प्रयागराज के कॉल्विन अस्पताल में मीडियाकर्मी बनकर आए हमलावरों ने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी. माफिया अतीक और अशरफ को यहां मेडिकल परीक्षण के लिए लाया गया था. कुछ देर पहले ही दोनों ने प्रयागराज के कसारी-मसारी में अत्याधुनिक विदेशी हथियारों की बरामदगी कराई थी. पुलिस की गाड़ी से उतरने के बाद हमलावरों ने 22 सेकेंड में दोनों का खेल खत्म कर दिया और इसके साथ ही वो राज दफन हो गए है जो अतीक पुलिस को बताने वाला था.
अतीक और अशरफ की हत्या किए जाने के बाद यूपी में धारा 144 लागू है, कहीं पुलिस फ्लैग मार्च कर रही है तो कहीं इंटरनेट पर ही बेन लगा दिया गया है, लेकिन अभी तक ये साफ नहीं हो सका है कि आखिर उन हमलावरों का मोटिव क्या था. क्या ये हमालवर सिर्फ प्रसिद्धि के लिए ही इतना बड़ा जोखिम लेने आए थे या फिर ये किसी और के इशारे पर किया गया.
1- क्या पुलिस को कोई राज बताने वाला था अतीक?
अतीक अहमद और उसका भाई अशरफ 13 से 17 अप्रैल तक पुलिस रिमांड में थे. लगातार दोनों से पूछताछ की जा रही थी. इस पूछताछ की गंभीरता ऐसे समझिए कि समय बर्बाद न जाए इसके लिए पुलिस अतीक को उसके बेटे असद के जनाजे में भी नहीं ले गई थी. पुलिस अतीक से तकरीबन 23 घंटे तक पूछताछ कर चुकी थी और इस बीच 200 प्रश्न उससे पूछे जा चुके थे. पुलिस के मुताबिक उमेश पाल मर्डर केस से लेकर पाकिस्तान से हथियार मंगाने तक अतीक ने कई गुनाह कबूल भी कर लिए थे.
पुलिस की कोशिश उस चैनल को जानने की थी, जिससे हथियार पाकिस्तान से पंजाब और फिर वहां से इलाहाबाद आते थे. इसी तरह उमेश पाल मर्डर केस की पूरी साजिश कैसे रची गई और कौन-कौन इसमें शामिल था? इसके अलावा भी कई ऐसे राज थे जिनके बारे में पुलिस अतीक से जानना चाहती थी. ऐसा हो सकता था कि 17 अप्रैल तक पूछताछ में पुलिस को और अहम राज पता चलते, लेकिन उससे पहले ही अतीक और अशरफ की हत्या कर दी गई.
2- क्या डी कंपनी ने खात्मा करवा दिया?
पुलिस की पूछताछ में अतीक अहमद ये कबूल कर चुका था कि हथियार पाकिस्तान से आते थे. पुलिस सूत्रों के मुताबिक उसने ये कंफर्म कर दिया था कि पाकिस्तान से ड्रोन की मदद से हथियार सीमा पार आते थे और फिर उन्हें पंजाब के एक फार्म हाउस में रखवा दिया जाता था, एटीएस से अतीक से लश्कर से संपर्क किए जाने, कश्मीर घाटी में हथियार सप्लाई किए जाने संबंधी सवाल भी पूछे थे.
जाहिर है इस पूरे काम में सिर्फ अतीक का गैंग इनवॉल्व नहीं हो सकता था. यह पूरी प्रक्रिया डी कंपनी या पंजाब के किसी बड़े गैंग की मिलीभगत के बिना पूरी नहीं हो सकती थी. पुलिस की पूछताछ चल रही थी, ऐसे में कहीं ऐसा तो नहीं कि इसी डी कंपनी ने ही खुद को बचाने के लिए अतीक और अशरफ का खात्मा करा दिया हो.
मरने से पहले अतीक अहमद के आखिरी शब्द… pic.twitter.com/p0J8jJll8L
— Nitesh Ojha (@niteshojha786) April 15, 2023
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3- क्या किसी जानी दुश्मन ने ली जान?
अतीक अहमद के कई जानी दुश्मन थे, अपराध की दुनिया में उसके उदय से लेकर अब तक अतीक पर कोई लोगों की हत्या का आरोप लगा था. कई बार उसे जान से मारने की धमकी भी मिल चुकी थी. ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या किसी ने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की एक साथ हत्या कराकर बदला दिया है, पुलिस सूत्रों के मुताबिक हमलावरों ने हत्या से पहले तीन दिन तक रेकी की थी, वह मीडियाकर्मी के तौर पर डमी कैमरा लेकर आए थे, लिहाजा ये बात तो साफ है कि इतनी बड़ी घटना एकदम से तो नहीं कर दी गई, 3 दिन रेकी का ही मतलब है कि इसके लिए प्रॉपर प्लानिंग की गई थी.
4- क्या मुन्ना बजरंगी की तरह निपटाया गया?
2018 में बागपत जेल में बंद मुन्ना बजरंगी को जेल के भीतर ही गोली मार दी गई थी. मुन्ना बजरंगी पूर्वांचल का डॉन था जिसे मारे जाने से एक दिन पहले ही बागपत जेल में शिफ्ट किया गया था. 9 जुलाई की सुबह 9 बजे से तन्हाई बैरक में जाकर शॉर्प शूटर सुनील राठी ने उसकी गोली मारकर हत्या कर दी थी. आज तक ये पता नहीं चल सका कि आखिर पिस्टल जेल के अंदर कैसे पहुंची थी. बाद में सुनील राठी ने सिर्फ इतना कहा था कि मुन्ना बजरंगी ने चिढ़ाया था इसीलिए आवेश में आकर उसकी हत्या कर दी. मामले में सीबीआई जांच की भी सिफारिश की गई थी.
5- क्या नाम कमाने के लिए मारा?
अतीक अहमद को मारने वालों के नाम लवलेश तिवारी, सनी और अरुण मौर्य हैं. ये तीनों पुलिस की गिरफ्त में हैं. इनमें लवलेश बांदा का रहने वाला है, सनी कासगंज का है और अरुण हमीरपुर का. इन तीनों ने अतीक को मारने के पीछे प्रसिद्धि पाने को अपना मोटिव बताया है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक तीनों हमलावरों ने कबूल किया है कि वह बड़ा शार्प शूटर बनना चाहते थे. अतीक अहमद बड़ा माफिया है इसीलिए शुरुआत उसी से की ताकि, नाम हो सके. लेकिन खुद पुलिस इस थ्योरी पर यकीन नहीं कर पा रही है.