनिया की ही कल्पना है,फांसी देना एक न्यायिक आदेश होता है जिसे हर हाल में तय वक्त पर पूरा करना होता है।
*ऐसे दी जाएगी निर्भया के दोषियों को फांसी*
बतादें निर्भया के दोषियों को फांसी देने के दौरान 22 फुट के एक तख्ते पर ले जाया जाएगा। इस दौरान दोषियों को नीचे से लेकर ऊपर तक काले कपड़े पहनाए जाएंगे। फांसी देने से पहले दोषियों के हाथ और पांव बांध दिए जाएंगे और चेहरे पर भी काला कपड़ा डाल दिया जाएगा, जिसके बाद दोषियों के गले में रस्सी का फंदा डाल दिया जाएगा इसके बाद तय वक्त पर जल्लाद फांसी के तख्ते का लीवर खींच देगा।
Represent By Balram Gangwani